इंदौर : बैंकों के गैर वाजिब चार्जेस से MSME उद्योगों को नुकसान ?

AIMP ने की केंद्रीय वित्त मंत्रालय को शिकायत, NOC जारी नहीं कर रही बैंकें, सिबिल स्कोर भी अपडेट नहीं

पिछले काफी समय से प्राइवेट बैंकों द्वारा एमएसएमआई से जुड़े उद्योगों पर गैर वाजिब चार्ज वसूलने से अब इसका विपरीत प्रभाव होने लगा है। इसे लेकर एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्रीज मप्र (AIMP) ने केंद्रीय वित्त मंत्रालय को शिकायत की है। इसमें बताया गया है कि प्राइवेट बैंकों की मनमानी से उद्योगों का संचालन मुश्किल हो गया है और कई तो बंद होने की कगार पर हैं।

एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेश मेहता ने केंद्रीय वित्त मंत्री को भेजे पत्र में बताया कि प्राइवेट बैंकों द्वारा एमएसएमई उद्योगों से लोन राशि जमा करने के बाद भी गैर वाजिब चार्जेस की वसूली व मांग की जा रही है। रिजर्व बैंक के नियमों में भी इस प्रकार के कोई चार्ज देय नहीं हैं लेकिन प्राइवेट बैंकों की प्रताड़ना पूर्ण वसूली से छोटे उद्योग बंद होने की कगार पर हैं। इसके अलावा उद्योगों द्वारा अपने लोन खाते बंद किए जाने के बाद भी एनओसी के अभाव में अन्य किसी बैंकों में भी अपना खाता ट्रांसफर नहीं कर पा रहे हैं।

मेहता ने बताया स्थानीय सन पैकेजिंग उद्योग का ऐसा ही एक प्रकरण सामने आया है। इसमें प्राइवेट बैंक द्वारा 27 लाख रु. से अधिक के राशि की गैर वाजिब मांग की जा रही है। एक अन्य राजहंस फर्टिलाइजर के प्रकरण में लोन चुकाने के बाद भी बैंक द्वारा सिबिल अपडेट नहीं किया जा रहा है और न ही कंपनी को एनओसी दी जा रही है। इससे आगे की लोन प्रोसेस पूरी नहीं हो रही है। एसोसिएशन ने बैंकों की इस प्रकार की गैर वाजिब चार्ज की वसूली व मनमानी के खिलाफ केंद्रीय वित्त मंत्रालय व एमएसएमई मंत्रालय सहित रिजर्व बैंक को लिखित शिकायत कर ऐसे प्रकरणों की जल्द जांच कर बैंकों को निर्देशित कर उचित कार्यवाही की मांग की गई है।

एसोसिएशन द्वारा पूर्व में भी बैंकों द्वारा वसूले जाने वाले गैर वाजिब चार्ज पर अपनी आपत्तियां केन्द्र व प्रदेश सरकार के समक्ष दर्ज कराई थी। इसके साथ ही मॉडगेज पर स्टाम्प डयूटी भी कम किए जाने की मांग की थी। एसोसिएशन का कहना है कि रिजर्व बैंकों के नियमों और गैर वाजिब चार्ज पर लगाई गई रोक को ताक पर रखते हुए ऐसी ही मनमानी वसूली बैंकों द्वारा की जाती रही तो छोटे उद्योग बंद ही हो जाएंगे। इससे सबसे अधिक रोजगार प्रभावित होगा वहीं युवा वर्ग का रुझान भी उद्योगों की ओर नहीं रहेगा। एसोसिएशन ने उद्योग संचालकों से अपील की है कि ऐसे किसी भी प्रकार के उद्योगों के प्रकरण हैं तो उन्हें एसोसिएशन के संज्ञान में लाया जाएं। उन्हें केन्द्रीय नेतृत्व तक पहुंचाया जाएगा।

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