प्रदेश में मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर नहीं, कैमरे के भरोसे फिटनेस की चैकिंग .. बेधड़क फर्राटा भररहीं खटारा बसें

अनफिट बसें, नतीजा हादसा…मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर का काम फिटनेस सर्टिफिकेट देना

गुना जिला अस्पताल में अपनों का चेहरा देखने भटकते रहे परिजन

चीख और आंसुओं का अंतहीन सिलसिला

जबलपुर. गुना बस हादसे के बाद भी शहर से फर्राटा भरने वाली खटारा बसों पर किसी तरह की कार्रवाई शुरू नहीं हुई। जबकि, शहर से चलने वाली तमाम बसें ‘खटारा’ कैटगरी में आती हैं। अधिकतर बसें 50 किमी के दायरे वाले रूट पर बेधड़क दौड़ रही हैं। आइएसबीटी में प्रतिदिन 600 यात्री बसें आती और जाती हैं। इनमें रोजाना 30 हजार से अधिक लोग यात्रा करते है। इनमें से चार से पांच प्रतिशत यात्री बसें ऐसी हैं, जो 15 साल से ज्यादा पुरानी हैं। लेकिन, उन्हें सड़क से हटाने के लिए किसी प्रकार की कार्रवाई परिवहन विभाग नहीं कर रहा। छोटे रूट पर दौड़ने वाली 45 प्रतिशत यात्री बसें खटारा हो चुकी हैं। फिर भी कार्रवाई नहीं की जाती।

ग्वालियर. प्रदेश में मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर के 45 पद खाली पड़े हैं। ये पद खाली होने से फिटनेस का काम कमरे पर छोड़ दिया है। प्रदेश में इंजीनियर का काम कैमर कर रहा है। इस कारण वाहन की जांच नहीं हो पा रही है। वाहन सडक़ पर चलने लायक है या नहीं। यह भी नहीं देखा जा रहा है। वाहन के टायर चलने की स्थिति में है या नहीं। ब्रेक, स्टेयरिंग, बॉडी, हेडलाइट, गियर की भी जांच नहीं हो पा रही है। कैमरे से फोटो खींचकर फिटनेस सर्टिफिकेट दिए जा रहे हैं। पुराना वाहन होने पर प्रदेश में बस हादसे हो रहे हैं। गुना का प्रदेश में चौथा दिल दहलाने वाला हादसा हुआ है। इससे पहले सेंधवा, पन्ना व सीधी में बड़े बस हादसे हुए थे। हादसे वाले वाहनों की कंडम हालत सामने आई थी। गुना हादसे की बस भी अनफिट बस दौड़ रही थी।

दरअसल प्रदेश के आरटीओ में मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर के 45 पद है, लेकिन विभाग में मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर के पद खाली पड़े हैं। पद खाली होने से मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर का काम कैमरे को दे दिया है। फोटो खींचने के बाद एक फार्म पर टिक लगाने के बाद फिटनेस सर्टिफिकेट मिल रहा है।

यह है हालत

बसों में सीसीटीवी नहीं

परमिट शर्तों की अनदेखी

क्षमता से अधिक यात्री

पैनिक बटन नहीं उपयोग

चालकों की जांच नहीं

लाइसेंस बिना कंडक्टर

बसों को ऐसे मिलता है फिटनेस सर्टिफिकेट

फिटनेस का यह है नियम

फिटनेस सर्टिफिकेट के आने वाले वाहन को सबसे पहले मोटर व्हीकल सब इंस्पेक्टर गाड़ी चलाकर देखता है। उसके ब्रेक, इंजन, टायर, इंडीकेटर, लाइट जैसी अन्य जरूरी जांच होती है।

किसी गाड़ी को फिटनेस जारी की जाती है। उससे कोई दुर्घटना होती है तो मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर व फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करने वाला जिम्मेदार होता है। एक्ट में इसका प्रावधान है।

परिवहन विभाग में फिटनेस का ऑन लाइन टैक्स जमा किया जाता है। टैक्स जमा होने के बाद फिटनेस की तारीख मिलती है। परिवहन मुख्यालय के पास वाहन को पहुंचना होता है। गाड़ी को कैमरे के सामने खड़ा किया जाता है और आगे-पीछे से गाड़ी के फोटो खींच लिए जाते हैं। फोटो खिंचने के बाद उसे सर्टिफिकेट दे दिया जाता है। वाहन को फिटनेस देते वक्त उसके कलपुर्जों की जांच नहीं होती है।

बसों की उम्र है निर्धारित

दूसरे राज्यों में जाने वाली बस की उम्र 10 वर्ष।

प्रदेश के अंदर चलने वाली बसों की उम्र 15 साल हैं।

बस की उम्र पूरी होने के बाद यह नहीं चल सकती है।

नियमानुसार समय पर इनके फिटनेस होते हैं।

गुना : बस हादसे के कारण बुधवार रात से ही जिला अस्पताल में चीख, पुकार, रुदन और सिसकियां गूंज रही हैं। हादसे में 13 मृतकों और 18 घायलों के परिजन आसपास के गांवों से यहां आए हुए हैं। किसी को अपने भाई की तलाश है तो कोई अपनी बेटी को खोज रहा है। कोई अस्पताल के बर्न वार्ड में जली हुई त्चचा के असहनीय दर्द से तड़प रहा है तो कोई जान बचाने के लिए ईश्वर का शुक्रिया अदा कर रहा है। सबसे ज्यादा विचलित वे लोग हैं, जिनके परिजन कल रात से अभी तक नहीं मिले हैं और न ही उनकी मौत की पुष्टि हो पाई है। दरअसल, बस में आग लगने से मृत 13 लोगों की पहचान कर पाना भी मुश्किल है।

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