SBI की रिपोर्ट में दावा- ‘लाड़ली बहना’ से जीती भाजपा !

SBI की रिपोर्ट में दावा- ‘लाड़ली बहना’ से जीती भाजपा …
जिन 24 विधानसभा सीटों पर हारने का डर था, वहां भी पलटी बाजी

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा की बंपर जीत के पीछे लाड़ली बहना योजना मुख्य वजह रही या मोदी की गारंटी? नतीजे आने के बाद इसे लेकर काफी बयानबाजी हुई। हाल ही में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की तरफ से जारी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भाजपा की जीत के पीछे मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना एक प्रमुख फैक्टर रहा।

रिपोर्ट में बताया गया है कि एमपी में 10 हजार से कम मार्जिन वाली सीटों में भाजपा की जीत का चांस 28 प्रतिशत था, लेकिन लाड़ली बहना इफेक्ट के चलते जीत का चांस 100 प्रतिशत हो गया। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2029 के बाद सभी चुनावों में महिला वोटर निर्णायक होंगी।

एसबीआई के मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. सौम्य कांतिघोष और उनकी टीम ने इस रिपोर्ट को तैयार किया है। डॉ. सौम्य कांतिघोष ने ही किसानों के लिए पीएम किसान योजना और MSME सेक्टर के लिए ECLG स्कीम का खाका तैयार किया है। वे क्रेडिट हेल्थ गारंटी स्कीम को भी डिजाइन कर चुके हैं। लाड़ली बहना को लेकर तैयार की गई रिपोर्ट में उन्होंने लोकसभा 2024 के साथ ही वर्ष 2047 को लेकर भी एक राजनीतिक डेटा पेश किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक अब देश की राजनीति को महिला वोटर्स ही दिशा देंगी। पढ़िए पूरी रिपोर्ट…

लाड़ली बहना की वजह से हर 8वीं सीट पर भाजपा ने जीत दर्ज की: रिपोर्ट
एसबीआई की टीम ने लाड़ली बहना स्कीम के 32 प्रतिशत लाभार्थियों के डेटा के आधार पर रिसर्च की। रिपोर्ट के अनुसार-

  • 60 प्रतिशत लाभार्थियों की उम्र 35 साल और उससे ज्यादा।
  • 36 प्रतिशत लाभार्थियों की उम्र 25 से 35 साल।
  • योजना में कवर की गई 94% महिलाओं की उम्र 25 साल से ज्यादा।
  • 1 प्रतिशत लाभार्थी दूसरे राज्यों यूपी, बिहार, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, गुजरात, छत्तीसगढ़, दिल्ली, झारखंड, महाराष्ट्र, ओडिशा और राजस्थान में रह रहे हैं।

रिपोर्ट में बताया गया है

  • लाड़ली बहना की वजह से एमपी में 1 प्रतिशत वोट भाजपा को जिलेवार बढ़कर मिले हैं। जिलेवार चुनावी सफलता में इसकी दर 0.36 प्रतिशत है।
  • 8 निर्वाचन क्षेत्रों में हर एक में औसतन लाड़ली बहना इफेक्ट्स के चलते भाजपा को जीत मिली है। 8 जिलों में कम से कम 30 से 35 सीटें हैं।

करीबी मुकाबले वाली सीटों पर भाजपा ने ऐसे जीत दर्ज की
एसबीआई की रिपोर्ट में बताया गया है कि मुख्यमंत्री लाड़ली बहना स्कीम महिला सशक्तिकरण का एक प्रमुख उदाहरण है। इस योजना के चलते महिलाएं आर्थिक रूप से अधिक स्वतंत्र हुई हैं। वे अपनी प्राथमिकताओं के अनुसार इस पैसे को खर्च कर रही हैं। बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण में भी इससे फर्क आया है। यही कारण था कि जब वोट देने की बारी आई तो महिलाओं ने भाजपा के पक्ष में मतदान किया।

रिपोर्ट के मुताबिक -2023 के चुनाव में विधानसभा की 24 सीटें ऐसी थीं जहां भाजपा को कड़ी टक्कर मिल रही थी। 70 फीसदी सीटों पर कांग्रेस का पलड़ा भारी नजर आ रहा था, लेकिन लाड़ली बहना योजना की वजह से सभी पर भाजपा जीत गई। इनमें शाजापुर, मांधाता, गुन्नौर, सोहागपुर, सुरखी, जावद, गुढ़, ग्वालियर दक्षिण, सेंधवा, लांजी, करैरा, धौहनी, अलीराजपुर, त्योंथर, मुंगावली, बड़वाह, शाहपुरा, पेटलावद, राजनगर, महेश्वर, छतरपुर, मऊगंज, आष्टा और सबलगढ़ शामिल है। इन 24 सीटों में भाजपा के पास 2018 में सिर्फ 7 सीटें सोहागपुर, जावद, गुढ़, धौंहनी, त्योंथर, मुंगावली और आष्टा ही थी।

लाड़ली बहना ने एंटी इनकम्बेंसी को प्रो-इनकम्बेंसी में बदल दिया
रिपोर्ट के मुताबिक 18 साल से सत्ता में रही भाजपा के प्रति चुनाव से पहले एंटी इनकम्बेंसी थी। लाड़ली बहना स्कीम के चलते ये प्रो-इनकम्बेंसी में बदल गया। लाड़ली बहना का असर ये रहा कि इस बार 2018 की तुलना में 3.67 लाख अधिक महिलाओं ने मतदान किया। सर्वाधिक महिलाओं वाले तीन जिले पन्ना, विदिशा व दमोह जिलों में लाड़ली बहना योजना के चलते सभी निर्वाचन क्षेत्रों में बीजेपी की जीत हुई।

सर्वाधिक महिला सशक्तिकरण वाले 10 जिलों में लाड़ली बहना के चलते बालाघाट को छोड़कर अन्य में कम से कम 50 प्रतिशत निर्वाचन क्षेत्रों में भाजपा को जीत मिली है।

हर महीने 1600 करोड़ रुपए लाड़ली बहना स्कीम पर खर्च कर रही सरकार
एमपी सरकार ने 28 जनवरी 2023 को लाड़ली बहना योजना लागू करने की घोषणा की थी। योजना में पात्र महिला को उसके आधार कार्ड से लिंक्ड बैंक खातों में डीबीटी के माध्यम से अब 1250 रुपए का भुगतान कर रही है। मतलब लाड़ली बहना स्कीम से हर महिला को साल में 15 हजार रुपए का भुगतान किया जाना है। इस राशि को तीन हजार तक बढ़ाने का आश्वासन दिया गया था।

वर्तमान में कुल पात्र महिलाएं 1.31 करोड़ हैं। ये प्रदेश की कुल आबादी का 30 प्रतिशत है। योजना के तहत सरकार को हर महीने औसतन 1600 करोड़ रुपए बांटने पड़ रहे हैं। रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि महिलाएं अकाउंट में आने वाले पैसों की बचत भी कर रही हैं। 87 प्रतिशत लाभार्थियों के खातों में औसतन 7500 से कम और 13 प्रतिशत खातों में औसत 7500 से अधिक जमा राशि हैं।

महिलाओं की योजनाओं पर इसी कारण सरकारें मेहरबान
एसबीआई की रिपोर्ट में बताया गया है कि हाल के कुछ सालों में राज्य से लेकर केंद्र सरकार की स्कीम महिलाओं को केंद्रित कर तैयार की जा रही है, इसका कारण भी साफ है। दरअसल, पिछले पांच साल में देश में 23 राज्यों में चुनाव हुए। इसमें 18 राज्यों में महिलाओं का मतदान प्रतिशत अधिक था। इसमें 18 राज्यों में सत्तारूढ़ पार्टी की सरकार दोबारा बनी।

इसमें 10 राज्य ऐसे हैं, जहां पुरुषों की तुलना में महिलाओं ने अधिक मतदान किया था। रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे महिला मतदाता की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है।

  • 2014 लोकसभा चुनाव में 2009 की तुलना में 13.7 करोड़ ज्यादा वोट पड़े।
  • कुल 55 करोड़ लोगों ने वोट डाले इसमें 26 करोड़ महिलाएं थीं।
  • 2019 में 62 करोड़ लोगों ने मतदान किया इसमें 30 करोड़ महिलाएं थीं।

अब रिपोर्ट के मुताबिक अनुमान है कि 2024 में 68 करोड़ लोग मतदान करेंगे। इसमें महिलाओं की संख्या 33 करोड़ और भागीदारी 49 प्रतिशत होगी। जबकि 2029 में कुल मतदान 73 करोड़ के आसपास होने की संभावना है। इसमें 37 करोड़ महिलाओं की और 36 करोड़ पुरुषों की भागीदारी होगी। लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण के बाद ये आंकड़े और बढ़ सकते हैं।

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