हानि लाभ जीवन,मरण,जस,अपजस नृप हाथ !

हानि लाभ जीवन,मरण,जस,अपजस नृप हाथ

लोकतंत्र में आप ये कहकर नहीं बच सकते कि -कोऊ नृप होय हमें का हानि।? लोकतंत्र में भी यथा राजा,तथा प्रजा ।’ का फार्मूला काम करता है। इसीलिए मै कहता हूँ कि अब समय बदल गया है । ये त्रेता नहीं कलियुग है । इसमें यदि मुनिवर को भरत को समझाना होता तो वे -‘हानि लाभ जीवन,मरण,जस,अपजस विधि हाथ ,न कहकर कहते कि -‘ हानि लाभ जीवन,मरण,जस,अपजस नृप हाथ । आज के युग में यदि राजा झूठा है तो प्रजा भी झूठ के अधीन हो जाती है। पिछले एक दशक में हम सबने ये देख और भुगत लिया है।
समय के साथ सब चीजें बदलतीं है । अनुभव भी और मनुष्य भी। मोदी युग का आव्हान ‘ अच्छे दिनों ‘ का था,लेकिन अच्छे दिन नहीं आना थे सो नहीं आये। इस एक दशक में हमें भारत माँ का खंडित किरीट और एक मंदिर मिला है जो भगवान राम का मंदिर है जिसे उन्होंने कभी किसी से बनाने के लिए नहीं कहा था। मंदिर बनाने वाले लोग लोकतंत्र का मंदिर बनाना जानते नहीं थे या उनका लोकतत्र में यकीन नहीं था,शायद इसीलिए उन्होंने अपनी पूरी ताकत मंदिर बनाने में लगा दी। अब देश कि धर्मभीरु जनता मंदिर में ढोक लगाए, सरयू के तटों पर जाकर घी-तेल के दिए जलाये।देश की जनता को पिछले एक दशक में जो हानि,लाभ ,जीवन या मारण ,जस या अपजस मिला उसमें विधि यानि ब्रम्हा जी का कोई हाथ नहीं है । सारा किया धरा देश के नृप यानि राजा यानी प्रधानमंत्री जी का है।
प्रधानमंत्री की जिस पर कृपा हुई वो अडानी हो गया । जिस पर कृपा नहीं हुई उसे सरकारी खजाने से मिलने वाले पांच किलो अन्न पर गुजर-बसर करना पड़ रही है और अगले पांच साल तक करना पड़ेगी। देश की जनता यदि कोविड से मरी तो सरकार जिम्मेवार नहीं और यदि कोविड से बची तो सरकार को श्रेय है। सरकार ने कोविड के टीके वाले प्रमाणपत्र पर राजा का फोटो छपवाकर अपना यश पा लिया। देश में मणिपुर के जलने से जो अपयश फैला उसका श्रेय सरकार लेने को न कल तैयार थी और न आज है। ये सब विधि के हिस्से में दर्ज किया जाएगा। यानि जो बुरा हो रहा है उसके लिए होनी प्रबल है, बाकी के लिए राजा।
राजा के हाथ बहुत लम्बे और मजबूत होते है। वे किसी को भी हानि पहुंचा सकते हैं और किसी का लाभ भी करा सकते है। राजा के हाथों में इतनी शक्ति होती है कि वो चाहे तो किसी की भी कीर्ति पताका दुनिया में फहरा सकती है और यदि राजा न चाहे तो उसका अपजस पूरी दुनिया में पल भर में पहुँच सकता है । जीवन उसके हाथ में है, मरण उसके हाथ में है। वही है सब कुछ। इसलिए जब भी जनता को राजा चुनने का मौक़ा मिले तब सतर्कता बरते । जनता को आठ महीने बाद अपना राजा चुनने का मौक़ा फिर मिलने वाला है। जनता पिछले दस साल का हिसाब लगाकर ही अपना फैसला करेगी तो फायदे में रहेगी ,अन्यथा मुनिवर और जनता दोनों बिलखते रह जायेंगे।

पांच राज्य विधानसभा चुनावों के नतीजे इस बात का संकेत दे सकते हैं कि आपका रास्ता ठीक है या नहीं ? इन नतीजों से आप अपनी गलती सुधार सकते है। बेचारा विधि तो अआप्को संशोधन करने का मौक़ा देता ही रहता है । ये आपके ऊपर है कि आप इस मौके का लाभ लें या नहीं। पांच राज्यों के विधासभा चुनावों के नतीजे जनादेश है। इनका सम्मान करना हमारा नैतिक कर्तव्य हैं । ये किसके पक्ष में गए हैं इसकी विवेचना आप करते रहिये,हम तो अपनी बात जैसे पहले कर रहे थे कल भी वैसे ही करने वाले हैं।हम अपने रस्ते बदलने वाले लोग नहीं हैं ,क्योंकि हमारा हानि ,लाभ, जीवम मरण ,जस ,अपजस अब कोई मायने नहीं रखता । है फ़िक्र में अब केवलमुल्क है मुल्क। जय श्रीराम

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