ग्वालियर : हाईकोर्ट का आदेश- सैंपलिंग नहीं मिलावट खोरों के अड्डे पकड़ो !

हाईकोर्ट का आदेश- सैंपलिंग नहीं मिलावट खोरों के अड्डे पकड़ो, फिर भी विभाग दूधियों को पकडक़र नमूने इकट्ठा कर रहा

मिलावट माफिया के खिलाफ शुद्ध के लिए युद्ध अभियान …

हाईकोर्ट का आदेश- सैंपलिंग नहीं मिलावट खोरों के अड्डे पकड़ो, फिर भी विभाग दूधियों को पकडक़र नमूने इकट्ठा कर रहा
हाईकोर्ट ने मिलावट खोरी को रोकने के लिए सैंपलिंग की वजाए उनके अड्डों को पकडऩे का आदेश दिया है, लेकिन खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारी कोर्ट की मंशा को पलीता लगा रहे हैं। शहर के प्रवेश द्वार पर दूधियों को पकडक़र नमूना इकट्ठा करने में लगे हैं, लेकिन मिलावट खोरों के अड्डों तक नहीं पहुंचे हैं। ऐसी स्थिति में मिलावट के कारोबार पर प्रहार नहीं हुआ है। कोर्ट में पालन प्रतिवेदन रिपोर्ट पेश करने के लिए कागजी आंकड़े तैयार किए जा रहे हैं। पांच दिन के भीतर करीब 50 सैंपल लिए गए हैं, जिन्हें भोपाल भेजा गया है।
दरअसल ग्वालियर चंबल संभाग के भिंड व मुरैना में मिलावट माफिया सक्रिय है। भिंड व मुरैना में तैयार होने वाला मिलावटी दूध, दही, मावा, पनीर, घी को ग्वालियर भेजा जाता है और यहां दूसरों में सप्लाई की जाती है, लेकिन मिलावट माफिया के ऊपर अब तक प्रभावी कार्रवाई नहीं हो सकी है। हाईकोर्ट ने मिलावट को रोकने के लिए किए गए प्रयासों पर नाराजगी जताई थी। कोर्ट ने खाद्य विभाग के अधिकारियों को आदेश दिए थे कि सैंपल से मिलावट नहीं रुकेंगी। अड्डों तक पहुंचना होगा। दीपावली के समय मावा पकड़ा गया था, उनकी सूचना दूसरे जिलों को भेज दी। दूसरे जिलों ने क्या कार्रवाई की, उसकी कोई सुध नहीं ली।इसलिए शुरू किया दूधियों के खिलाफ अभियान
– हाईकोर्ट में 7 दिसंबर को अवमानना याचिका की सुनवाई संभावित है। इस सुनवाई के दौरान खाद्य विभाग के अधिकारियों को मौजूद रहना है। साथ ही मिलावट को लेकर क्या कार्रवाई की है। इस सुनवाई को ध्यान में रखते हुए सैंपल लिए गए हैं।- भिंड व मुरैना से आने वाले दूध के सैंपल लिए गए। सैंपल लेने के बाद यह दूध लोगों तक पहुंच गया। मौके पर तय नहीं हो सका है कि दूध मानव जीवन के लिए खतरनाक है या नहीं।
– जो सैंपल भेजे गए हैं, वह तीन महीने बाद ही मिलेंगे।दो तरह से हो रही कार्रवाई
अमानक: खाद्य विभाग जो नमूना लेता है, यदि दूध में फैट की मात्रा कम रहती है। जैसे पानी मिलाने से फैट कम हो जाती है। उसे अमानक माना जाता है। इसे मानव जीवन के लिए खतरा नहीं मानते हैं। इसमें जुर्माने की कार्रवाई की जाती है।असुरक्षित: दूसरी श्रेणी असुरक्षित की है। यदि दूध, दही, पनीर व मावा, घी में कैमीकल मिला है। कैमीकल मिले खाद्य पदार्थ को असुरक्षित श्रेणी में रखा जाता है। इसमें अभियोजन किया जाता है।
– 19 नवंबर को 19 फर्मों की खाद्य सामग्री की रिपोर्ट आई थी, जिसमें ये अमानक निकले थे। दूध की सामग्री में फैट कम थी।
एक्सपर्ट
छोटी व बड़ी आंत में आती है सूजन- यदि मिलावटी सामान को खाया जाता तो छोटी व बड़ी आंत में सूजन आती है। इससे उल्टी व दस्त होने लगते हैं। यदि व्यक्ति लगातार मिलावटी सामग्री का उपयोग कर रहा है तो लीवर व किडनी खराब हो सकते हैं। इनके फेल होने की संभावना भी रहती है। मिलावटी सामग्री का सेवन बंद नहीं किया और जारी रहता है तो कैंसर की भी संभावना रहती है। मिलावटी सामान मानव जीवन के लिए खतरनाक है।
 प्रोफेसर जीआरएमसीइनका कहना है
– ग्वालियर में मिलावट सामान तैयार नहीं हो रहा है। भिंड व मुरैना से आपूर्ति है। भिंड व मुरैना से आने वाले मावे को पकड़ा था। वहां के विभाग को इसकी सूचना दी गई थी कि मौके पर जाकर निर्माण केंद्र की जांच की जाए। सैंपल आने के बाद ही तय हो पाता है कि सामग्री कितनी खतरनाक है।चौहान, अभिहीत अधिकारी (एसडीएम)
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हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन, दूध में मिलावट करने वाले मस्त, पीने वालों की आंतों में आ रही सूजन

– हाईकोर्ट का आदेश सैंपलिंग नहीं मिलावट खोरों के अड्डे पकड़ो, मिलावट का कारोबार करने वालों तक नहीं पहुंचता विभाग
– विभाग दूधियों को पकड़कर नमूने इकट्ठा कर रहा
– मिलावट माफिया के खिलाफ शुद्ध के लिए युद्ध अभियान

हाईकोर्ट ने मिलावट खोरी को रोकने के लिए सैंपलिंग की बजाए उनके अड्डों को पकडऩे का आदेश दिया है, लेकिन खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारी कोर्ट की मंशा को पलीता लगा रहे हैं। शहर के प्रवेश द्वार पर दूधियों को पकडक़र नमूना इकट्ठा करने में लगे हैं, लेकिन मिलावट खोरों के अड्डों तक नहीं पहुंचे हैं। ऐसी स्थिति में मिलावट के कारोबार पर प्रहार नहीं हुआ है। कोर्ट में पालन प्रतिवेदन रिपोर्ट पेश करने के लिए कागजी आंकड़े तैयार किए जा रहे हैं। पांच दिन के भीतर करीब 50 सैंपल लिए गए हैं, जिन्हें भोपाल भेजा गया है।

इसलिए शुरू किया दूधियों के खिलाफ अभियान

– हाईकोर्ट में 7 दिसंबर को अवमानना याचिका की सुनवाई संभावित है। इस सुनवाई के दौरान खाद्य विभाग के अधिकारियों को मौजूद रहना है। साथ ही मिलावट को लेकर क्या कार्रवाई की है। इस सुनवाई को ध्यान में रखते हुए सैंपल लिए गए हैं।

– भिंड व मुरैना से आने वाले दूध के सैंपल लिए गए। सैंपल लेने के बाद यह दूध लोगों तक पहुंच गया। मौके पर तय नहीं हो सका है कि दूध मानव जीवन के लिए खतरनाक है या नहीं।

– जो सैंपल भेजे गए हैं, वह तीन महीने बाद ही मिलेंगे।

दो तरह से हो रही कार्रवाई

अमानक

खाद्य विभाग जो नमूना लेता है, यदि दूध में फैट की मात्रा कम रहती है। जैसे पानी मिलाने से फैट कम हो जाती है। उसे अमानक माना जाता है। इसे मानव जीवन के लिए खतरा नहीं मानते हैं। इसमें जुर्माने की कार्रवाई की जाती है।

असुरक्षित

दूसरी श्रेणी असुरक्षित की है। यदि दूध, दही, पनीर व मावा, घी में केमिकल मिला है। केमिकल मिले खाद्य पदार्थ को असुरक्षित श्रेणी में रखा जाता है। इसमें अभियोजन किया जाता है।

– 19 नवंबर को 19 फर्मों की खाद्य सामग्री की रिपोर्ट आई थी, जिसमें ये अमानक निकले थे। दूध की सामग्री में फैट कम थी।

एक्सपर्ट

छोटी व बड़ी आंत में आती है सूजन

– यदि मिलावटी सामान को खाया जाता तो छोटी व बड़ी आंत में सूजन आती है। इससे उल्टी व दस्त होने लगते हैं। यदि व्यक्ति लगातार मिलावटी सामग्री का उपयोग कर रहा है तो लीवर व किडनी खराब हो सकते हैं। इनके फेल होने की संभावना भी रहती है। मिलावटी सामग्री का सेवन बंद नहीं किया और जारी रहता है तो कैंसर की भी संभावना रहती है। मिलावटी सामान मानव जीवन के लिए खतरनाक है।

– डॉ.सिंह, प्रोफेसर जीआरएमसी

इनका कहना है
– ग्वालियर में मिलावट सामान तैयार नहीं हो रहा है। भिंड व मुरैना से आपूर्ति है। भिंड व मुरैना से आने वाले मावे को पकड़ा था। वहां के विभाग को इसकी सूचना दी गई थी कि मौके पर जाकर निर्माण केंद्र की जांच की जाए। सैंपल आने के बाद ही तय हो पाता है कि सामग्री कितनी खतरनाक है।
(एसडीएम)

 

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