नए विधायकों के सामने बड़ी जिम्मेदारी !

नए विधायकों के सामने बड़ी जिम्मेदारी …
शहर को महानगर बनाने के 5 मुद्दे कागजों से जमीन पर लाएं

वर्तमान स्थिति में इन पांचों मुद्दों में से मेट्रो ट्रेन को छोड़कर बाकी सालों से कागजों में ही चल रहे हैं। विधायकों को इन मुद्दों को अपनी जिम्मेदारी के तौर पर लेकर एक व्यवस्था बनाने के लिए विधानसभा में आवाज बुलंद करना होगी। मेट्रोपॉलिटन अथारटी, आसपास के शहरों को जोड़ते हुए रेपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम, सर्वश्रेष्ठ मास्टर प्लान जैसे मुद्दे शहर को ग्लोबल सिटी डेवलपमेंट के मानकों की कसौटी पर ले जाएंगे। राज्य व केंद्र में भाजपा की सरकार है होने से बजट की भी कोई परेशानी नहीं आएगी।

सबसे पहले समझिए कागजी कहानी

1. मेट्रोपॉलिटन 7 साल पहले घोषणा

2016 में मेट्रोपॉलिटन एरिया घोषित किया। 2018 में अथॉरटी के लिए समिति बनाई, 2020 मेट्रो ट्रेन का काम शुरू करने के लिए एरिया का नोटिफिकेशन किया। अथॉरटी के गठन का काम इसके बाद से ही ठंडे बस्ते में है।

2. मास्टर प्लान 2035 घोषणा को 3 साल

शहर में 2008 में लागू मास्टर प्लान-2021 ही धारा-16 के साथ लागू है। मार्च 2021 में मास्टर प्लान 2031 लागू होना था। लेकिन इसे मास्टर प्लान 2035 बनाने की घोषणा 2021 में हुई। जून तक ड्राफ्ट प्लान जारी होना था, लेकिन नहीं हुआ।

3. मेट्रो ट्रेन 10 साल हो गए प्रोजेक्ट को

घोषणा 2013 में हुई थी। अब दिसंबर-2026 तक इसे पूरा करने का दावा किया जा रहा है। फिलहाल 5 किमी ट्राइल रन हुआ। इसी बीच 2021 में सीएम ने मेट्रो का विस्तार उज्जैन-पीथमपुर तक करने की घोषणा की। फिलहाल सर्वे रिपोर्ट ही बन पाई।

4. ट्रैफिक एलिवेटेड 6 साल से घोषित

शहर में ट्रैफिक सुधार के लिए दो एलिवेटेड कॉरिडोर बीआरटीएस और जवाहर मार्ग पर घोषित किए गए। 2017-18 में बीआरटीएस पर टेंडर होने के बाद से ही फंसा है। एमआर-12 व एमआर-3 बनाने की कवायद 2011-12 से चल रही है।

5. नए रोजगार इकोनॉमिक कॉरिडोर

घोषणा 2012-13 में हुई। 2018 में निर्माण होना था। मामला जमीन अधिग्रहण में उलझा है। वहीं स्टार्टअप पार्क, आईटी टाउनशिप, शहर के समीप इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग व गारमेंट क्लस्टर तैयार होना हैं। इनसे 25 हजार से ज्यादा रोजगार मिलेंगे।

मेट्रोपॉलिटन अथॉरटी का गठन कर महानगर के लाभ दिलाएं

  • चुनौती – महानगरीय क्षेत्र को विकसित करने के लिए महानगर विकास परिषद का गठन किया जाना है। जिससे महानगरीय योजनाओं का लाभ मिल सकें। इस घोषणा को समय पर पूरा कराना ही चुनौती है।
  • वर्तमान स्थिति – सरकार ने कागजों पर इंदौर को महानगरीय क्षेत्र घोषित कर नोटि​फिकेशन जारी कर दिया है। इंदौर, महू, राऊ, बेटमा, पीथमपुर और निवेश क्षेत्रों के 93 गांव इसमें
  • शामिल हैं।
  • क्या करना है – मेट्रो पॉलिटिन अथॉरटी का गठन कर विस्तार की सीमाएं तय करना होंगी, ताकि इंदौर के साथ आसपास के जिलों का विकास भी इसी क्रम में हो सकें। अभी 900 वर्ग किमी एरिया को महानगर घोषित किया।

नया सर्वश्रेष्ठ मास्टर प्लान लागू हो, रीजनल प्लान बनें

  • चुनौती – मास्टर प्लान – 2035 पर काम चल रहा है। 2050 में शहर कैसा होगा, इसके लिए यह प्लान अहम होगा। इसे सर्वश्रेष्ठ बनाना और रीजनल प्लान पर काम शुरू करना बड़ी चुनौती है।
  • वर्तमान स्थिति – ड्राफ्ट प्लान बनाने की तैयारी चल रही है। नए प्लान के लिए 79 गांवों को शामिल कर निवेश क्षेत्र की सीमा बढ़ा दी गई है। इसके अलावा मास्टर प्लान की अधूरी सड़कें बनाई जा रही हैं।
  • क्या करना है -2035 के विकास का खाका तैयार ​करना है। शहर के बेतरतीब विकास को रोकना होगा। इसके लिए सर्वश्रेष्ठ मास्टर प्लान बनाना होगा। रीजनल प्लान बना कर क्षेत्रीय विकास पर जोर देना होगा।

मेट्रो ट्रेन जल्द शुरू करें, फिर उज्जैन-पीथमपुर तक इसका विस्तार हो

  • चुनौती – आसपास के शहरों से पलायन शहर के लिए बड़ा मुद्दा है। इससे जनसंख्या घनत्व बढ़ रहा है। इसका असर ट्रैफिक व संसाधनों पर पड़ रहा है। इसके लिए मेट्रो रूट को पूरा करना, लोक परिवहन और आसपास के शहरों से तेज कनेक्टिविटी के लिए मेट्रो या रेपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम विकसित करना जरूरी है।
  • वर्तमान स्थिति – सिटी बस व अन्य लोक परिवहन मात्र 20% लोगों के लिए उपलब्ध है। मेट्रो के लिए एयरपोर्ट से एयरपोर्ट 31 किमी के रिंग कॉरिडोर का निर्माण चल रहा है। एयरपोर्ट से एमजी रोड हाई कोर्ट तक 24 किमी के एलिवेटेड कॉरिडोर की स्थिति स्पष्ट है। 17 किमी ट्रैक बन गया है। 7 किमी का टेंडर स्वीकृत है।
  • क्या करना है – मेट्रो को पीथमपुर-उज्जैन तक ले जाने का ट्रैक इंदौर जिले के सभी विधायकों के क्षेत्र से गुजर रहा है। सरकार ने दिसंबर 2026 तक इस कार्य को पूरा करने का लक्ष्य रखा है। साथ ही आगामी सिंहस्थ और औद्योगिक विकास को देखते हुए उज्जैन, पीथमपुर, देवास के बीच भी तेज गति लोक परिवहन आरआरटीएस की योजना भी है।

इनका निर्माण जल्दी करें तो ट्रैफिक की राह आसान हो

  • चुनौती – शहर में वाहन तेजी से बढ़ रहे हैं। दोपहिया 12 तो चार पहिया 8% से ज्यादा हैं। दुर्घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। इससे ट्रैफिक जाम, सड़कों पर सुरक्षित चलना और प्रदूषण स्तर बड़ी चुनौती है।
  • वर्तमान स्थिति- वाहनों के अनुपात में सड़कों की ना लंबाई है, ना चौड़ाई है। सुगम ट्रैफिक सर्कुलेशन के लिए मास्टर प्लान में 12 मेजर रोड, दो रिंग रोड तय हैं। इसमें 60% भी नहीं बनी हैं। 20 ब्रिज में से 10 बन रहे हैं।
  • क्या करना है – एबी रोड के एलिवेटेड कॉरिडोर की योजना नए सिरे तैयार करवाने, हाई डिमांड कॉरिडोर के प्रस्तावों को आगे बढ़ाने के लिए सरकार के समक्ष मांग रखना होगी। सड़कों की इंजीनियरिंग भी ठीक करना होगा।

ये प्रोजेक्ट पूरे कराएं, 25 हजार से ज्यादा नए जॉब बढ़ेंगे

  • चुनौती – शहर में शिक्षा के लिए सुविधाएं बढ़ रही हैं। 70 हजार से ज्यादा कुशल युवा हर साल तैयार हो रहे हैं। एआई, फिनटेक, स्टार्टअप का दौर है। इनके रोजगार के लिए क्षेत्र विकसित करना बड़ी चुनौती है?
  • वर्तमान स्थिति – शिक्षण संस्थानों में आईटी, इलेक्ट्रॉनिक्स व डाटा कम्युनिकेशन, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, डाटा साइंस, लॉजिस्टिक मैनेजमेंट जैसे कोर्सेस शुरू हो गए हैं। आईटी पार्क बन रहे हैं।
  • क्या करना है- एयरपोर्ट से राऊ पीथमपुर तक विकसित होने वाले इकोनॉमिक कॉरिडोर, सुपर कॉरिडोर पर स्टार्टअप पार्क, आईटी टाउनशिप, इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग, गारमेंट क्लस्टर जल्द पूरे हों।

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