पहले चुनावी शतरंज बिछा करती थी, जिसमें रणनीतिक दांव के जरिए राजनीतिक दल एक-दूसरे को मात देते थे, लेकिन अब बाजार लगने लगा है। ऐसा बाजार, जहां सबसे टिकाऊ की बात नहीं होती। बात होती है हमारा माल सबसे सस्ता। हमारी दुकान पर आओ, तुम्हें सस्ता सिलेंडर, स्कूटी, लैपटाप, मोबाइल, सोना आदि देंगे। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना के चुनाव में राजनीतिक दल दुकान सजाकर बैठे।