भोपाल नगर निगम 790 करोड़ के कर्ज से कंगाल …!

60 करोड़ से ज्यादा ठेकेदारों का बकाया …
एक्सपर्ट बोले- प्रशासनिक प्रबंधन चौपट; 790 करोड़ के कर्ज से कंगाल नगर निगम, सड़कों से लेकर हाउसिंग प्रोजेक्ट तक अटके

भोपाल नगर निगम कंगाली की कगार पर है। हर दिन की वसूली का हिसाब आजकल निगम अफसरों से ज्यादा लेनदारों को रहता है, ताकि तगादा कर सकें। नगर निगम ने बड़े प्रोजेक्ट पूरे करने के लिए कर्ज लिया, जो अब बढ़कर 790 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। हालांकि, पूर्व मुख्य सचिव की नजर में निगम ऐसे हालात बनाने के लिए खुद जिम्मेदार है। अफसरों ने बेहतर वित्तीय और प्रशासनिक प्रबंधन नहीं किया, इसलिए ये हालात बने हैं।

बजट की कमी का असर

  • विकास के नाम पर हुए भूमिपूजन में से 20% कार्य अभी शुरू भी नहीं हो पाए हैं।
  • निगम के लिए काम करने वाले ठेकेदारों का 60 करोड़ से ज्यादा का पेमेंट अटका है।
  • हाउसिंग फॉर ऑल के 3 प्रोजेक्ट अधूरे हैं और तकरीबन बंद हैं।

तीन वजह… इस तरह घटती गई आय

1. चुंगी क्षतिपूर्ति सिर्फ 24 करोड़ रु. महीना

2017 से पहले जनसंख्या के आधार पर चुंगी क्षतिपूर्ति राशि भी बढ़ती थी। इसे निगम वसूलता था। वेतन व बिजली खर्च की पूर्ति इसी से होती थी। फिर वसूली शासन स्तर पर होने लगी। अभी नगर निगम को चुंगी क्षतिपूर्ति का 24 करोड़ रुपए महीना मिलता है। जबकि कर्मचारियों के वेतन- पेंशन का खर्च ही 32 करोड़ रु. महीना है। 14 करोड़ का बिजली बिल है। इसे काटकर ही सरकार चुंगी क्षतिपूर्ति देती है।

2. लंबे समय से टैक्स रेट रिवाइज नहीं हुए

नगरीय निकाय की आय प्रॉपर्टी टैक्स, जल कर, सॉलिड वेस्ट, सर्विस चार्ज वगैरह की वसूली पर ही निर्भर है। लंबे समय से निगम ने इन टैक्स में बढ़ोतरी नहीं की है। भोपाल में केवल पानी व्यवस्था में ही 140 करोड़ रुपए सालाना खर्च हो जाते हैं। लेकिन इसके एवज में निगम केवल 50-60 करोड़ रुपए ही वसूली कर पाता है। ऐसा ही प्राॅपर्टी टैक्स, कचरा प्रबंधन या अन्य मदों के खर्च में भी होता है।

3. मुद्रांक शुल्क 40-45 करोड़ मिल रहा…

भोपाल में हुई रजिस्ट्री के मुद्रांक शुल्क का 1% हिस्सा नगर निगम को मिलता था। बाद में इसे बढ़ाकर 3% प्रति रजिस्ट्री कर दिया गया। साल में एक बार ये राशि भोपाल नगर निगम को मिलती थी, जो करीब 70-80 करोड़ रुपए तक होती थी। अब इसमें भी 25% तक कमी कर दी गई है। निगम को मुद्रांक शुल्क के नाम पर साल में एक बार केवल 40-45 करोड़ रुपए तक ही मिलते हैं, जो नाकाफी हैं।

भास्कर एक्सपर्ट – कमजोरों से ही हो रही वसूली… भ्रष्टाचार कम कर फिजूल खर्च रोकें

नगर निगम में बेहतर प्रशासनिक और वित्तीय प्रबंधन चौपट हो गया है इसलिए आज ऐसी हालत हो गई है। नगर निगम को खुद को जिंदा रखना है तो अपने सभी तरह के करों की वसूली समय पर और सभी से करनी होगी। अभी केवल या तो कमजोरों से वसूली हो पा रही है या उनसे जो कोई तनाव न चाहने के कारण खुद ही टैक्स जमा कर देते हैं। अफसर अपने यहां हो रहे भ्रष्टाचार पर लगाम लगाएं और फिजूल खर्च रोकें। हालात खुद सुधर जाएंगे। इसके लिए सख्त निर्णय लेने होंगे।

-केएस शर्मा, पूर्व मुख्य सचिव

राजस्व बढ़ाने के प्रयास जारी

राजस्व बढ़ाने के लिए हम लगातार काम कर रहे हैं। पिछले वर्ष की तुलना में इस साल अब तक हम 15% ज्यादा वसूली कर चुके हैं। कुछ बड़े बकाएदार केवल इसलिए बचे हैं, क्योंकि मामला न्यायिक प्रक्रिया के कारण अटका है।
– फ्रैंक नोबल ए, कमिश्नर नगर निगम भोपाल

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