आप किसके भरोसे हैं?

अच्छी नौकरी और सही खेल के लिए आप किसके भरोसे हैं?

अगर आप मुझसे पूछें कि अपना जुनून पहचानने का सही तरीका क्या है, फिर बात चाहे खेल की हो या अच्छी नौकरी की, तो मैं आंख बंद करे ही कह दूंगा “सारा जहां हमारा’ मूल विचार होना चाहिए। मतलब जब पहली नौकरी मिले तो धरती पर कहीं भी जाने के लिए तैयार रहिए, ये भी कई चीजों के बीच एक पैशन है। आप टिप्पणी करें कि “इस साधारण सी बात में क्या है?’ तो मैं आपको हरियाणा के हिसार में, ऑक्टो रिक्शा चालक की बेटी मोहिनी दहिया के बारे में बताता हूं, जिसे इस विचार पर पूरा यकीन था।

इससे पहले आप पढ़ें कि कैसे उत्तर भारत की इस बच्ची ने सुदूर दक्षिण भारत में अपना जुनून खोजा, मैं पूछता हूं आपने तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर का नाम आखिरी बार कब सुना? ज्यादातर लोगों ने 1991 में पहली बार इस जगह का नाम सुना होगा, जब पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की आत्मघाती हमलावर ने हत्या कर दी थी।

साल 2024 में यह छोटी-सी जगह दुनिया के नक्शे पर चीन के झेंगझाउ जितनी प्रसिद्ध हो गई है। आप सोच रहे होंगे कि चीनी शहर का यहां से क्या लेना-देना। यह चीनी शहर लंबे समय तक 99% आईफोन बनाता आ रहा था। लेकिन अब भारत धीरे-धीरे एपल के उत्पादन में बड़ा हिस्सेदार बन रहा है और श्रीपेरंबदूर इसमें आगे है।

2023 तक दुनिया के 13% आईफोन भारत में असेंबल हो रहे थे, इसमें से भी एक तिहाई सिर्फ तमिलनाडु में हो रहे थे। अगले साल तक यह दोगुना होने की उम्मीद है। 2006 में नोकिया, जो उस समय सेलफोन का दिग्गज था, उसने श्रीपेरंबुदूर के औद्योगिक क्षेत्र में एक बड़ी फैक्ट्री लगाई।

2009 में आर्थिक मंदी ने इसे हिलाकर रख दिया। लेकिन जड़ें नष्ट नहीं हुई। ताइवान की कंपनी फॉक्सकॉन यहां विस्तार कर रही है और 37 हजार से ज्यादा कामगारों के लिए एक विशालकाय डोरमेट्री बना रही है। और देश के विभिन्न हिस्सों से आए ये श्रमिक आईफोन की असेंबलिंग करेंगे!

इसी तरह जब एक साल पहले हिसार के कैमरी गांव की मोहिनी ने पिता को दक्षिणी मार्शल आर्ट कलारीपयट्टू के बारे में बताया, तो वह इसका उच्चारण भी नहीं कर सके, लेकिन उन्हें बेटी के जुनून पर संदेह नहीं था। वह मान गए क्योंकि इसके खानपान पर कुश्ती, कबड्डी या बॉक्सिंग (जिसके लिए हरियाणा के युवा जाने जाते हैं) से कम खर्च आ रहा था।

एक साल में ही मोहिनी इंडिया यूथ गेम्स 2023 (19-31 जनवरी तक आयोजित) में जीत के काफी करीब पहुंची, लेकिन चूक गई। पर राज्य स्तरीय प्रतिस्पर्धा में उसने गोल्ड जीता। सिर्फ मोहिनी ही नहीं, उसके जैसे और भी कई लोग थे, जिन्होंने कलारीपयट्टू का अभ्यास किया और पुरुष वर्ग में केरल के बाद हरियाणा ने दूसरा स्थान हासिल किया।

17 वर्षीय आर्यन गोयत की हाई किक के लिए एक गोल्ड सहित चार पदक जीते। आज फरीदाबाद के छोटे-से गांव चांदवाली तक में इस खेल के प्रशिक्षण के लिए सेंटर है, जहां छह लड़कियों सहित 20 स्टूडेंट प्रशिक्षण लेते हैं। और एक ढाबा मालिक के बेटे 18 वर्षीय खुशियाल सिंह जैसे छात्र दक्षिणी भारत के ‘चुवडुकल’ (हाथ-पैर चलाना) का हिस्सा हैं।

यदि आप वाकई अपनी पहली नौकरी सफलतापूर्वक पाना चाहते हैं तो श्रीपेरंबुदूर जैसी जगह जाएं और भाषा व भोजन की आदतों की फिक्र न करें। इसी तरह खेलों का शौक है तो किसी भी खेल को भाषा या खान-पान के आधार पर ना बांटें। काम, काम है और खेल, खेल। सीधी-सी बात है। इन्हें अपनी जेब और घर की स्थिति के आधार पर चुनें।

जब आप इस देश में कहीं भी जाने या ‘सारा जहां हमारा’ जैसे सरल नारे के साथ किसी की संस्कृति को सीखने पर विचार करते हैं, तो आपको नौकरी के सबसे अच्छे अवसर मिलेंगे और अपने लिए सबसे उपयुक्त खेलों का अभ्यास करेंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *