भारत की 16.6 प्रतिशत आबादी है कुपोषण का शिकार
क्या आप भी नहीं खाते हैं ‘ढंग का खाना’, भारतीयों से जुड़ी संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में आंकड़ा चौंकाने वाला
भारत की 74.1 प्रतिशत आबादी ऐसी है जो पोषक आहार नहीं ले पाती. कोविड 19 महामारी के बाद इन आंकड़ों में इजाफा देखा गया है.
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) के द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट ने हाल ही में सभी को चौंका कर रख दिया है. मंगलवार को जारी की गई इस रिपोर्ट में सामने आया है कि भारत में साल 2021 में 74.1 प्रतिशत भारतीय स्वस्थ आहार लेने में असमर्थ थे. वहीं साल 2020 के आंकड़ों पर गौर करें तो ये 76.2 प्रतिशत था. पड़ोसी देश पाकिस्तान में 82.2 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो स्वस्थ खाना नहीं खा पाते. वहीं बांग्लादेश में ये आंकड़ा 66.1 प्रतिशत है.
इस रिपोर्ट में लोगों के स्वस्थ आहार न लेने की वजह भी चौंकाने वाली है. दरअसल रिपोर्ट की मानें तो कई लोग घटती आय और बढ़ती महंगाई की वजह से लोग अच्छा खाना नहीं खा पाते और उन्हें कंजूसी में जीवन यापन करना पड़ रहा है.
कोविड-19 के बाद और बिगड़े हालात
एफएओ ने इस रिपोर्ट में ये भी चेतावनी दी है कि बढ़ती महंगाई और घटती आय की वजह से हर दिन लोगों के लिए दो वक्त का भोजन जुगाड़ना मुश्किल हो रहा है. ऐसे में स्वस्थ आहार लेने के बारे में वो सोच भी नहीं पाते. रिपोर्ट की माने तो ‘यदि भोजन की लागत बढ़ती है और साथ ही आय में गिरावट आती है, तो एक जटिल प्रभाव पड़ता है जिसके परिणामस्वरूप और भी अधिक लोग स्वस्थ आहार लेने में असमर्थ हो सकते हैं.’
ये आंकड़े ‘खाद्य सुरक्षा और पोषण का क्षेत्रीय अवलोकन 2023: सांख्यिकी और रुझान’ के हैं. जो मंगलवार को सामने आई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी और “5Fs” संकट के चलते लोगों को कई तरह की आर्थिक परेशानियों से गुजरना पड़ रहा है. दरअसल महामारी के आर्थिक प्रभावों की वजह से खाने की बढ़ती कीमतों ने 11.2 करोड़ से ज्यादा लोगों को हेल्दी डाइट का खर्च उठाने में असमर्थ बना दिया है. इसका साफ मतलब है कि दुनियाभर में कुल 3.1 बिलियन लोग ऐसे हैं जो इस खर्च को अफोर्ड नहीं कर पा रहे हैं.
भारत में स्वस्थ आहार पर हर दिन कितना खर्च करता है एक व्यक्ति
एफएओ की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में एक व्यक्ति अपनी डाइट पर 2.97 डॉलर यानी 247 रुपए प्रतिदिन खर्च कर रहा है. इसके मुताबिक उसे अपनी डाइट के लिए हर महीने 7,310 रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं. ऐसे में 4 लोगों के परिवार में ये आंकड़ा 29,210 रुपए बैठता है जो भारत में हर व्यक्ति की आय नहीं है.
आंकड़े के अनुसार लगभग 80 करोड़ यानी 60 प्रतिशत भारतीय सरकार की ओर से दी जाने वाली सब्सिडी वाले राशन पर निर्भर हैं. लाभार्थियों को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत मुफ्त पांच किलोग्राम अनाज की विशेष सहायता के अलावा, प्रति व्यक्ति हर महीने सिर्फ 2-3 रुपये प्रति किलो के हिसाब से पांच किलो अनाज दिया जाता है. हालांकि खाद्य सब्सिडी कार्यक्रम को अक्सर आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ता है, क्योंकि इस योजना के तहत दिए जाने वाले राशन में पर्याप्त कैलोरी की आपूर्ति तो की जाती है लेकिन पर्याप्त पोषण का ध्यान नहीं रखा जाता.
2030 तक कैसे होंगे हालात?
एफएओ की रिपोर्ट के मुताबिक अभी दुनिया की बड़ी आबादी भूखे पेट सो रही है. ऐसे में साल 2030 तक भूखे पेट सोने वालों का आंकड़ा 84 करोड़ हो जाएगा. आंकड़े देखकर ये अनुमान लगाया गया है कि 2014 के बाद से भूखे पेट सोने वालों की आबादी लगातार धीरे-धीरे बढ़ रही है. ऐसे में भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान समेत दुनिया के कई गरीब और पिछड़े देशों में जिस तरह के हालात हैं उससे आने वाले समय में भुखमरी के हालात और गंभीर होने का अनुमान है.
इन सभी हालातों से इतर देश में खाने की बर्बादी के आंकड़ों पर नजर डालें तो देश में हर साल प्रति व्यक्ति 50 किलो खाना बर्बाद होता है. भारत में कुल खाने की बर्बादी का अनुमान लगाएं तो हर साल देश में 68,760,163 टन खाना बर्बाद हो जाता है. वहीं अमेरिका में ये आंकड़ा 19,359,951 टन है तो वहीं चीन में 91,646,213 टन खाना बर्बाद हो जाता है.