किसान आंदोलन की अगुवाई करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा के सरदार हाकम सिंह कहते हैं कि एमएसपी को मानने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक समिति के गठन का भरोसा दिया था, जिसे जुलाई 2022 में संजय अग्रवाल की अध्यक्षता में अधिसूचना के माध्यम से गठित किया गया। इस समिति में 29 सदस्य शामिल थे। इसमें 18 सरकारी अधिकारी और शिक्षा से जुड़े हुए विशेषज्ञ थे, जबकि 11 गैर आधिकारिक सदस्य भी शामिल थे।
संयुक्त किसान मोर्चा के प्रमुख सदस्य और केरल से पूर्व विधायक टी कृष्णप्रसाद कहते हैं कि इनमें तीन सदस्य उनके किसान मोर्चा से भी शामिल करने को कहा गया था, लेकिन वह इसमें शामिल नहीं हुए थे। टी. कृष्णप्रसाद कहते हैं दरअसल वह इस पूरी संरचना और अवधारणा के खिलाफ थे। लेकिन यह सवाल तो उठाता ही है कि अगर कोई समिति बनाई गई है, तो उसकी रिपोर्ट का क्या हुआ।
दरअसल अब जब किसानों ने एक बार फिर से आंदोलन किया है, तो एमएसपी के लिए तैयार की गई समिति और उसकी रिपोर्ट पर चर्चा होने लगी है। किसान नेता रणवीर टिवाना कहते हैं कि डेढ़ साल से ज्यादा का वक्त हो गया है, लेकिन अब तक संजय अग्रवाल की अध्यक्षता में गठित की गई कमेटी की कोई अंतरिम रिपोर्ट तक नहीं आई है। टिवाना कहते हैं कि केंद्र सरकार की इस पूरी रिपोर्ट पर सवालिया निशान तो उठेंगे ही। क्योंकि किसानों के महत्वपूर्ण मुद्दे पर अब तक कोई भी रिपोर्ट सामने नहीं आई है।
किसान नेता रणवीर टिवाना कहते हैं कि ऐसा नहीं है कि एमएसपी पर बनाई गई कमेटी को लेकर किसान नेताओं की ओर से पूछताछ नहीं की गई। उनका कहना है कि कांग्रेस के नेता दीपेंद्र हुड्डा ने भी इस मामले में राज्यसभा में सवाल उठाया था। चूंकि अब दोबारा से किसान आंदोलन शुरू हुआ है, तो यह सवाल उठने लगा है कि उस समिति और रिपोर्ट का क्या हुआ, जिसमें एमएसपी के लिए ही पूरी कमेटी बनाई गई थी।
हालांकि इस मामले में केंद्रीय कृषि मंत्री ने एक सवाल पर जवाब देते हुए बताया कि एमएसपी समिति की ओर से अब तक 37 बैठकें और कार्यशालाएं आयोजित की जा चुकी हैं। हालांकि इन 37 बैठकों और कार्यशालाओं पर सवाल उठाते हुए किसान नेताओं ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है कि कमेटी की सिफारिशें ही बता दी जाएं। भारतीय किसान यूनियन से ताल्लुक रखने वाले किसान नेता चौधरी अमरदीप कहते हैं कि जिम्मेदारों की ओर से यह बयान दिया जाता है कि 37 बैठकें और कार्यशालाएं हुई हैं तो वह किसी मकसद से हुई होंगी और उनका कुछ तो परिणाम निकला होगा। अब तक उस कमेटी की किसी भी बैठक की कोई अंतरिम रिपोर्ट सामने क्यों नहीं आई है। क्यों किसानों के इतने बड़े आंदोलन के बाद अब तक इसे गंभीरता से नहीं लिया गया।
किसान नेता रविंद्र सिंह लाडी के मुताबिक जब इस कमेटी का गठन किया गया था, तभी इसके गठन पर ही संदेह शुरू हो गए थे। यही वजह थी संयुक्त किसान मोर्चा से किसी प्रतिनिधि ने इसमें हिस्सेदारी नहीं ली थी। बावजूद इसके केंद्र सरकार के भरोसे पर किसानों को उम्मीद थी कि कुछ फैसला अवश्य होगा। लेकिन अब तक कोई ठोस परिणाम न आने के चलते ही किसानों ने दोबारा आंदोलन शुरू किया है। संयुक्त किसान मोर्चा 16 तारीख को पूरे देश में गांव बंदी करने जा रहा है। लाडी का कहना है केंद्र सरकार अगर अभी भी किसानों के हित में फैसला नहीं लेगी, तो आंदोलन भी बढ़ता ही जाएगा।