अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब नफरती भाषण देना?

अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब नफरती भाषण देना? जानिए क्या कहता है संविधान, कितने नेताओं पर केस दर्ज
भारत के संविधान में सभी व्यक्तियों को बोलने और लिखने का पूरा अधिकार दिया हुआ है. फिर भड़काऊ भाषण देना अपराध कैसे हुआ? यहां जानिए क्या कहता है कानून और भड़काऊ भाषण देना क्यों अपराध है.

गुजरात के जूनागढ़ में भड़काऊ भाषण देने के मामले में इस्लामिक उपदेशक मौलाना मुफ्ती सलमान अजहरी को राज्य पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. अजहरी पर आरोप है जूनागढ़ में दिए भाषण में हिंदुओं के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की. 

31 जनवरी को अजहरी ने जूनागढ़ के बी’ डिवीजन पुलिस थाने के पास अजहरी ने एक कार्यक्रम को संबोधित किया. अजहरी ने कहा था- कुछ देर की खामोशी है फिर शोर आएगा, आज कुत्तों का वक्त है कल हमारा दौर आएगा.

अजहरी के इस बयान पर हिंदू संगठनों ने नाराजगी जताते हुए केस दर्ज करा दिया. मौलाना और दो आयोजकों के खिलाफ आईपीसी की धारा 153B, 505(2), 188, 114 के तहत केस दर्ज हुआ है. अजहरी की गिरफ्तारी के बाद रात एक बजे हजारों समर्थकों ने घाटकोपर थाने का घेराव कर लिया था. 

हालांकि यह पहली बार नहीं है जब अजहरी ने भड़काऊ भाषण दिया. पहले भी नेताओं के नफरती भाषण सोशल मीडिया पर वायरल हुए हैं. लेकिन अगर संविधान में अभिव्यक्ति की आजादी है तो भड़काऊ भाषण गलत कैसे हुआ? यहां समझिए.

क्या होता है भड़काऊ भाषण
भड़काऊ भाषण को अंग्रेजी में कहते हैं हेट स्पीच. भड़काऊ भाषण की कोई कानूनी भाषा तय नहीं है. हालांकि बोलकर, लिखकर, इशारों से या किसी भी तरह से दो समुदायों के बीच माहौल बिहाड़ने या नफरत फैलाने या हिंसा भड़काने की कोशिश की जाती है तो इसे हेट स्पीच समझा जाता है. ऐसा करना कानूनी तौर पर अपराध माना जाता है.

यह आमतौर पर किसी खास समूह जैसे कि किसी धर्म, जाति या लिंग के लोगों के खिलाफ होता है. भड़काऊ भाषण लोगों को हिंसा के लिए प्रेरित कर सकता है. समाजिक अशांति पैदा कर सकता है. घृणा और भेदभाव को बढ़ावा दे सकता है.

अब समझिए क्या है अभिव्यक्ति की आजादी
अक्सर लोग भड़काऊ भाषण देने के बाद अभिव्यक्ति की आजादी की बात करते हैं. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत लिखित और मौखिक रूप से अपने विचार प्रकट करना अभिव्यक्ति की आजादी है. मतलब संविधान सभी देशवासियों को बोलने और लिखने की पूरी आजादी देता है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि कोई भी व्यक्ति भड़काऊ या नफरत फैलाने वाला बयान दे सकता है.

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 (2)(6) में ये लिखा है कि अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार निरपेक्ष नहीं है. यानी कि ये अधिकार की सीमित है, इसकी कुछ सीमाएं हैं. कुछ भी भड़काऊ बोलने या लिखने का अधिकार नहीं है.

अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर किसी भी धर्म या जाति के व्यक्ति को दूसरे समुदाय के बारें कुछ भी बोलने की आजादी नहीं है. 2017 में लॉ कमीशन ने अपनी 267वीं रिपोर्ट में कहा था, ‘कोई भी लिखा हुआ, बोला हुआ शब्द या इशारा जिसे देखकर या सुनकर डर पैदा हो या हिंसा को बढ़ावा मिले हेट स्पीच है.’

हेट स्पीच की क्या मिलती है सजा
भड़काऊ भाषण देने पर आईपीसी की धारा 153A और 153AA के तहत केस दर्ज किया जाता है. कुछ मामलों में धारा 505 भी जोड़ दी जाती है. धारा 153A के तहत आरोपी को तीन साल की सजा या जुर्माना या दोनों हो सकती है. अगर किसी धार्मिक स्थल या सभा में भड़काऊ बयान दिया है तो ये सजा पांच साल तक हो सकती है.

धारा 505 के खंड 1 के तहत किसी दूसरे समुदाय के खिलाफ उकसाना अपराध है. इससे शांति भंग होती है और आरोपी तीन साल तक की सजा हो सकती है. जब किसी दो समुदायों के बीच दुश्मनी, घृणा पैदा करने वाला वयान दिया जाता है तो आईपीसी की धारा 505(2) के तहत केस दर्ज होता है. अगर इन दोनों में से कोई अपराध धार्मिक स्थल या सभा में किया जाता है तो धारा 505(3) के तहत पांच साल की सजा का प्रावधान है.

2022 में 45 फीसदी हेट स्पीच के मामले बढ़े
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) रिपोर्ट से पता चलता है कि साल 2022 में धर्म, नस्ल, भाषा और जन्मस्थान पर आधारित समूहों के बीच नफरत फैलाने वाले भाषणों की संख्या में 45 फीसदी बढ़ोतरी हुई. धारा 153(A) के तहत 2021 में ऐसे 993 मामले दर्ज किए गए थे, जो 2022 में बढ़कर 1444 हो गए. यानी कि 45% मामले बढ़ गए.

2022 में उत्तर प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा मामले थे. मणिपुर, सिक्किम, अरुणाचल और तेलंगाना में ऐसे अपराधों की दर सबसे अधिक थी. मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और मिजोरम में चुनाव के दौरान नफरत फैलाने वाले भाषणों में वृद्धि देखी गई.

आंकड़ों से यह भी पता चला है कि पांच राज्यों (एमपी, राजस्थान, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, मिजोरम) में जब चुनाव हुए थे तब नफरती भाषणों की संख्या 100% से ज्यादा बढ़ गई थी. मध्य प्रदेश में 2021 में 37 केस के मुकाबले 2022 में 108 मामले दर्ज हुए. राजस्थान में 2021 में 80 से बढ़कर 2022 में 191 मामले सामने आए.

जब नूपुर शर्मा ने दिया भड़काऊ बयान
साल 2022 में भारतीय जनता पार्टी की नेता नूपुर शर्मा का पैगंबर मोहम्मद पर दिए बयान के बाद देशभर में बहुत हंगामा मचा था. नूपुर शर्मा को खुद भी कूटनीतिक मुश्किलों का सामना करना पड़ा था. हंगामा इतना बढ़ गया था कि बीजेपी को नूपुर शर्मा को पार्टी से निलंबित करना पड़ा. उनके साथ-साथ पार्टी के दिल्ली मीडिया यूनिट के प्रभारी नवीन कुमार जिंदल भी निष्कासित हुए जिन्होंने नूपुर शर्मा के बयान वाले पोस्ट को ट्वीट किया था.

देश में कितने विधायक-सांसदों पर भड़काऊ भाषण का केस दर्ज
भारत में भड़काऊ भाषण देने वाले नेताओं की लिस्ट लंबी है. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) ने देश के कुल 4768 सांसदों और विधायकों पर अध्ययन किया. उनमें से 33 सांसद और 74 विधायक पर हेट स्पीच का आरोप है. इस लिस्ट में बीजेपी के मंत्री गिरिराज सिंह, नित्यानंद राय का नाम भी है.

सबसे ज्यादा बीजेपी नेताओं पर ही हेट स्पीच का आरोप दर्ज है. इसके बाद कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के नेता हैं. 107 में से बीजेपी के कुल 42 जन-प्रतिनिधियों पर मामले दर्ज हैं. उनमें से तीन बिहार के हैं.

हेट स्पीच के सबसे ज्यादा 16 मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज हैं. इसके बाद बिहार (12), तमिलनाडु (9), तेलंगाना (9), महाराष्ट्र (8), असम (7), आंध्र प्रदेश (6), गुजरात (6), पश्चिम बंगाल (5), कर्नाटक (5), दिल्ली (4), झारखंड (4), पंजाब (3) का नंबर आता है.

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