भारत में हर साल वायु प्रदूषण से जा रही 20 लाख लोगों की जान ?

भारत में हर साल वायु प्रदूषण से जा रही 20 लाख लोगों की जान, क्या कहती है स्टडी?
बीएमजे के शोध में ये सामने आया है कि उद्योग, बिजली उत्पादन और परिवहन में जीवाश्म ईंधन का उपयोग करने से होने वाले वायु प्रदूषण से दुनियाभर में हर साल 5.1 मिलियन लोग अपनी जान गवा रहे हैं.
वायु प्रदूषण से हर साल बढ़ रहा मौतों का आंकड़ा ,,,

वायु प्रदूषण विश्व के लिए एक गंभीर समस्या बनकर उभर रहा है. ‘द बीएमजे’ (द ब्रिटिश मेडिकल जर्नल) के द्वारा हाल ही में किए गए शोध में ये सामने आया है कि वायु प्रदूषण से भारत में 20 लाख लोग हर साल लोगों की जान जा रही है. साल दर साल वायु प्रदूषण विश्व के सामने एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है.

इसी रिसर्च में ये भी सामने आया है कि हर साल वायु प्रदूषण से दुनिया भर में 5.1 मिलियन यानी 51 लाख लोगों की मौतें होती हैं. जिसमें चीन पहले और भारत दूसरे स्थान पर है. यानी वायु प्रदूषण से चीन में सर्वाधिक मौतें होती हैं तो दुनियाभर में इस लिस्ट में भारत दूसरे स्थान पर आता है.

शोध में वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण उद्योग, बिजली उत्पादन और परिवहन में जीवाश्म ईंधन का उपयोग माना गया है. शोधकर्ताओं ने कहा है कि यह 2019 में सभी स्रोतों से बाहरी वायु प्रदूषण के कारण दुनिया भर में कुल अनुमानित 8.3 मिलियन मौतों का 61 प्रतिशत है, जिसे जीवाश्म ईंधन को स्वच्छ, नवीकरणीय ऊर्जा से बदलने से टालने की संभावना है.

कैसे प्रदूषित वायु ले रही लोगों की जान?
इस रिसर्च के परिणामों से पता चलता है कि 2019 में दुनियाभर में 83 लाख मौतें हवा के सूक्ष्म कणों (पीएम2.5) और ओजोन (ओ3) के कारण हुई हैं. जिनमें से 61 प्रतिशत मौतें जीवाश्म ईंधन के कारण हुईं. ये वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों का अधिकतम प्रतिशत है जो कुछ प्रयासों से रोकी जा सकती है.

वायु प्रदूषण से दक्षिण और पूर्वी एशिया में सबसे अधिक मौतें हुईं. चीन पर नजर डालें तो हर साल वहां इससे मरने वालों की संख्या 24.50 लाख है. वहीं इस लिस्ट में दूसरे स्थान पर भारत में ये आंकड़ा 20 लाख है. इनमें से 30 प्रतिशत लोग हृदय रोग, 16 प्रतिशत स्ट्रोक, 16 प्रतिशत फेफड़े की बीमारी और 6 प्रतिशत लोगों की मौत मधुमेह से हुई है.

शोधकर्ताओं के अनुसार जीवाश्म ईंधन को चरणबद्ध तरीके से खत्म करने से दक्षिण, दक्षिण पूर्व और पूर्वी एशिया में हो रही मौतों में कमी देखने को मिल सकती है. जिससे हर साल 38.50 लाख लोग मर रहे हैं. 

डॉक्टर्स के अनुसार, पार्टिकुलेट मैटर (पीएम), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड जैसे प्रदूषक लोगों के लिए गंभीर श्वास और हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा पैदा करते हैं. इन प्रदूषकों के लंबे समय तक संपर्क में रहने से मृत्यु दर में वृद्धि हो रही है.

जर्मनी के ‘मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर केमिस्ट्री’ के शोधकर्ताओं ने वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों को चार भागों में बांटा है. पहले भाग में माना गया है कि जीवाश्म ईंधन के सभी उत्सर्जन स्रोत समय के साथ खत्म हो गए हैं.

दूसरे और तीसरे भाग में यह माना गया है कि जीवाश्म चरण समाप्त होने की दिशा में 25 प्रतिशत और 50 प्रतिशत कमी देखी गई है. इसके अलावा चौथे भाग में माना गया है कि रेगिस्तानी धूल और प्राकृतिक जंगल की आग जैसे प्राकृतिक स्रोतों को छोड़कर वायु प्रदूषण के सभी मानव के द्वारा निर्मित स्रोतों को हटा दिया गया है.

वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियां
वायु प्रदूषण धीरे-धीरे लोगों की जिंदगी में जहर की तरह घुलकर कई तरह की बीमारियां पैदा कर रहा है. जिससे आमजन पर बुरा असर पड़ रहा है. वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियों पर नजर डालें तो इससे हृदय रोग, कैंसर, मस्तिष्क संबंधी विकार, जठरांत्रिय विकार, गुर्दे के रोग, जिगर में होने वाली बीमारियां, चर्म रोग, दमा, ब्रोंकाइटिस, लंबे समय तक फेफड़ों में रुकावट जैसी बीमारियां हो सकती हैं.

इसके अलावा वायु की बेहद खराब गुणवत्ता से आमतौर पर लोगों को सांस लेने में दिक्कत और सीने में जलन जैसी समस्याएं भी देखी जाती हैं.

भारत के सबसे प्रदूषित शहर 
स्विस ग्रुप आईक्यूएयर के द्वारा कुछ दिन पहले जारी किए गए आकंड़ों के अनुसार एयर क्वालिटी में दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में भारत की राजधानी दिल्ली पहले नंबर पर आता है. जहां कई बार एक्यूआई 999 तक पहुंच जाता है.

इसके अलावा ज्यादातर यहां का एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी एक्यूआई 500 के आसपास दर्ज किया जाता है. यहां सर्दियों की शुरुआत होते ही हवा में घुला जहर सामने दिखने लगता है जिससे आमजन को आंखों में जलन और सांस लेने में दिक्कत जैसी समस्याएं देखी जाती हैं.

इसके अलावा दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में दूसरे नंबर पर पाकिस्तान का लाहौर तो तीसरे नंबर पर भारत का ही कोलकाता आता है. यहां का एक्यूआई भी काफी खराब दर्ज किया जाता है. वहीं इस लिस्ट में चौथे नंबर पर भी भारत का ही शहर मुंबई आता है.

भारत की औद्योगिक राजधानी मुंबई में भी प्रदूषण का स्तर अत्यधिक है और यहां की हवा ही सांस लेने योग्य नहीं है. मुंबई का एक्यूआई अक्सर खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है. 

प्रदूषण से निपटने के सरकारी उपाय

  • ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (दिल्ली)
  • प्रदूषण भुगतान सिद्धांत
  • स्मॉग टॉवर
  • सबसे ऊंचा वायु शोधक
  • राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP)
  • बीएस-VI वाहन
  • वायु गुणवत्ता प्रबंधन हेतु नवीन आयोग
  • टर्बो हैप्पी सीडर (THS)
  • ‘वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान तथा अनुसंधान प्रणाली’- सफर (SAFAR) पोर्टल
  • वायु गुणवत्ता की निगरानी के लिये डैशबोर्ड
  • वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI)                                                                                        
  • वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1981                                                                                                                             
  • प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY)      

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