नई दिल्ली। हिंदी पट्टी के तीन राज्यों में मिली करारी हार के बाद विपक्षी दलों ने फिर से ईवीएम व वीवीपैट को लेकर सवाल खड़े करने शुरू कर दिए है। यह बात अलग है अब तक ईवीएम से हुए चार आम चुनाव में से 2004 और 2009 के आम चुनाव में सबसे अधिक सीट हासिल करने वाली पार्टी कांग्रेस रही है, बाद में उसने सरकार भी बनाई।

इसके अतिरिक्त राज्यों में 2004 से अब तक ईवीएम से हुए 143 विधानसभा चुनावों में से ऐसा 44 बार हुआ है, जब राजनीतिक दलों की सीटों में उलटफेर हुआ। इसमें ईवीएम पर सवाल खड़ा करने वाले कई राजनीतिक दलों ने इन्हीं नतीजों के आधार पर सरकारें भी बनायी। हालांकि ईवीएम और वीवीपैट को लेकर जिस तरह से सवाल खड़े किए जा रहे है, उसे देखते हुए चुनाव आयोग ने जवाब देने की तैयारी भी पूरी कर ली है। ऐसे सभी सवालों के जवाब आयोग ने अपनी वेबसाइट पर ज्यादा पूछे जाने वाले सवालों (एफएक्यू) की सूची में शामिल किया है। इसमें ईवीएम से छेड़छाड़ से जुड़े पांच से अधिक सवाल व जवाब भी शामिल है।

ईवीएम की तकनीकी प्रक्रिया से जुड़े 27 सवाल-जवाब है

चुनाव आयोग ने ईवीएम और वीवीपैट पर उठते सवालों के बीच ज्यादा पूछे जाने वाले सवाल- जवाब की सूची को भी इस बीच 37 से बढ़ाकर 76 कर दिया है। जिसमें ईवीएम से जुड़ी प्रक्रिया से जुड़े 17, ईवीएम छेड़छाड़ से जुड़े पांच, ईवीएम से जुड़ी न्यायिक प्रक्रिया से जुड़े चार, ईवीएम की तकनीकी प्रक्रिया से जुड़े 27 सवाल-जवाब है। इस बीच आयोग ने वीवीपैट से जुड़े एक सवाल के जवाब में साफ किया है कि वीवीपैट में दो तरह की मेमोरी होती है। एक प्रोग्राम इंस्ट्रक्शन्स माइक्रोकंट्रोलर्स के लिए रखी जाती है, जिसे सिर्फ एक बार ही प्रोग्राम किया जा सकता है। दूसरी ग्राफिकल इमेज स्टोर की जाती हैं, जहां पर उम्मीदवारों या उनके प्रतिनिधियों की उपस्थिति में उम्मीदवारों के प्रतीक चिह्न लोड किए जाते हैं। इसके साथ ही ईवीएम में छेड़छाड़ से जुड़े सवाल पर आयोग से साफ किया है कि इनमें किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं हो सकती है।

‘प्रत्येक वोट जिसे दिया गया था उस व्यक्ति को ही मिला’

सुप्रीम कोर्ट के साथ अलग-अलग हाईकोर्ट द्वारा इससे जुड़ी प्रक्रिया को बारीकी से कई बार जांचा जा चुका है। आयोग ने ऐसे ही एक सवाल में बताया है कि यह ईवीएम और वीवीपैट का निर्माण केंद्र सरकार से जुड़े उपक्रमों के जरिए सुरक्षित तरीके से किया जाता है। जहां किसी को आने-जाने की अनुमति नहीं रहती है। इसके साथ ही छेड़छाड़ से जुड़े एक और सवाल में आयोग ने बताया है कि ईवीएम में पड़ने वाले वोटों की मिलान की व्यवस्था में अब तक 38156 ईवीएम में पड़े 2.3 करोड़ वोटों का मिलान किया गया है, जिसमें यह पाया गया कि एक भी वोट बेकार नहीं हुआ। प्रत्येक वोट जिसे दिया गया था उस व्यक्ति को ही मिला था।

सुप्रीम कोर्ट ने वीवीपैट पर्चियों के मिलान के दिए थे निर्देश

ईवीएम में छेड़छाड़ से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने जहां सभी ईवीएम को वीवीपैट से जोड़ने के निर्देश दिए थे, साथ ही प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के कम से कम पांच बूथों के ईवीएम वोटों का वीवीपैट से निकलने वाली पर्चियों से औचक मिलान कराने को भी कहा था। जिसके बाद आयोग ने यह व्यवस्था पूरे देश भर में प्रभावी तरीके से लागू कर रखी है।

हालांकि इसका कोई परिणाम जारी नहीं किया जाता है, लेकिन इसकी गिनती आयोग सिर्फ अपनी संतुष्टि के लिए करता है। बता दें कि वीवीपैट की इस व्यवस्था से कोई भी मतदाता यह देख सकता है कि उनसे ईवीएम पर जिस नाम की बटन दबाई है, वोट उसे ही मिला है। यह इसलिए होता है कि क्योंकि ईवीएम पर जिस नाम के सामने की बटन दबायी जाती है, वीवीपैट पर उस प्रत्याशी के चुनाव चिह्न की पर्ची पांच सेकेंड तक देखी जा सकती है। जिसके बाद वह पर्ची वीवीपैट के बाक्स में जमा हो जाती है।