सिंधिया समर्थक मंत्री-विधायकों की सीटों पर टकराव ….!

सिंधिया समर्थक मंत्री-विधायकों की सीटों पर टकराव
पुराने भाजपाई बोले- टिकट मांगना हमारा लीगल राइट, सिंधिया समर्थक बोले-हमारी भी तैयारी

भाजपा में सामान्य तौर पर कोई भी खुद को सार्वजनिक तौर पर टिकट का दावेदार नहीं कहता, लेकिन 8 महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में ये परंपरा टूटने वाली है। खासकर उन 19 सीटों पर जहां सिंधिया समर्थक विधायक भाजपा में आए थे। इनमें से विधानसभा उपचुनाव में 13 जीते थे, 6 को हार का सामना करना पड़ा था।

 …….. ने उपचुनाव में जीते मौजूदा मंत्री-विधायकों के साथ, हारे सिंधिया समर्थकों के अलावा भाजपा के मूल नेताओं से बात की। कार्यकर्ताओं से बात कर जमीनी हकीकत की पड़ताल की। सामने आया कि अधिकतर जगह टिकट के लिए अभी से खींचतान शुरू हो गई है। यहां नई भाजपा v/s पुरानी भाजपा की स्थिति बनी हुई है।

सिंधिया समर्थकों के आने से राजनीतिक वजूद के लिए संघर्ष कर रहे पुराने भाजपा नेता खुलकर कह रहे हैं- हां मैं टिकट का दावेदार हूं। टिकट मांगना लीगल राइट है। सिंधिया समर्थक मौजूदा विधायक-मंत्री कह रहे हैं, हमने तो तैयारी शुरू कर दी है। हारे हुए छह विधायक भी पीछे हटने को तैयार नहीं हैं।

19 विधानसभा क्षेत्रों में सिंधिया समर्थक मंत्री-विधायक, पूर्व मंत्री-विधायक के सामने कहां, कौन दावेदारी कर रहा है, पढ़िए ये रिपोर्ट…

सिंधिया के साथ आए 19 विधायकों में से 13 जीते थे और 6 हार गए थे उपचुनाव

ये जीते – 1. महेंद्र सिंह सिसोदिया 2. प्रद्युम्न सिंह तोमर 3. डॉ. प्रभुराम चौधरी 4. गोविंद सिंह राजपूत 5. तुलसी सिलावट 6. सुरेश धाकड़ 7. ओपीएस भदौरिया 8. राजवर्धन सिंह दत्तीगांव 9. कमलेश जाटव 10. हरदीप सिंह डंग 11. रक्षा संतराम सिरौनिया 12. जजपाल सिंह जज्जी 13. बृजेंद्र सिंह यादव

ये हारे 1. इमरती देवी 2. जसवंत जाटव 3. गिर्राज दंडोतिया 4. मुन्नालाल गोयल 5​.​​​​​​ रघुराज सिंह कंसाना 6. रणवीर जाटव

ग्वालियर : मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर बोले- सिंधियाजी और पार्टी तय करेगी टिकट; पवैया ने कहा- मैं भी सक्रिय हूं

2008 में पहली बार विधायक बने। 2018 में कांग्रेस सरकार में मंत्री बने। सिंधिया के कट्‌टर समर्थकों में हैं। सार्वजनिक स्थानों पर भी सिंधिया के पैर छूने से नहीं झिझकते। तब बीजेपी के जयभान सिंह पवैया को 21,044 वोटों से हराया था। उपचुनाव में कांग्रेस के सुनील शर्मा को 33,123 से हराया था।

क्या बोले तोमर- अभी विधायक हूं। प्रदेश सरकार में मंत्री हूं। लगातार क्षेत्र में सक्रिय रहता हूं। टिकट का फैसला सिंधिया जी और पार्टी करेगी।

ग्राउंड रियलिटी- तोमर की अपने विधानसभा क्षेत्र में सक्रियता है। वे कुछ ऐसा करते रहते हैं, जिससे चर्चा में आ जाते हैं।

ये भी टिकट के दावेदार- पूर्व विधायक जयभान सिंह पवैया इस बार भी टिकट के दावेदार हैं। पवैया के मुताबिक वो क्षेत्र में सक्रिय हैं। वो कहते हैं कि पार्टी मेरे हित में जो भी फैसला लेगी स्वीकार होगा।

ग्वालियर ईस्ट : मुन्नालाल गोयल को पार्टी से उम्मीद; अनूप मिश्रा बोले- मैं भी दावेदार

सिंधिया के कट्‌टर समर्थकों में शुमार हैं। 2018 में बीजेपी के सतीश सिंह सिकरवार को 17,819 वोटों से हराकर विधायक बने। उपचुनाव में सिकरवार कांग्रेस में चले गए। परिणाम आया तो सिकरवार गोयल को 8596 वोटों से हराकर विधायक बन गए।

गोयल का दर्द – उपचुनाव में कुछ लोगों के भितरघात की वजह से कामयाबी नहीं मिल पाई थी। अब मैं बीजेपी का कर्मठ कार्यकर्ता हूं। विधायक न रहते भी लोगों की समस्याओं का समाधान कराता हूं। टिकट का निर्णय पार्टी हाईकमान लेंगे।

मैदानी हकीकत – इस सीट पर व्यापारी वोटरों की अच्छी तादाद है। हार के बाद से गोयल क्षेत्र में कम सक्रिय रहे हैं।

ये भी दावेदार – बीजेपी के पूर्व विधायक अनूप मिश्रा टिकट मांग रहे हैं। हालांकि, उनका रिकॉर्ड रहा है कि वे एक सीट से जीतने के बाद दोबारा वहां से नहीं जीते हैं। इसकी वजह उनका व्यवहार बताया जाता है। अनूप मिश्रा कहते हैं मैं यहां से टिकट का दावेदार हूं, लेकिन अंतिम फैसला पार्टी लेगी।

डबरा : इमरती देवी का दावा- इस बार जीतकर दिखाऊंगी, कप्तान भी तैयारी में

सिंधिया समर्थक हैं और डबरा सीट से 2018 में बीजेपी प्रत्याशी कप्तान सिंह को हराकर विधायक चुनी गई थीं। 2020 के उपचुनाव में कांग्रेस के सुरेश राजे से 7633 वोटों से हार गईं।

क्या बोलीं इमरती- उपचुनाव में मेरी हार की वजह सब जानते हैं। पार्टी स्तर पर इसे मैं रख चुकी हूं। उपचुनाव की चूक मेरे सामने है। इस बार मैं ये सीट जीत कर दिखाऊंगी।

ग्राउंड रियलिटी – इस सीट पर जाति अहम है। एक जाति के खिलाफ वे खुलकर बोलती रहती हैं। बीजेपी के ही कुछ नेता उनके खिलाफ हैं। ऐसे में 2023 की राह आसान नहीं रहने वाली है।

ये भी दावेदार – बीजेपी नेता कप्तान सिंह इस बार भी टिकट के दावेदार हैं। कप्तान सिंह के मुताबिक पार्टी के लिए मुझे काम करना है। मुझे टिकट मिले या किसी और को, ये मायने नहीं रखता।

मुरैना : कंसाना ने जिन रुस्तम सिंह को हराया था उनके बेटे से टिकट की टक्कर

सिंधिया के खास लोगों में गिनती होती है। 2018 विधानसभा चुनाव में उन्होंने बीजेपी के दिग्गज रुस्तम सिंह को 20,849 मतों से हराया था। बीजेपी में आकर उपचुनाव लड़ा तो कंसाना कांग्रेस के राकेश मवई के हाथों 5,751 वोटों से हार गए।

कंसाना कहते हैं – उपचुनाव में मामूली मतों से हारा था। बीजेपी में टिकट देने का काम हाईकमान करता है। मैं एक कार्यकर्ता के तौर पर क्षेत्र में सक्रिय हूं।

ग्राउंड रियलिटी- मुरैना में जाति फैक्टर हावी। इस सीट पर बसपा का भी काफी प्रभाव है। 2020 के उपचुनाव में कंसाना की हार के लिए बसपा प्रत्याशी रामप्रकाश राजौरिया भी एक फैक्टर थे। उन्हें 43,084 वोट मिले थे।

ये भी टिकट की कतार में- इस बार रुस्तम सिंह के बेटे राकेश सिंह टिकट के दावेदार हैं। राकेश के मुताबिक वे क्षेत्र में सक्रिय हैं। कहा- पार्टी का अनुशासित सिपाही हूं। मैंने पार्टी के कहने पर एक झटके में जिला पंचायत अध्यक्ष का पद छोड़ा था।

दिमनी : दंडोतिया बोले- मैं तो तैयारी कर रहा हूं, शिवमंगल ने खुद को जीत वाला चेहरा बताया

सिंधिया के कट्‌टर समर्थक हैं। 2018 में बीजेपी प्रत्याशी शिवमंगल सिंह तोमर को 18,477 से हराया था। उपचुनाव में कांग्रेस के रवींद्र सिंह तोमर से 26467 वोटों से हार गए।

क्या बोले दंडोतिया- मैं हारने के बाद भी क्षेत्र में सक्रिय हूं। मेरे लोग गांव-गांव में फैले हैं। मैं अपनी ओर से चुनाव की तैयारी कर रहा हूं। टिकट का निर्णय पार्टी करेगी।

जमीनी हकीकत- इस सीट पर भी बसपा का प्रभाव है। 2020 के उपचुनाव में बसपा प्रत्याशी राजेंद्र सिंह कंसाना को 10,337 वोट मिले थे। इस सीट पर जाति का फैक्टर हावी रहता है। राजपूत और ब्राह्मण प्रत्याशियों में लड़ाई रहती है।

ये भी दावेदार- शिवमंगल सिंह इस बार भी दावेदार हैं। उनका तर्क है कि वे दंडोतिया से 10 हजार वोटों से हारे थे। उपचुनाव में दंडोतिया खुद 26 हजार से अधिक वोटों से हारे हैं। ऐसे में पार्टी को जीत वाले चेहरे पर ही दांव लगाना चाहिए। मुझे पार्टी टिकट देगी तो पूरी दमदारी से लड़ूंगा।

अंबाह : कमलेश जाटव बोले- मैं लगातार सक्रिय, दावेदार संजू ने खुद को निष्ठावान कार्यकर्ता बताया

सिंधिया के बड़े समर्थकों में से एक। 2018 के चुनाव में कमलेश को निर्दलीय नेहा किन्नर ने कड़ी टक्कर दी थी, तब वे 7,547 वोटों से जीत गए थे। उपचुनाव में कांग्रेस के सत्यप्रकाश शाक्यवार को 13,892 वोटों से हराया।

क्या बोले कमलेश- क्षेत्र में लगातार सक्रिय हूं। 2023 में भी बीजेपी की सरकार बनेगी। टिकट का निर्णय पार्टी करेगी।

ग्राउंड रियलिटी- इस सीट पर भी बसपा का प्रभाव है। 2020 के उपचुनाव में बसपा प्रत्याशी भानुप्रताप सिंह शाक्यवार को 8,029 मत मिले थे। कौन जीतेगा कौन हारेगा यह फैसला सर्वण मतदाता करते हैं। ये केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के प्रभाव वाला क्षेत्र है।

ये भी दावेदार- यहां से इस बार संजू जाटव भी टिकट के दावेदार बताए जा रहे हैं। संजू के मुताबिक पार्टी का निष्ठावान कार्यकर्ता हूं। जिसे भी टिकट मिलेगा, उसके साथ मिलकर काम करूंगा।

मेहगांव : ओपीएस भदौरिया के सामने दो दावेदार, एक दमदारी से लड़ने की कर रहे बात

भिंड जिले के मेहगांव सीट से 2018 में ओपीएस भदौरिया ने राकेश शुक्ला को 25,814 मतों से हराया था। डेढ़ साल बाद 2020 में हुए उपचुनाव में जीत का अंतर घटकर 12,036 रह गया। इस बार दूसरे नंबर पर कांग्रेस के हेमंत कटारे थे।

क्या बोले भदौरिया- लगातार दो बार जीता हूं। भाजपा में टिकट जिताऊ प्रत्याशी को ही मिलेगा।

ये भी दावेदार- यहां से बीजेपी के राकेश शुक्ला और मुकेश चौधरी भी दावेदार हैं। राकेश शुक्ला के मुताबिक पार्टी ने टिकट दिया तो दमदारी से लड़ूंगा। मुकेश चौधरी ने कहा कि ये सीट अभी बीजेपी के पास है। 2023 में भी पार्टी के पास सीट रहे, इसी हिसाब से प्रत्याशी तय करना होगा, लेकिन दावेदारी पर वो बोलने से बचते नजर आए।

गोहद : रणवीर जाटव को हार की कसक, दावेदार लाल सिंह आर्य बोले- मैं सक्रिय हूं

भिंड जिले की इस सीट से 2018 में रणवीर जाटव ने बीजेपी प्रत्याशी रहे लाल सिंह आर्य को 23,989 वोटों से हराया था। 2020 उपचुनाव में रणवीर कांग्रेस के मेवाराम जाटव से 11,899 वोटों से हार गए।

क्या बोले रणवीर– उपचुनाव में मामूली अंतर से हारा था। उस कसर को इस बार पूरा कर दूंगा। हालांकि, बीजेपी कैडर आधारित पार्टी है। यहां टिकट का निर्णय भी पार्टी ही करती है।

मैदानी हकीकत – इस सीट पर सपा-बसपा का प्रभाव है। 2020 के उपचुनाव में बसपा प्रत्याशी यशवंत पटवारी को 3,614 वोट मिले थे। रणवीर जाटव इस बार भी दावेदार हैं।

ये भी दावेदार- लाल सिंह आर्य भी टिकट के दावेदार हैं। आर्य बोले कि पार्टी की ओर से मैं क्षेत्र में सक्रिय हूं। टिकट का निर्णय पार्टी ही करेगी।

पोहरी : सुरेश धाकड़ ने पार्टी पर छोड़ी बात, पूर्व विधायक भारती भी सक्रिय हैं

सिंधिया के समर्थन में कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी में गए थे। शिवपुरी जिले की पोहरी विधानसभा सीट से 2018 में बीएसपी के कैलाश कुशवाहा को 7,918 वोटों से हराया था। तब बीजेपी तीसरे स्थान पर थी। 2020 उपचुनाव में धाकड़ ने कुशवाहा को 22,496 वोटों से हराया। इस बार इस सीट पर कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही।

क्या बोले धाकड़- बीजेपी में हाईकमान ही टिकट तय करती है। ऐसे में मुझे टिकट मिलेगा या नहीं, ये पार्टी को तय करना है।

ग्राउंड रियलिटी- इस सीट पर बसपा का जनाधार है। दो बार से कैलाश कुशवाहा को हार मिली है। इस बार भी वे क्षेत्र में सक्रिय हैं। उनके पक्ष में सहानुभूति भी है। धाकड़ को इस बार इसी सिम्पैथी का मुकाबला करना होगा।

ये भी दावेदार- प्रह्लाद भारती 2013 में इस सीट से विधायक रह चुके हैं। इस बार भी वे दावेदार हैं। भारती के अनुसार उपचुनाव में धाकड़ के पक्ष में प्रचार किया था। इस बार भी पार्टी के लिए काम करूंगा।

करेरा : जसवंत जाटव के साथ खटीक दावेदार, दोनों बोले- पार्टी जो तय करेगी वह मंजूर

सिंधिया के खास सिपहसालार माने जाते हैं। 2018 चुनाव में बीजेपी के ओमप्रकाश खटीक को 14,824 मतों से हराया था। 2020 के उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी प्रागीलाल जाटव से जसवंत 30,641 वोटों से हार गए।

क्या बोले जाटव- बीजेपी में संगठन तय करता है कि किसे टिकट मिलेगा और कौन पार्टी के लिए काम करेगा।

ग्राउंड रियलिटी- इस सीट पर सपा का भी प्रभाव है। 2020 उपचुनाव में सपा प्रत्याशी को 7023, राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के प्रत्याशी को 3177 और बसपा प्रत्याशी को 2547 वोट मिले थे। जाटव की राह इस बार भी आसान नहीं।

ये भी दावेदार- बीजेपी के ओमप्रकाश खटीक दावेदार माने जा रहे हैं। खटीक के मुताबिक पार्टी जिसे भी टिकट देगी, मैं उसके साथ हूं।

भांडेर : 161 वोटों से जीती रक्षा संतराम सिरोनिया के सामने दो-दो दावेदार

दतिया जिले की इस सीट से 2018 के चुनाव में कांग्रेस की रक्षा संतराम सिरोनिया ने बीजेपी की रजनी प्रजापति को 39,896 वोटों से हराया था। उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी फूल सिंह बरैया ने कड़ी टक्कर दी और जीत का अंतर 161 वोटों का रहा।

क्या बोली सिरोनिया- उपचुनाव में जीत का अंतर क्यों घट गया था सभी को मालूम है। पार्टी को पता है कि यहां कौन योग्य प्रत्याशी है।

जमीनी हकीकत- 2020 के उपचुनाव में बसपा प्रत्याशी महेंद्र बोध को 7055 वोट मिले थे। यही कारण था कि कांग्रेस के बरैया हार गए। इस बार बरैया के पक्ष में सहानुभूति है।

ये भी दावेदार- बीजेपी के घनश्याम पिरोनिया को हाल ही में बांस बोर्ड निगम का चेयरमैन बनाया है। वे भी दावेदार हैं। हरीश खटीक दूसरे दावेदार हैं। घनश्याम पिरोनिया के मुताबिक बीजेपी में कोई भी निर्णय शीर्ष नेतृत्व तय करता है।

बमोरी : सिसौदिया तैयारी शुरू कर चुके हैं, किरार ने कहा- टिकट मांगा है

गुना जिले की बमोरी सीट से 2018 में महेंद्र सिंह सिसौदिया ने बीजेपी के बृजमोहन सिंह आजाद को 27,920 मतों से हराया था। वहीं 2020 उपचुनाव में 53,153 वोटों से कांग्रेस के कन्हैयालाल रामेश्वर अग्रवाल को हराया।

सिसौदिया कहते हैं – लगातार दो जीत के अंतर से स्पष्ट है कि इस क्षेत्र में किसका क्या प्रभाव है? 2023 विधानसभा की तैयारी मैं शुरू कर चुका हूं।

ग्राउंड रियलिटी- सिसौदिया की क्षेत्र में अच्छी पैठ है। लोग आसानी से अपनी बात उन तक पहुंचा सकते हैं। आदिवासियों में वे लोकप्रिय हैं।

ये भी दावेदार- पूर्व प्रत्याशी बृजमोहन सिंह यादव के बेटे महेंद्र सिंह किरार दावेदार हैं। ये परिवार सीएम का करीबी माना जाता है। महेंद्र के अनुसार टिकट मांगा हैं, लेकिन अंतिम निर्णय पार्टी ही करेगी।

अशोकनगर : जज्जी ने 2018 में जिन लड्‌डूराम कोरी को हराया था, वे भी दावेदारी कर रहे हैं

अशोकनगर जिले की इस सीट के विधायक जजपाल सिंह जज्जी ने विधानसभा 2018 के चुनाव में लड्‌डूराम कोरी को 9730 वोटों से हराया था। उपचुनाव में कांग्रेस की आशा दोहरे को 14,630 से शिकस्त दी।

जज्जी के बोले- बीजेपी 2023 में भी ये सीट भारी वोटों से जीतेगी। मुझे पूरा विश्वास है कि इस बार भी पार्टी के भरोसे पर खरा उतरूंगा।

ग्राउंड पर ये हाल – जाति प्रमाण पत्र के मामले में फंसे हैं। फिलहाल मामला कोर्ट में है। बताया जा रहा है कि बागेश्वर महाराज की कथा कराने के बाद से उनके पक्ष में माहौल बना है।

ये भी दावेदार- लड्‌डूराम कोरी भी टिकट के दावेदार हैं। कोरी के मुताबिक पार्टी के निर्णय के साथ रहूंगा।

मुंगावली : राज्यमंत्री बृजेंद्र सिंह यादव के क्षेत्र में डॉ. पाल ने भी मांगा है टिकट

अशोक नगर की इस सीट से राज्यमंत्री बृजेंद्र सिंह यादव ने बीजेपी प्रत्याशी रहे डॉ. कृष्णा पाल सिंह को 2136 वोट से हराया था। 2020 उपचुनाव में कांग्रेस के कन्हैयाराम लोधी पर 21,469 वोट से जीत दर्ज की।

क्या बोले बृजेंद्र सिंह- 2023 में बीजेपी गुजरात की तरह जीत दर्ज करेगी। टिकट का निर्णय पार्टी करेगी।

ग्राउंड रियलिटी- सीट यादव बहुल है। केपी यादव इसी सीट से सांसद हैं। उनके बयान कई बार पार्टी के लिए असहज स्थित पैदा कर देते हैं। ये पार्टी प्रत्याशी को भारी पड़ सकता है।

ये भी दावेदार- डॉ. कृष्णा पाल सिंह भी दावेदार हैं। डॉ. पाल के मुताबिक मैंने टिकट मांगा है। फिर भी पार्टी का निर्णय ही अंतिम रहेगा।

सुरखी : गोविंद सिंह राजपूत के सामने दो दावेदार, एक बोले- टिकट मांगना लीगल राइट

बुंदेलखंड में सबसे बड़े सिंधिया सर्मथक नेता माने जाते हैं। कमलनाथ सरकार में भी मंत्री थे। 2018 में राजपूत ने बीजेपी के सुधीर यादव को 21, 418 वोटों से हराया था। उपचुनाव में कांग्रेस की पारुल साहू को 40,991 से हराया था।

क्या बोले राजपूत- 2023 के चुनाव में सागर जिले में बीजेपी सभी सीटों पर जीत दर्ज करेगी। टिकट देने का काम पार्टी का है। मैं एक दिन का नेता नहीं हूं। 24 घंटे और साल के 365 दिन क्षेत्र के लोगों के लिए काम करता हूं।

ग्राउंड रिपोर्ट- सागर जिले के एक मंत्री से उनकी अंदरूनी तौर पर पटरी नहीं बैठती है। बीजेपी के बागी हो चुके राजकुमार धनौरा से पारिवारिक लड़ाई और जमीन दान के मामले में सफाई देना पड़ी।

ये भी दावेदार- खनिज विभाग के उपाध्यक्ष राजन सिंह मोखलपुर दावेदार हैं। राजन सिंह के मुताबिक पार्टी से टिकट मांगना हर नेता, कार्यकर्ता का लीगल राइट है। पूर्व प्रत्याशी सुधीर यादव बंडा क्षेत्र में सक्रिय हैं। वहां वर्तमान में कांग्रेस विधायक हैं। सुधीर के मुताबिक चुनाव लड़ना मेरा खानदानी पेशा है। चुनाव तो लड़ेंगे ही। कहां से लड़ेंगे इसके बारे में आप मीडिया वाले पता लगाओ। मैं अभी पत्ते नहीं खोलूंगा।

सांवेर : तुलसी सिलावट बोले- पार्टी चाहेगी तो लड़ूंगा, सोनकर भी दावेदारी कर रहे

मालवा क्षेत्र में सिंधिया के कट्‌टर समर्थक। 2018 में बीजेपी के डॉ. राजेश सोनकर को 2945 वोटों से हराया था। बीजेपी में शामिल होने के बाद हुए उपचुनाव में कांग्रेस के प्रेमचंद गुड्‌डू को 53,264 से हराया।

सिलावट कहते हैं- 2023 में पार्टी और क्षेत्र की जनता चाहेगी तो मैं चुनाव लड़ूंगा।

ग्राउंड रियलिटी- इंदौर बीजेपी का गढ़ माना जाता है। सिलावट का प्रभाव इस सीट पर बना हुआ है। उपचुनाव में तुलसी ने ये कहकर प्रचार किया था कि ये उनका आखिरी चुनाव है।

ये भी दावेदार- तुलसी के खिलाफ पूर्व में प्रत्याशी रह चुके डॉ. राजेश सोनकर भी मजबूत दावेदार हैं। सोनकर के मुताबिक पार्टी के निर्णय के साथ रहूंगा।

बदनवार : दत्तीगांव बोले दो चुनाव बड़े अंतर से जीता हूं, भानवर ने भी मांगा टिकट

धार जिले के बदनावर से आने वाले राजवर्धन सिंह ने 2018 के चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी भानवर सिंह शेखावत को 41,506 वोटों से हराया था। उपचुनाव में कांग्रेस के कमाल सिंह पटेल को 32,133 मतों से हराया था।

क्या बोले दत्तीगांव- लगातार दो चुनाव बड़े अंतर से जीता हूं। 2023 के लिए भी मेरी दावेदारी है। अंतिम निर्णय पार्टी का होगा।

जमीनी हकीकत- एक युवती का आरोप लगाते वीडियो वायरल होने के बाद उन्हें सफाई देना पड़ी थी। क्षेत्र में पूरी तरह सक्रिय हैं, लेकिन पार्टी के पुराने लोगों से अभी पूरी तरह से नहीं घुल मिल पाए हैं।

ये भी दावेदार- भानवर सिंह 2013 में विधायक रह चुके हैं। इस बार भी उन्होंने टिकट मांगा है। भानवर सिंह के मुताबिक पार्टी के हर निर्णय के साथ हूं।

सांची : डॉ. प्रभुराम चौधरी की तैयारी जारी है, शेजवार के पुत्र मुदित फिर लड़ना चाहते हैं

रायसेन जिले की सांची सीट से 2018 में डॉ. प्रभुराम चौधरी ने बीजेपी प्रत्याशी मुदित शेजवार को 10, 813 मतों से हराया था। उपचुनाव में 63, 809 मतों से कांग्रेस के मदनलाल चौधरी को हराया था।

ये बोले प्रभुराम- लगातार दो बार से जीत दर्ज की है। उपचुनाव में सबसे अधिक अंतर से जीत हासिल की थी। 2023 में भी दावेदार हूं। मेरी तैयारी जारी है।

ग्राउंड रियलिटी- क्षेत्र में हर समय उपलब्ध रहते हैं। किसी के भी निमंत्रण पर पहुंच जाते हैं। ये उनकी लोकप्रियता का आधार भी है। ये सीट बीजेपी के दिग्गज गौरीशंकर शेजवार की है।

ये भी दावेदार- मुदित शेजवार भी दावेदार हैं। वे भी क्षेत्र में लगातार सक्रिय हैं। शेजवार के मुताबिक मैंने भी पार्टी से टिकट मांगा है। जो भी निर्णय होगा, उसके साथ रहूंगा।

सुवासरा : हरदीप सिंह डंग- मैं विधायक हूं, मेरा दावा तो बनता ही है

मंदसौर जिले की सुवासरा सीट से हरदीप सिंह डंग ने 2018 में बीजेपी के राधेश्याम नानालाल पाटीदार को 350 वोटों से हराया था। उपचुनाव 2020 में उनका मुकाबला कांग्रेस के राकेश पाटीदार से था। उन्हें 29, 440 से हराया ।

क्या बोले डंग- बीजेपी में सब कुछ केंद्रीय नेतृत्व से तय होता है। 2023 में टिकट भी शीर्ष नेतृत्व ही तय करेगा। मैं अभी विधायक हूं तो मेरा दावा तो बनता ही है।

जमीनी हकीकत- डंग के साथ कांग्रेस कार्यकर्ता भी बीजेपी में शामिल हुए थे, लेकिन अभी तक वे पार्टी में पूरी तरह घुल मिल नहीं पाए हैं। डंग के साथ शामिल कार्यकर्ताओं को अधिक तवज्जो मिलना पुराने कार्यकर्ताओं को ठीक नहीं लगता। ऐसे में भितरघात का डर बना हुआ है।

ये भी दावेदार- राधेश्याम पाटीदार दावेदार हैं, हालांकि पार्टी ने उनकी बहू दुर्गा विजय पाटीदार को जिला पंचायत अध्यक्ष बना दिया है। राधेश्याम के मुताबिक पार्टी ने बहुत किया है। पार्टी के हर निर्णय में साथ दूंगा।

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