अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में कितना खर्च होता है ?
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में कितना खर्च होता है, कहां से आता है ये पैसा, प्रक्रिया से लेकर सबकुछ जानिए
अमेरिका का राष्ट्रपति चुनाव दुनिया का सबसे चर्चित चुनाव तो है ही. लेकिन, खास बात ये है कि इसे सबसे खर्चीला चुनाव भी माना जाता है.
अमेरिका में साल 2024 में राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं, इस चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां अभी से ही तेज हो गई. दरअसल कुछ दिन पहले ही कोलोराडो के सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में ट्रंप को राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर अयोग्य घोषित कर दिया. तो वहीं दूसरी तरफ डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से जो बाइडेन एक बार फिर मैदान में उतरने के लिए पूरी तरह से तैयरा नजर आ रहे है.
अमेरिका का राष्ट्रपति चुनाव न सिर्फ इस देश के, बल्कि पुरी दुनिया के लिए एक अहम चुनाव माना जाता है, क्योंकि इस देश के राष्ट्रपति को दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश के राष्ट्रपति के तौर पर देखा जाता है. यही कारण है कि सभी पार्टियां अपनी जीत हासिल करने के लिए एरी चोटी का ताकत लगा देती है.
अमेरिका का राष्ट्रपति चुनाव दुनिया का सबसे चर्चित चुनाव तो है ही. लेकिन, खास बात ये है कि इसे सबसे खर्चीला चुनाव भी माना जाता है. यहां अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए प्रत्याशी सालों पहले से अपना प्रचार शुरू कर देते हैं.
ऐसे में इस रिपोर्ट में जानते हैं कि अमेरिका में राष्ट्रपति चुनावों के फंडिंग का तरीका क्या है, इन चुनावों में कितना खर्च होता है
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में कितना खर्च होता है
लोकतंत्र चाहे भारत का हो या अमेरिका का, प्रचार अभियानों में खर्च तो होते ही है. अब अमेरिका की बात करें तो यहां का राष्ट्रपति चुनाल बेहद ही पेचीदा होता है. इस देश के वाइट हाउस का सफर जितना मजेदार है, वहां तक पहुंचना उतना ही जटिल भी है.
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव की तैयारी चुनाव की तारीख से एक-डेढ़ साल पहले ही शुरू हो जाती है. इन दौरान चुनावी मैदान में उतरने वाली सभी पार्टियां और उनके उम्मीदवार जनता के बीच अपनी जगह बनाने के लिए योजनाएं बनाते हैं. इन योजनाओं में लॉबीइंग से लेकर फंड जुटाने के लेवल तक का रोडमैप तैयार किया जाता है.
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की एक खास बात ये है कि यहां चुनाव में होने वाले खर्च की कोई भी सीमा नहीं तय की गई है. यानी एक पार्टी जितना चाहे उतना खर्च कर सकता है. एक अनुमान के अनुसार इस देश में एक राष्ट्रपति चुनाव में लगभग एक बिलियन डॉलर का खर्च होता है.
साल 2016 के चुनाव में कितना खर्च
साल 2016 में हुए राष्ट्रपति चुनाव की बात करें तो इस साल चुनाव प्रचार के दौरान प्रति उम्मीदवार एक अरब डॉलर का खर्च बैठा था. यानी इस साल के राष्ट्रपति चुनाव में लगभग 6,800 करोड़ रुपए के खर्च किए गए थे.
2020 के राष्ट्रपति चुनाव का खर्च भी जान लीजिए
एडवर्टाइजिंग एनालिटिक्स क्रॉस स्क्रीन मीडिया की एक रिपोर्ट कहती है कि पिछले राष्ट्रपति चुनाव में यानी साल 2020 में कोरोना संक्रमण के कारण प्रचार प्रसार के कार्यक्रमों का आयोजन बहुत कम हुआ. लेकिन, उम्मीदवारों ने सोशल मीडिया और टीवी विज्ञापनों पर जमकर खर्च किए. इस चुनाव की कुल लागत 14 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान लगाया गया. जो कि अमेरिका के अब तक के राष्ट्रपति चुनाव इतिहास में सबसे महंगा साबित हुआ.
डोनेशन पर क्या कहता है अमेरिकी कानून
अमेरिका का कानून चुनाव के लिए दिए जा रहे चंदे को लेकर कहता है कि एक उम्मीदवार को कोई भी व्यक्ति 2,800 डॉलर से ज्यादा का चंदा नहीं दे सकता. हालांकि राष्ट्रपति के रेस में उतरे उम्मीदवार अपनी प्राइवेट प्रॉपर्टी से जितना चाहें उतना पैसा चुनाव प्रचार के लिए खर्च कर सकते हैं.
जो उम्मीदवार अमीर नहीं उनका क्या
अमेरिकी कानून के अनुसार जो लोग अमीर नहीं हैं या उनके पास प्रचार में खर्च करने के लिए नीजी संपत्ती नहीं है वो उम्मीदवार भी चुनाव में करोड़ों डॉलर की रकम खर्च कर सकते हैं. दरअसल पॉलिटिकल एक्शन कमेटियों को चुनाव प्रचार के दौरान असीमित धन जमा करने की छूट है. लेकिन ये कमेटियां सीधे तौर पर उम्मीदवारों से जुड़ी नहीं होती हैं और इस खर्च की कुछ सीमाएं भी हैं.
आम चुनाव में खर्च करने के लिए भी पैसा मिलता
अमेरिकी कानून के अनुसार प्रमुख पार्टी के उम्मीदवारों को आम चुनाव में प्रचार पर खर्च करने के लिए भी धन दिया जाता है. साल 1976 से लेकर साल 2012 के बीच प्रमुख पार्टियों के उन सम्मेलनों के लिए भी पैसा दिया गया जिनमें उम्मीदवारों का नामांकन होता है. हालांकि साल 2014 में इन सम्मेलनों के लिए सरकारी पैसा देना बंद कर दिया गया.
पिछले चुनाव में किसे कितना मिला था चंदा
पिछली बार हुए (2020) राष्ट्रपति चुनाव के दौरान डेमोक्रेटिक उम्मीदवार जो बाइडेन अमेरिकी इतिहास के पहले ऐसे उम्मीदवार बने जिन्होंने एक अरब डॉलर के पार डोनेशन जमा किया हो. इस पार्टी ने अपने अभियानों के जरिए 14 अक्टूबर 2020 तक 938 मिलियन डॉलर का रिकॉर्ड डोनेशन जमा कर लिया था. जब कि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को 596 मिलियन डॉलर डोनेशन मिला था.
कितना पावरफुल होता है अमेरिका के राष्ट्रपति का पद
इस देश के राष्ट्रपति को दुनिया का सबसे ताकतवर शख्स माना जाता है. हालांकि इसका ये मतलब नहीं है कि अमेरिका के राष्ट्रपति के पास कुछ भी करने का अधिकार है. आइये जानते हैं इस पद के अधिकारों के बारे में..
- अमेरिका में कोई भी व्यक्ति दो बार के ज्यादा राष्ट्रपति नहीं बन सकता
- अमेरिकी राष्ट्रपति सरकार और राज्यों का प्रमुख होता है.
- राष्ट्रपति ही सांसद द्वारा पास किए गए कानूनों को लागू करता है.
- अमेरिका का राष्ट्रपति नए देश को भी मान्यता दे सकता है.
- राष्ट्रपति अपनी तरह से किसी विधेयक को पास नहीं कर सकता.
- भाषण में आम जनता से समर्थन पाकर सांसद में कानून बनाने के लिए दवाब जरूर बना सकता है.
अब जानते हैं कि अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए कौन- कौन खड़ा हो सकता है
अमेरिकी संविधान के आर्टिकल 2 के सेक्शन 1 के अनुसार अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में तीन प्रमुख बातों का ध्यान रखा गया है जिसके तहत इस देश के चुनाव की नींव पड़ती है. इस नियम के अनुसार अगर कोई व्यक्ति अमेरिका का राष्ट्रपति बनना चाहता है उसे तीन शर्तों को पूरा करना जरूरी है.
- राष्ट्रपति चुनाव की उम्मीदवारी में भाग लेने वाला व्यक्ति पैदाइशी अमेरिकी होना चाहिए.
- उसकी उम्र कम से कम 35 वर्ष होनी चाहिए.
- चुनाव लड़ने वाले व्यक्ति कम से कम 14 साल तक अमेरिका में रहा होना चाहिए.
अमेरिका के राष्ट्रपति को कितना वेतन मिलता है
अमेरिका के राष्ट्रपति के वेतन और भत्ते की बात करें तो इन्हें मिलने वाला वेतन दुनिया में सबसे ज्यादा हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति को हर साल 40,0000 डॉलर यानी 2,94,19,440 रुपये बतौर सैलरी दी जाती है जो भारतीय राष्ट्रपति के वेतन की तुलना में लगभग 5 गुना ज्यादा है.