सरोगेसी का आसान मतलब ?

कैसे बच्चा पैदा किए बिना ही लोग बन जाते हैं पेरेंट्स? जानिए कानून में किसे सरोगेसी का है अधिकार और किसे नहीं
भारत में सरोगेसी शब्द की अक्सर चर्चा होती रहती है. इन दिनों ये शब्द इसलिए चर्चा में हैं क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने एक 44 साल की अविवाहिता महिला के सरोगेसी के जरिए मां बनने वाली याचिका खारिज कर दी.

किसी भी कपल के लिए मां-बाप बनना दुनिया की सबसे खास फीलिंग होती है. इस अनुभव को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता. लेकिन कुछ कपल्स ऐसे होते हैं जिन्हें किसी कारण यह सुख नहीं मिल पाता है. साइंस ने इस परेशानी का हल निकाला जिसका नाम है- सरोगेसी.

आज साइंस और टेक्नोलॉजी ने इतनी तरक्की कर ली है कि अगर किसी कपल का बच्चा नहीं हो पा रहा है तो वह सरोगेसी के जरिए मां-बाप बनने का सुख हासिल कर सकते हैं. बच्चा उनका ही होगा मगर कोख किसी और की होगी.

आइए इस स्पेशल स्टोरी में विस्तार से जानते हैं सरोगेसी का मतलब क्या होता है, कैसे मां-बाप बनते हैं, अपने देश में क्या कानून हैं, किन देशों ने इसपर लगा रखा है प्रतिबंध, भारत में किन-किन हस्तियों ने इस तकनीक से बच्चे को जन्म दिया है.

पहले समझिए सरोगेसी का मतलब
सारोगेसी को किराए की कोख के नाम से भी जाना जाता है. ये एक ऐसी तकनीक है जिसमें एक महिला (सरोगेट मदर) अपनी मर्जी से किसी कपल के लिए बच्चे को जन्म देती है. दूसरे शब्दों में कहें तो पत्नी के अलावा किसी दूसरी महिला की कोख में अपने बच्चे को पालना सरोगेसी कहलाता है.

इसका ये मतलब बिल्कुल नहीं होता है कि पति किसी दूसरी महिला के साथ संबंध बनाता है. बल्कि वह महिला अपने या फिर डोनर के एग्स के जरिए किसी कपल के लिए गर्भवती होती है. ऐसे अपनी कोख में 9 महीने तक बच्चा पालने वाली महिला को सेरोगेट मदर कहा जाता है.

बच्चे को अपने कोख में पालने वाली महिला और उस कपल के बीच एक एग्रीमेंट होता है. इसके तहत बच्चा कानूनन सरोगेसी करवाने वाले कपल का ही होता है. वहीं उसके माता-पिता कहलाते हैं. ऐसे कपल जो किसी कारण बच्चा पैदा नहीं कर सकते, वह सरोगेसी को अपनाते हैं

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सरोगेसी कितने तरह की होती है
सरोगेसी दो तरीके से होती है. एक ट्रेडिशनल सरोगेसी और दूसरा जेस्टेशनल सरोगेसी. 

जब डोनर या पिता का स्पर्म कोख में बच्चा पालने वाली महिला के एग्स से मैच कराया जाता है तो इसे ट्रेडिशनल सरोगेसी कहा जाता है. इस प्रक्रिया के तहत सरोगेट मदर ही बच्चे की बॉयोलॉजिकल मदर होती है. जबकि जेस्टेशनल सरोगेसी में सरोगेट मदर बच्चे की बॉयोलॉजिकल माता नहीं कहलाती है. 

इस तकनीक में सरोगेट मदर के एग्स का इस्तेमाल नहीं होता है. बल्कि सरोगेसी कराने वाले माता-पिता के एग्स और स्पर्म को मिलाकर सरोगेट मदर की कोख में रख दिया जाता है. सरोगेट मदर सिर्फ बच्चे को जन्म देती है. बच्चे के असल माता-पिता सरोगेसी कराने वाला कपल होत है.

भारत में सरोगेसी लीगल है या अनलीगल?
हां, भारत में सरोगेसी बिल्कुल मान्य है, लेकिन इसके लिए भारत सरकार ने कुछ सख्त नियम बनाए हैं ताकि जरूरतमंद कपल ही इसका इस्तेमाल कर सकें. किसी भी व्यक्ति को सरोगेसी पर व्यापार करने का अधिकार नहीं है. कपल सरोगेसी के लिए सरोगेट मदर को कोई पैसा नहीं दे सकता. कपल को सिर्फ डॉक्टर और अस्पताल का खर्च अनिवार्य रूप से देना होता है. इसके अलावा इंश्योरेंस करवाना जरूरी है.

सरोगेसी रेगुलेशन एक्ट के तहत वही कपल सरोगेसी के जरिए माता-पिता बन सकते हैं जो किसी भी वजह से बच्चे को जन्म देने में असमर्थ हैं. लिव इन में रह रहे कपल्स के लिए ये सुविधा नहीं है. हालांकि ये कानून विधवा और तलाकशुदा महिला को सरोगेसी के जरिए माता बनने की इजाजत देता है. बशर्त उनकी उम्र 35 से 45 साल के बीच होनी चाहिए.

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सरोगेसी के लिए कपल का शादीशुदा होना जरूरी है. पति की उम्र 23 से 50 साल और पत्नी की 26 से 55 साल के बीच ही होना चाहिए. पहले ये नियम था शादी के कम से कम पांच साल बाद ही कपल सरोगेसी करा सकता है मगर 2019 में पेश किए गए बिल में ये प्रावधान हटा दिया गया.

कोई भी कपल या डॉक्टर सरोगेसी कानून का उल्लंघन करता है तो उसे पांच साल की सजा या जुर्माना या दोनों सजा हो सकती है.

सरोगेट मदर के लिए क्या हैं नियम
कानून में सरोगेट मदर के लिए भी नियम बनाए गए हैं. ये जरूरी है कि सरोगेट मदर भी शादीशुदा होनी चाहिए. उसका कम से कम अपना एक बच्चा होना चाहिए और उम्र 25 से 35 साल के बीच होनी चाहिए. साथ ही मानसिक रूप से फिट होना चाहिए.

पहले कानून में था कि एक महिला तीन बार सरोगेट मदर बन सकती है. मगर अब नए कानून में एक महिला एक बार ही किसी कपल के लिए गर्भ धारण कर सकती है. साथ ही सरोगेट मदर और उस कपल को अपना आधार कार्ड लिंक कराना भी अनिवार्य है. ताकि धोखाधड़ी से बचा जा सकें.

क्या अविवाहित महिला को सरोगेसी का अधिकार?
कानून में अविवाहित महिला को सरोगेसी के जरिए माता बनने का अधिकार नहीं है. हाल ही में एक 44 साल की महिला ने सुप्रीम कोर्ट में सरोगेसी तकनीक के जरिए अविवाहित मां बनने की याचिका दायर की थी. कोर्ट ने इसपर आपत्ति जताते हुए याचिका खारिज कर दी.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, एक सिंगल महिला को सरोगेसी के तहत मां बनने की अनुमति नहीं है. एक महिला का बिना शादी के बच्‍चा करना भारतीय समाज में नियम नहीं था बल्कि अपवाद था. हम पश्चिमी देशों की राह पर नहीं चल सकते, जहां कई बच्चे अपने माता-पिता के बारे में नहीं जानते.

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किन-किन देशों में सरोगेसी पर प्रतिबंध
बुल्गारिया, फ्रांस, जर्मनी, इटली, पुर्तगाल, ताइवान और स्पेन जैसे देशों ने सरोगेसी पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा रखा है. संयुक्त राज्य अमेरिका में सरोगेसी पर कोई कानून नहीं है, हालांकि कुछ राज्य वाणिज्यिक सरोगेसी व्यवस्था की अनुमति देते हैं.

कनाडा, डेनमार्क, न्यूजीलैंड, ब्राजील, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया में सिर्फ परोपकारी आधार पर सरोगेसी की अनुमति दी जाती है. पैसे कमाने के लिए सरोगेसी का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. यूके, आयरलैंड, डेनमार्क और बेल्जियम में भी सरोगेसी की अनुमति है. ईलाज में खर्चे के अलावा सरोगेट मदर को कुछ भी भुगतान नहीं किया जा सकता.

बॉलीवुड सितारों के सरोगेसी बच्चे
सरोगेसी तकनीक की मदद से कई बॉलीवुड हस्तियों ने मां-बाप बनने का अपना सपना पूरा किया है. ये लिस्ट काफी लंबी है. इसमें प्रियंका चोपड़ा, प्रीति जिंटा, शिल्पा शेट्टी, सनी लियोन, लिसा रे, एकता कपूर, तुषार कपूर, श्रेयस तलपड़े समेत कई बड़ी हस्तियों का नाम शामिल है.
 
इनके अलावा बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान और उनकी पत्नी गौरी खान के तीन बच्चों में से छोटे बेटे अबराम को सरोगेसी से जन्म दिया है. 2013 में उन्होंने सरोगेसी के जरिए अबराम का जन्म होने का ऐलान किया था. अभिनेता सोहेल खान और उनकी पत्नी सीमा ने भी 2011 में बेटे योहान को सरोगेसी के जरिए से जन्म दिया. उनके बड़े बेटे निर्वाण का जन्म नॉर्मल हुआ था. 

मशहूर फिल्म निर्माता करण जौहर ने 2017 में सरोगेसी के जरिए जुड़वां बच्चों को जन्म दिया. करण यश और रूही के पिता हैं. उन्होंने सिंगल पेरेंट बनने का फैसला किया और बच्चों के पालन-पोषण की जिम्मेदारी खुद संभाली. आमिर खान और किरण राव ने भी 2011 में बेटे आजाद खान के माता-पिता बने थे. 

भारत में बड़ी हस्तियों का सरोगेसी के जरिए बच्चा करने की खबरें आना आम होता जा रहा है. इससे सामाज में जागरूकता बढ़ी है.

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