भाजपा को बहुमत, फिर भी हारे 12 मंत्री ?

भाजपा को बहुमत, फिर भी हारे 12 मंत्री:वजह- जातीय समीकरण, बगावत और भितरघात; एंटी इनकम्बेंसी से भी नुकसान

मंत्रियों की हार की चार मुख्य वजहें सामने आईं- जातीय समीकरण, बगावत, भितरघात और एंटी इनकम्बेंसी। जानिए किस मंत्री को क्यों हार का सामना करना पड़ा…

एंटी इनकम्बेंसी की वजह से हारे ये मंत्री
डॉ. नरोत्तम मिश्रा 
– भाजपा से बगावत कर कांग्रेस में शामिल हुए अवधेश नायक का टिकट काटने का फायदा नरोत्तम मिश्रा को नहीं मिला। कांग्रेस उन्हें मनाने में कामयाब रही।

राजवर्धन सिंह दत्तीगांव – चुनाव से पहले विवादों में घिरे। कांग्रेस ने एकजुटता से चुनाव लड़ा।

महेंद्र सिंह सिसोदिया – हार का मुख्य कारण एंटी इनकम्बेंसी के साथ सेबोटेज रहा। सिंधिया समर्थकों ने भी भितरघात किया। स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं की उपेक्षा।

गौरीशंकर बिसेन – 7 बार के विधायक रहते क्षेत्र में एंटी इनकम्बेंसी। पार्टी कार्यकर्ताओं ने सक्रियता नहीं दिखाई।

प्रेम सिंह पटेल – पांच बार के विधायक रहते क्षेत्र में एंटी इनकम्बेंसी। स्थानीय स्तर पर पार्टी के भीतर विरोध। क्षेत्र में सक्रियता नहीं।

बगावत की वजह से हारे ये मंत्री
अरविंद सिंह भदौरिया –
 जातीय समीकरण से नुकसान। भाजपा से बगावत कर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे मुन्ना सिंह भदौरिया को भाजपा मनाने में कामयाब नहीं हुई।

कमल पटेल – चुनाव से ठीक पहले सुरेंद्र जैन ने कमल पटेल का खुलेआम विरोध शुरू कर दिया था। भाजपा जैन को नहीं मना पाई। पटेल का क्षेत्र में विरोध भी हुआ ।

राम खेलावन पटेल – क्षेत्र में सक्रिय नहीं रहे। पार्टी के भीतर विरोध। जातिगत समीकरण में फंसे।

रामकिशोर कावरे- अवैध उत्खनन के आरोप। पिछले चुनाव में कंकर मुंजारे ने नुकसान पहुंचाया था। इस बार मुंजारे गोंगपा से लड़े तो वोट शेयर घट गया।

सुरेश धाकड़ राठखेड़ा – सिंधिया समर्थकों को ज्यादा तवज्जो देने से नुकसान। जातीय समीकरण में फंसे।

राहुल लोधी – कुश्वाहा वोट बड़ा फैक्टर। स्थानीय स्तर पर पार्टी के अंदर विरोध। क्षेत्र में सक्रिय नहीं होने का नुकसान।

भारत सिंह कुश्वाहा – सबसे बड़ा नुकसान कुश्वाहा वोट के बंटने से हुआ। पिछले चुनाव में कांग्रेस के मदन कुश्वाहा 38199 लेकर तीसरे नंबर पर रहे। इस बार कांग्रेस ने इस वोट बैंक को साध लिया।

गोपाल भार्गव की 9वीं बार रिकाॅर्ड जीत
शिवराज मंत्रिमंडल के सबसे वरिष्ठ व लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव ने 9वीं बार जीत कर रिकॉर्ड बनाया है। भार्गव ने इस चुनाव में जीते 19 मंत्रियों में सबसे ज्यादा मार्जिन से जीत दर्ज की है। उन्होंने कांग्रेस की ज्योति पटेल को 72,800 वोटों से हराया है। मंत्रियों में भार्गव की जीत का अंतर सबसे ज्यादा है। उनके विभाग के राज्यमंत्री रहे सुरेश धाकड़ राठखेड़ा ने सबसे ज्यादा अंतर से हारने का रिकॉर्ड बनाया है। राठखेड़ा 49481 वोट से हारे हैं।

2018 में 27 में से 13 मंत्री हारे थे चुनाव
2018 में शिवराज कैबिनेट में 31 मंत्री थे, जिनमें से 27 ने विधानसभा चुनाव लड़ा था। इनमें से 13 मंत्री चुनाव हार गए थे। इस चुनाव में भाजपा ने 109 सीटें जीती थीं। बहुमत (116) के लिए 7 सीटें कम रह गई थीं। 2013 से तुलना करें तो 2018 में इनमें से 9 मंत्रियों की सीट पर 7% तक अधिक वोटिंग हुई। 4 मंत्रियों की सीट पर वोटिंग के प्रतिशत में मामूली कमी थी।

2013 में हारे थे 10 मंत्री
2013 के विधानसभा चुनाव में शिवराज सरकार में मंत्री रहे कन्हैया लाल अग्रवाल, अजय विश्नोई, दशरथ सिंह लोधी, बृजेन्द्र प्रताप सिंह, जगन्नाथ सिंह, डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया, अनूप मिश्रा, लक्ष्मीकांत शर्मा, करण सिंह वर्मा और हरिशंकर खटीक चुनाव हार गए थे।

12 में से 10 मंत्रियों ने 2018 में जिन्हें हराया, उन्हीं से इस बार हारे

खबरें और भी हैं…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *