CAB पर शिवसेना के बदले सुर, लोकसभा में सपोर्ट करने पर ओवैसी बोले- ‘ये भांगड़ा राजनीति है’

नई दिल्ली: केंद्र सरकार की ओर से लाया गया नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) सोमवार को लोकसभा में पास हो गया है. खास बात यह है कि महाराष्ट्र में बीजेपी से अलग होकर एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाने वाली शिवसेना ने भी लोकसभा में इस विधेयक का समर्थन किया है. इसपर ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AMIM) के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने चुटकी ली है. ओवैसी ने शिवसेना के इस कदम को ‘भांगड़ा राजनीति’ कहकर संबोधित किया है.

असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, ‘यह उनकी (शिवसेना) ‘भांगड़ा राजनीति’ है. उन्होंने महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए जो न्यूनतम साझा कार्यक्रम तैयार किया है उसमें वे ‘धर्मनिरपेक्ष’ लिखते हैं, लेकिन अब वे CAB का सपोर्ट कर रहे हैं. जबकि यह विधेयक धर्मनिरपेक्षता और अनुच्छेद 14 के खिलाफ है. यह अवसरवाद की राजनीति है.’

राहुल के ट्वीट पर बदले शिवसेना के सुर?
नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) बुधवार (11 दिसबंर) को राज्यसभा में पेश किया जाएगा. इससे पहले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि इस विधेयक पर विस्तृत चर्चा जरूरी है. माना जा रहा है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी के ट्वीट के बाद शिवसेना ने अपना स्टैंड बदला है. राहुल गांधी ने कहा था कि जो कोई भी इस विधेयक का समर्थन कर रहे हैं, उन्हें समझना चाहिए कि वे देश की बुनियाद पर हमला कर रहे हैं. उधर, एनसीपी के प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा है कि शिवसेना और कांग्रेस अलग-अलग पार्टियां हैं, किसी भी मुद्दे पर दोनों पार्टियां अलग-अलग राय बनाने के लिए स्वतंत्र हैं.

इससे पहले लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) पेश होने से पहले शिवसेना ने समर्थन करने का फैसला किया था. शिवसेना सांसद संजय राउत ने सोमवार को ट्विटर पर इसकी घोषणा की थी. उन्होंने कहा, ‘गैर-कानूनी रूप से रह रहे घुसपैठियों को बाहर निकाला जाना चाहिए.’

राउत ने आगे कहा, ‘अप्रवासी हिंदुओं को नागरिकता दी जानी चाहिए, लेकिन अमित शाह, वोट बैंक बनाने के आरोपों को विराम दें और उन्हें वोट देने का अधिकार नहीं दें. इस पर आप क्या कहते हैं? और हां (कश्मीरी) पंडितों के बारे में आपका क्या कहना है? क्या अनुच्छेद 370 रद्द किए जाने के बाद वे वापस कश्मीर जाकर रह पाएंगे?’

मालूम हो कि नागरिकता संशोधन विधेयक, 2019, के तहत उन हिंदुओं, ईसाइयों, सिखों, पारसियों, जैनों, और बौद्धों को भारतीय राष्ट्रीयता प्रदान की जाएगी, जो पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में उत्पीड़न से भाग कर यहां आए हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *