बेटियों की सुरक्षा के लिए मिले फंड पर कुंडली मारकर बैठी रहीं सरकारें! पढ़ें आंकड़े
क्या आपको इसकी जानकारी है कि महिला सुरक्षा के नाम पर केंद्र सरकार राज्यों को जो फंड देती है. उसका राज्य सरकारें कितना खर्च कर पाती हैं. निर्भया फंड की हकीकत का नंबर गेम हाल इस रिपोर्ट में जानिए और समझिए-
नई दिल्ली: रेप के बढ़ते मामलों से पूरा देश गुस्से में हैं. सड़क पर जनता है तो संसद में सांसदों के सब्र का बांध टूट रहा है. रेपिस्ट के लिए फांसी से कम की सजा किसी को मंजूर नहीं है. लेकिन आपको आज उस फंड के बारे में जानना बेहद जरूरी है, जिसे दिल्ली में हुए निर्भया कांड के बाद महिला सुरक्षा के लिए बनाया गया था.
क्या है निर्भया फंड की हकीकत का ‘नंबर गेम‘?
NCRB रिपोर्ट 2017 के मुताबिक,
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र में 1933 रेप के मामले दर्ज हुए, राज्य को निर्भया फंड को लेकर 149 करोड़ रुपए मिले. लेकिन खर्च शून्य रहा.
दिल्ली
राजधानी दिल्ली में रेप के 1229 मामले दर्ज किए गए, यहां की सरकार ने निर्भया फंड के 390 करोड़ में 19.41 करोड़ रुपए ही खर्च किए.
उत्तर प्रदेश
4246 रेप के मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए. यहां 119 करोड़ में से 3.93 करोड़ ही खर्च हुए.
पश्चिम बंगाल
पश्चिम बंगाल में 1084 रेप के मामले दर्ज हुए. यहां 75.70 करोड़ में से 3.92 करोड़ रुपए ही खर्च किए गए
बिहार
बिहार में रेप के 605 मामले सामने आए, निर्भया फंड के लिए 22.58 करोड दिए गए. लेकिन खर्च महज 7.02 करोड़ रुपए हुए.
गुजरात
गुजरात की बात करें यहां रेप के 477 मामले दर्ज हुए. लेकिन निर्भया फंड के 70.4 करोड़ में से 1.18 करोड़ ही रुपए राज्यसरकार ने खर्च किया.
ऊपर लिखे आंकड़ों की जुबानी, आपने फंडिंग की कहानी तो समझ ली लेकिन अब ये समझ लीजिए आखिर केंद्र सरकार को निर्भय़ा फंड बनाने की जरूरत क्यों हुई. निर्भया रेपकांड और हत्या ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था. इस घटना के बाद ही केंद्र की तत्कालीन यूपीए सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एक विशेष फंड की घोषणा की थी. इस फंड का नाम ‘निर्भया फंड’ रखा गया था.