एमओ की शक्ति पर सवाल: जानिए भारत का प्रशासनिक सेटअप क्या है?
पीएमओ की शक्ति पर सवाल: जानिए भारत का प्रशासनिक सेटअप क्या है? इस तरह काम करता है पूरा तंत्र
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने अपने लेख ‘द कैबिनेट: ए चेक ऑन ऑथोरिटेरियनिज्म’ में लिखते हैं- एक एजेंडे के तहत प्रधानमंत्री कार्यालय को एक स्वतंत्र कार्यकारी बल में तब्दील कर दिया गया है.
पुष्पराज देशपांडे और गुरदीप सिंह सप्पल द्वारा संपादित द ग्रेट इंडियन मंथन के एक लेख द कैबिनेट: ए चेक ऑन ऑथोरिटेरियनिज्म’ में खरगे लिखते हैं- एक एजेंडे के तहत प्रधानमंत्री कार्यालय को एक स्वतंत्र कार्यकारी बल में तब्दील कर दिया गया है.
पीएमओ को सुपर कैबिनेट की उपाधि देते हुए खरगे लिखते हैं- भारत के प्रशासनिक सेटअप को अमेरिका की तरह बनाने का यह प्रयास है, जहां एक व्यक्ति ही मुख्य कार्यकारी अधिकारी होते हैं और सारे फैसले और नीति उन्हीं के इर्द-गिर्द घूमता है.
खरगे ने कहा है कि 1947 से जो व्यवस्था चली आ रही है, उसे सरकार जल्दबाजी के नाम पर जानबूझकर खत्म कर रही है. खरगे ने मंत्रियों का अधिकार प्राप्त समूह को खत्म किए जाने को संदिग्ध बताया है.
भारत का प्रशासनिक ढांचा कैसा है?
भारत में सरकार को संचालित करने के लिए प्रशासनिक सेटअप को दो आधार पर बांटा गया है. एक केंद्र स्तर पर और दूसरा राज्य स्तर पर. केंद्र स्तर पर राष्ट्रपति सरकार के प्रमुख होते हैं, जिसे सलाह देने के लिए एक कैबिनेट होती है और प्रधानमंत्री इसके प्रमुख होते हैं.
संविधान के अनुच्छेद 77 के मुताबिक भारत के सभी प्रशासनिक कार्य राष्ट्रपति के नाम से होंगे.
राज्य के प्रमुख राज्यपाल होते हैं और वे राज्य कैबिनेट की सलाह पर सरकार चलाते हैं. यहां कैबिनेट के प्रमुख मुख्यमंत्री कहा जाता है. संविधान में केंद्र और राज्य के कामकाज और अधिकार के बारे में भी बताया गया है. आखिरी शक्ति केंद्र को ही दिया गया है.
केंद्रीय स्तर पर सरकार के एजेंडे को रिकॉर्ड में रखने और उसे अमलीजामा पहनाने के लिए कैबिनेट सचिवालय बनाया गया है. कैबिनेट सचिवालय के अधीन ही सभी विभाग काम करते हैं. राज्य स्तर पर मुख्य सचिव अफसरशाही के प्रमुख होते हैं. मुख्य सचिव ही सरकार के कामों को अमलीजामा पहनाते हैं.
कैबिनेट सचिवालय क्या है, कैसे काम करता है?
ब्रिटिश शासन के दौरान ही साल 1916 में कैबिनेट सचिवालय का गठन हुआ था. आजाद भारत में भी इसके स्वरूप को बरकरार रखा गया. कैबिनेट सचिवालय का मुख्य काम सभी विभागों से डेटा लेकर उसे कैबिनेट में रखना, विभागों के मंत्री को अधिकारी मुहैया कराना और सभी विभागों के बीच सामंजस्य बनाना है.
1953 में पॉल एच अपिल्बे की अध्यक्षता वाली कमेटी ने कैबिनेट सचिवालय को प्रभावी बनाने के लिए एक विस्तृत सुझाव दिया, जिसके बाद सरकार ने कुछ विभागों में अलग से प्रशासनिक सेटअप तैयार किया. इसमें गृह मंत्रालय और ओ एंड एम विभाग था.
साल 1965 में कैबिनेट सचिवालय के भीतर इंटेलिजेंस विंग की स्थापना की गई. लोकसभा की एस्टिमेट कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर कैबिनेट सचिवालय के अधीन कार्मिक मंत्रालय का गठन किया गया. इस विभाग का मूल काम अधिकारियों को नियुक्त करना और उसका ट्रांसफर-पोस्टिंग करना है.
भारत के प्रशासनिक व्यवस्था में कैबिनेट सचिवालय को सबसे अहम माना गया है. कैबिनेट सचिव भारत के सिविल सेवा के प्रमुख होते हैं. कैबिनेट सचिव सीधे प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करते हैं. कैबिनेट सचिवालय किसी भी विभाग को कोई भी निर्देश दे सकता है और उससे कोई भी जानकारी ले सकता है.
भारत में अध्यादेश जारी करने, संसद में राष्ट्रपति के संबोधन और संदेश को तैयार करने का काम भी केंद्रीय सचिवालय का होता है. केंद्रीय सचिवालय ही संधि और समझौते का फाइनल ड्राफ्ट तैयार करता है.
विरोधाभासी निर्णयों का प्रस्ताव भी कैबिनेट सचिवालय ही तैयार करता है. यह सभी विभागों को मासिक सारांश भी भेजता है.
भारत में प्रधानमंत्री कार्यालय और उसके कार्य
भारत गणतंत्र के प्रशासनिक मुखिया प्रधानमंत्री होते हैं. उनके कामकाज को आसान बनाने के लिए एक अलग से प्रशासनिक सेटअप तैयार किया गया है. इसे प्रधानमंत्री कार्यालय कहा गया है. भारत में प्रधानमंत्री कार्यालय के अधीन या नीचे कोई भी कार्यालय नहीं है.
प्रधानमंत्री कार्यालय को सिर्फ एक विभाग का दर्जा मिला हुआ है. यह एक संविधानेत्तर इकाई है यानी जो संविधान में शामिल नहीं है. 1947 से लेकर 1977 तक प्रधानमंत्री कार्यालय का नाम प्रधानमंत्री सचिवालय था. प्रधानमंत्री कार्यालय के प्रमुख संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी हो सकते हैं.
वर्तमान में पीएमओ के प्रमुख को प्रधान सचिव (पीएमओ) कहा जाता है. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार भी प्रधानमंत्री कार्यालय के अधीन ही काम करते हैं. 1998 में पहली बार भारत में यह पद बनाया गया था. वर्तमान में अजित डोभाल राष्ट्रीय सुरक्षा के सलाहकार हैं.
प्रधानमंत्री कार्यालय का मुख्य काम प्रधानमंत्री को विभिन्न मसलों पर सलाह देना, दफ्तर के सभी कागजातों को निपटाना और प्रधानमंत्री के बैठक का मसौदा तैयार करना है. प्रधानमंत्री के निर्देश पर पीएमओ किसी मंत्रालय के कामकाज की निगरानी भी कर सकता है.
केंद्रीय मंत्री और राज्य सरकारों के साथ प्रधानमंत्री के बीच सेतु का काम भी पीएमओ करता है. प्रधानमंत्री के जनसंपर्क का काम भी पीएमओ ही करता है. प्रधानमंत्री के सभी ओएसडी और निजी सचिव यहीं पर बैठते हैं.
कई बार पीएमओ किसी मंत्रालय के कामकाज और नीति का प्रारूप भी तैयार करता है. इंदिरा और राजीव के शासन काल में एक संस्थान के तौर पर पीएमओ काफी मजबूत हुआ. उस वक्त भी विपक्ष के लोग पीएमओ की काफी आलोचना करते थे और इसे सुपर कैबिनेट बताते थे.
भारत में सिविल सेवा की व्यवस्था अंग्रेजों के समय से चली आ रही है. सिविल सेवा का मतलब होता है- अधिकारियों का वह समूह जो सरकारी कार्यक्रमों एवं योजनाओं का क्रियान्वयन करते हैं. सिविल सेवा में सैन्य विभागों के अधिकारी नहीं आते हैं. मैकाले पद्धति के अनुसार सिविल सेवकों का चयन होता है.
सिविल सेवकों का चयन यूपीएससी द्वारा एग्जाम लेने के बाद किया जाता है. भारत में सिविल सेवा के प्रमुख कैबिनेट सचिव होते हैं. वर्तमान में राजीव गौबा भारत के कैबिनेट सचिव हैं.
कैबिनेट सचिव के नीचे विभागों के सचिव होते हैं. इसे प्रधान सचिव भी कहा जाता है. विभाग के सचिव ही विभाग से जुड़े निर्णय और मसौदे को तैयार करता है, जिसे कैबिनेट में पेश किया जाता है.
सचिव के नीचे अतिरिक्त सचिव होते हैं और फिर इसके संयुक्त सचिव का पद बनाया गया है.संयुक्त सचिव के नीचे उप सचिव या निदेशक होते हैं और फिर सबसे नीचे अंडर सेक्रेटरी का पोस्ट होता है.