नोएडा : कब तक किसानों से होगी वादाखिलाफी ?

4 संगठनों के हजारों किसान आक्रोशित, 1976 से किसानों को नहीं मिला हक, 2019 से सिर्फ बातचीतये चित्र 11 दिसंबर का है। ये भारतीय किसान परिषद के बैनर तले मांगों को लेकर प्राधिकरण पर पहुंचे थे। - Dainik Bhaskar
ये चित्र 11 दिसंबर का है। ये भारतीय किसान परिषद के बैनर तले मांगों को लेकर प्राधिकरण पर पहुंचे थे।

महज दो महीने की शांति के बाद नोएडा में फिर से किसान आक्रोशित है। किसानों का आरोप है कि नोएडा प्राधिकरण उनके साथ वादाखिलाफी कर रहा है। एक बार नहीं दर्जनों बैठक के बाद भी किसानों की मांग को शब्दों के फेर में फंसाकर उनको आश्वस्त किया जाता रहा। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।

नोएडा प्राधिकरण के खिलाफ तीन किसान संगठन इस समय पंचायत और प्रदर्शन कर अपना आक्रोश जाहिर कर रहे है। वहीं अब एनटीपीसी दादरी के किसानों ने भी नोएडा का रुख कर लिया है।चौंकाने वाली बात ये है कि ये किसान 1976 से लेकर 1997 के बाद तक के है। 1976 में भी नोएडा प्राधिकरण की स्थापना हुई थी। माना जाए तो तब से लेकर अब किसान प्राधिकरण और उसकी नीतियों से खुश नहीं है।

प्राधिकरण के बाहर रोजाना किसान प्रदर्शन की शुरुआत हवन के साथ करते है।
प्राधिकरण के बाहर रोजाना किसान प्रदर्शन की शुरुआत हवन के साथ करते है।

अब आपको बताते है कौन कौन से संगठन आंदोलन और पंचायतों में शामिल है

  • भारतीय किसान परिषद
  • भारतीय किसान यूनियन (मंच)
  • किसान एकता संघ
  • भारतीय किसान यूनियन (टिकैत)
नोएडा प्राधिकरण के सीईओ के साथ रोजाना वार्ता के बाद भी नहीं निकल रहा कोई समाधान
नोएडा प्राधिकरण के सीईओ के साथ रोजाना वार्ता के बाद भी नहीं निकल रहा कोई समाधान

अब विस्तार से जानते है किसानों ने क्यों प्राधिकरण पर लगाया वादाखिलाफी का आरोप

नोएडा विकास प्राधिकरण की वादाखिलाफी से किसान आक्रोशित है। ये वादाखिलाफी एक बार नहीं, बल्कि 2019 से लगातार किसानों के साथ हो रही है। पहली बार 10% विकसित भूखंड या इसके बराबर मुआवजे की मांग को लेकर किसानों ने प्रदर्शन किया। इसके बाद हर साल कभी लगातार 4 तो कभी 6 महीने तक किसान प्राधिकरण की चौखट पर बैठे रहे।

19 सितंबर 2023 को किसानों को प्राधिकरण ने आश्वासन दिया कि अक्टूबर 2023 की बोर्ड बैठक में आपकी मांग को प्रस्तुत कर शासन को भेजा जाएगा। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। 2 नवंबर को प्राधिकरण की 212वीं बोर्ड में किसानों की मांग को अनुमोदित करते हुए शासन को भेजा गया। वहां से कोई जवाब नहीं आया। भारतीय किसान परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखवीर ख़लीफ़ा ने कहा, हमारी मांगों पर लिखित आश्वासन देने के बाद भी वादाखिलाफी की गई। जब तक हमारी मांगों को पूरा नहीं किया जाता धरना जारी रहेगा।

  • प्राधिकरण के विरोध में 10 % की मांग को लेकर पहली बार 2019-20 में किसानों ने खोला मोर्चा।
  • किसानों ने 2019-20 में 5 व 10 % विकसित भूखंड या इसके समतुल्य धनराशि की मांग को लेकर प्राधिकरण पर धरना दिया।
  • किसानों ने मांग की कि 10 प्रतिशत के अतिरिक्त भूखंड को प्राप्त करने के लिए कोर्ट की बाध्यता को समाप्त किया जाए।
  • इसके अलावा 1997 से 2014 तक के सभी किसानों को 10 % भूमि या इसके समतुल्य मुआवजा दिया जाए।
  • किसानों ने तर्क दिया कि न्यायालय के आदेश पर आपने जो किसान न्यायालय गए उनको 10 प्रतिशत जमीन दी। लेकिन उसी दौरान हमारी जमीन भी अधिग्रहीत की गई।
  • किसानों ने यह भी कहा जिन किसानों ने न्यायालय से याचिका वापस ली या जो आपके कहने पर न्यायालय नहीं गए उनको भी आपके द्वारा 5 प्रतिशत अतिरिक्त प्लाट दिया गया।
  • इस धरने के बाद पहली बार प्राधिकरण ने बोर्ड में किसानों से संबंधित प्रस्ताव भेजा गया जिसे बोर्ड ने निरस्त कर दिया।
  • 2020-21 में दोबारा से किसानों ने प्राधिकरण पर धरना देते हुए तालाबंदी की अब बोर्ड से प्रस्ताव शासन को भेजा गया
  • किसानों ने इसी मांग को लेकर 2020-21 में धरना प्रदर्शन किया। जिसके बाद प्राधिकरण ने किसानों की मांग के अनुरूप 4 जनवरी 2021 को शासन को मांग पत्र भेज दिया। साथ ही 11 मार्च , 29 अक्टूबर 2022 और 14 मार्च 2023 को रिमाइंडर भी भेजा गया। जवाब नहीं आने पर किसानों ने जून 2023 से 19 सितंबर 2023 तक फिर प्राधिकरण पर लगातार धरना दिया। इस धरने में भी किसानों को 10 प्रतिशत विकसित भूखंड को भी प्राथमिकता दी गई।
  • इस दौरान किसानों ने मांग की कि ग्रेटरनोएडा प्राधिकरण और किसानों के बीच हुए सहमति को आधार बनाकर उनकी मांग को नवंबर 2023 में आयोजित हुई बोर्ड में रखकर शासन को भेजा गया। लेकिन जवाब नहीं आने पर दोबारा से प्रदर्शन शुरू कर दिया गया।
ये चित्र भारतीय किसान यूनियन मंच का है। जिसमें ज्ञापन सौंपने के बाद कार्यालय में पदाधिकारी
ये चित्र भारतीय किसान यूनियन मंच का है। जिसमें ज्ञापन सौंपने के बाद कार्यालय में पदाधिकारी

भारतीय किसान यूनियन ( मंच) ने सौंपा मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन
ये दूसरा संगठन है जो लगातार प्रदर्शन और ज्ञापन सौंप रहा है। मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुधीर चौहान ने बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन सौंप है। इसके जरिए वो प्राधिकरण की वादाखिलाफी के बारे में अवगत कराना चाहते है। उन्होंने बताया कि नोएडा प्राधिकरण ने पिछले दिनों 212 बोर्ड मीटिंग में मद संख्या मध्य संख्या 212/10 में वर्ष 1997 से सभी किसानों को 10 प्रतिशत आबादी भूखंड व उसके समतुल्य धनराशि देने के लिए प्रदेश सरकार को संदर्भित किया जाने का निर्णय लिया गया था।

उपरोक्त इस बिंदु को बोर्ड मीटिंग के सभी मानद एवं नामित सदस्यों ने हस्ताक्षरित कर शासन को प्रेषित किया गया। ऐसे में समानता का अधिकार जो कि संविधान की धारा 14 में प्रदान किया गया है। नोएडा प्राधिकरण द्वारा समय-समय पर किए गए समझौते व अपील को ध्यान में रखते हुए इस बिंदु को शासन स्तर पर पास कराकर नोएडा प्राधिकरण को आदेशित करें की सभी किसानों को 5 प्रतिशत अतिरिक्त प्लाट आवंटित किया जाए।

वहीं जब किसानों की भूमि अर्जित करते समय किसानों को दी गयी धनराशि में से 10 प्रतिशत राशि कट ली थी और जब किसानों को 64.7 प्रतिशत अतिरिक्त मुआवजा देते समय भी किसानों को दी गयी धनराशि से भी 10 प्रतिशत राशि संबंधित अधिकारियों ने काट ली है। इस लिए सभी किसानों को 10 प्रतिशत विकसित भूमि के प्लाट दिए जाएं जिन किसानों को 5 प्रतिशत के प्लाट मिल गए हैं उन्हें और 5 प्रतिशत भूमि दी जाए।

ये चित्र किसान एकता संघ का है। मांगों को लेकर सीएम के नाम सिटी मजिस्ट्रेट को ज्ञापन सौंपते हुए।
ये चित्र किसान एकता संघ का है। मांगों को लेकर सीएम के नाम सिटी मजिस्ट्रेट को ज्ञापन सौंपते हुए।

1976 से 1997 तक के किसानों की लड़ाई लड़ रहा किसान एकता संघ
ये तीसरा संगठन है। जिसकी लड़ाई भी नोएडा प्राधिकरण के खिलाफ है। लेकिन ये 1976 से 1997 तक के किसानों के हक को लेकर अपनी आवाज उठा रहा है। किसान एकता संघ के राष्ट्रीय संरक्षक चौधरी बाली सिंह ने बताया कि 1976 के किसानों को 10% भूखंड एवं एक समान नीति से सभी को 297 रुपए प्रतिगज की दर से मुआवजा वितरित किया जाए। किसानों के साथ बेरोजगार हुए गांव के विभिन्न जातियों के लोगों के लिए भी 50 मीटर प्लाट की व्यवस्था की जाए। इन मांगों को लेकर ये पिछले दो महीने लगातार गांव गांव जाकर पंचायत कर रहे है।

अब बताते है दादरी एनटीपीसी के किसान भी नोएडा पहुंचे
दादरी एनटीपीसी से प्रभावित 24 गावों के किसानों ने सेक्टर-24 स्थित एनटीपीसी भवन पर धरना दिया। ये धरना भी भारतीय किसान परिषद की ओर से किया जा रहा है। भारतीय किसान परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखवीर खलीफा ने बताया कि एनटीपीसी दादरी परियोजना के लिए 1986,1987,1989,1991 और 1994 आदि में जमीन का अधिग्रहण किया गया था। इस दौरान किसानों को मुआवजा राशि एक समान न होकर एनटीपीसी अधिकारियों ने अपनी सुविधा के अनुसार अलग-अलग तय की। जिसमें कुछ किसानों को 8 रुपए, 20 रुपए और 45 रुपए प्रतिगत के हिसाब से मुआवजा और नौकरी दी गई।

ये चित्र सेक्टर-24 एनटीपीसी का है। यहां मांगों को लेकर किसान प्रदर्शन कर रहे है।
ये चित्र सेक्टर-24 एनटीपीसी का है। यहां मांगों को लेकर किसान प्रदर्शन कर रहे है।

वहीं कुछ किसानों को रेलवे लाइन के अधिग्रहण बताकर 50 रुपए और 110 रुपए प्रतिगत व नौकरी दी गई। जबकि ये अधिग्रहण भी दादरी परियोजना में आता है। इस दौरान स्थानीय नेताओं एनटीपीसी व किसानों के बीच एक समझौता कराकर किसानों को 110 रुपए प्रतिगत व 250 रुपए प्रतिगत व नौकरी दिलवाई। जब एक परियोजना के लिए अधिग्रहण किया जा रहा है तो रेट भी समान होने चाहिए।

इसके अलावा 2291 परिवारों ने एनटीपीसी की स्थापना के लिए अपनी जमीन दी है। जिनमें केवल 182 प्रभावित व्यक्तियों को एनटीपीसी में नौकरी दी गई और 25 प्रतिशत को दुकानें। एनटीपीसी के प्रभावित सभी किसानों को 10 प्रतिशत विकसित भूमि दी जाए। एनटीपीसी दादरी के 5 किमी के दायरे में रहने वाले भू विस्थापित को फ्री में बिजली दी जाए। 200 बेड का अस्पताल बनाया जाए। दादरी में दो डिग्री कॉलेज खुलवाई जाए। हालांकि वार्ता के बाद भी सहमति नहीं बन सकी।

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