MP में ठाकुर-ब्राह्मणों जाति गणित फेल ?
MP में ठाकुर-ब्राह्मणों की केमिस्ट्री में जाति गणित फेल ...
पॉलिटिक्स का पावर प्लान; 14% आबादी को सत्ता का सबसे बड़ा शेयर …
जाति गणना का वादा करने वाली कांग्रेस ने भी 230 में से 60 सीटों पर ठाकुर-ब्राह्मणों को उम्मीदवार बनाया है। भाजपा ने ऐसा कोई दावा नहीं किया है, लेकिन उसने भी इन्हीं वर्गों को सबसे ज्यादा टिकट दिए हैं।
दैनिक भास्कर ने जाना कि दोनों ही पार्टियों ने किस जाति को कितने टिकट दिए… एक्सपर्ट्स से समझा कि यदि जाति के आधार पर टिकट मिलती हैं तो फिर ठाकुर-ब्राह्मणों को सबसे ज्यादा टिकट कैसे मिल रहे हैं? सबसे पहले समझते हैं कि जाति के ये आंकड़े कितने भरोसेमंद हैं?
आधिकारिक तौर पर देश में जातिगत जनगणना 1931 में हुई थी। OBS, ST और SC कैटेगरी का सामूहिक डेटा अलग-अलग स्टडीज में सामने आता रहा है, लेकिन इन वर्गों की जातियों के बारे में स्पष्ट आंकड़े सरकारी दस्तावेजों का हिस्सा नहीं हैं।
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस-भाजपा के उम्मीदवारों की सूची में ये सामने आया है कि प्रदेश की 50 फीसदी आबादी वाले OBC वर्ग के हिस्से में सिर्फ 26 प्रतिशत टिकटें आई हैं। इसमें भी सबसे ज्यादा हिस्सा लोधी और यादवों का है। दोनों पार्टियों की तरफ से सबसे ज्यादा टिकट ठाकुर-ब्राह्मणों को ही मिले हैं। SC-ST को उतनी ही टिकटें मिली हैं, जितनी सीटें रिजर्व हैं।
मध्यप्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग की कोर्ट में पेश रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में 50.09 फीसदी OBC हैं। 21.1% आदिवासी और 15.6% SC हैं। विधानसभा में 47 सीटें ST के लिए और 35 सीटें SC वर्ग के लिए रिजर्व हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 7 फीसदी मुस्लिम हैं।
हालांकि, राजनीतिक विश्वलेषक इन आंकड़ों पर भरोसा नहीं करते। वे कहते हैं कि सवर्ण आबादी 24 फीसदी से ज्यादा है।
65% मतदाता अपनी जाति के उम्मीदवार को देते हैं वोट
अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी के एक शोध का हवाला देते हुए राजनीतिक विश्लेषक अमिताभ तिवारी कहते हैं कि देश में 55% लोग अपनी जाति के उम्मीदवार को ही वोट देते हैं। मध्यप्रदेश में ये प्रवृत्ति राष्ट्रीय औसत से भी ज्यादा है। यहां 65 फीसदी मतदाता अपनी जाति के उम्मीदवार को वोट करते हैं।
कम आबादी प्रतिशत वाले वर्गों को ज्यादा टिकट मिलने के सवाल पर उनका जवाब है कि जितनी आबादी, उतना हक कहने वाली कांग्रेस के लिए ये आंकड़े ठीक नहीं हैं। इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि MP में 7 फीसदी मुसलमान हैं, लेकिन कांग्रेस ने उन्हें सिर्फ 2 टिकट दिए हैं। भाजपा तो कभी ये दावा करती ही नहीं है। यदि ऐसा हुआ तो देश में एक नई बहस छिड़ जाएगी।
जनरल कैटेगरी में कांग्रेस बनाम भाजपा..
चाहे कोई जीते, 60 विधायक ठाकुर-ब्राह्मण वर्ग से होंगे
भाजपा-कांग्रेस, दोनों पार्टियों ने ठाकुर और ब्राह्मणों पर सबसे ज्यादा भरोसा जताया है। दोनों ही पार्टियों ने इन दो जातियों के 60-60 उम्मीदवारों को मौका दिया है। यानी एक बात तय है कि चाहे कोई जीते, 230 सदस्यों की विधानसभा में 60 विधायक इन्हीं दो जातियों के होंगे। जैन समुदाय पर दोनों पार्टियों ने बराबर भरोसा जताया है। इस वर्ग को 7-7 टिकटें दी हैं।
सवर्ण वर्ग को कांग्रेस ने सबसे ज्यादा 85 टिकट दी हैं, जबकि भाजपा ने इस वर्ग के 79 उम्मीदवारों को मौका दिया है यानी ब्राह्मण-बनियों को टिकट देने में कांग्रेस भाजपा से आगे है।
प्रदेश की करीब 50% OBC आबादी को कितनी हिस्सेदारी..
अन्य पिछड़ा वर्ग में भाजपा ने कांग्रेस से ज्यादा टिकट दिए
पिछड़ा वर्ग आयोग ने आरक्षण के मसले पर दो साल पहले हाईकोर्ट में जो रिपोर्ट पेश की, उसमें OBC की आबादी 50.1 फीसदी बताई गई है। हालांकि, जातियों के आंकड़े सार्वजनिक नहीं हैं लेकिन दोनों पार्टियों ने सबसे ज्यादा टिकट लोधी, यादव, कुर्मी और कुशवाहा जाति के उम्मीदवारों को दी हैं।
उमा भारती की नाराजगी के बाद भाजपा ने सबसे ज्यादा 11 लोधी उम्मीदवार उतारे हैं। कांग्रेस ने लोधी और यादव समाज को बराबर 7-7 सीटें दी हैं।
OBC कैटेगरी में भाजपा ने कांग्रेस से ज्यादा टिकट दिए हैं। भाजपा ने 68 टिकट पिछड़ा वर्ग को दी हैं, जबकि कांग्रेस ने 60 को।
अनुसूचित जाति वर्ग के लिए जितनी सीटें, उतने टिकट
अनुसूचित जाति (SC) वर्ग के लिए मध्यप्रदेश में 35 सीटें रिजर्व हैं। दोनों ही पार्टियों ने एससी कैटेगरी में उतनी ही टिकटें दी हैं, जितनी रिजर्व है। यानी सामान्य कोटे की सीटों पर कहीं भी SC वर्ग को टिकट देने से परहेज किया गया है। इस वर्ग में सबसे ज्यादा टिकट खटीक और अहिरवार जाति के उम्मीदवारों को मिली है।
कांग्रेस ने 14 अहिरवार को टिकट दिए हैं, जबकि भाजपा ने 8 को। इसी प्रकार कांग्रेस ने 5 खटीकों को टिकट दी है, जबकि भाजपा ने 10 खटीकों को दी हैं। भाजपा ने SC कैटेगरी की गुना सीट पर अभी उम्मीदवार घोषित नहीं किया है।
कांग्रेस-BJP दोनों पार्टियों ने गोंड को सबसे ज्यादा टिकट दिए
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक मध्यप्रदेश में 21 फीसदी आदिवासी हैं। इसमें भी सबसे ज्यादा गोंड हैं। गोंड को दोनों ही पार्टियों ने बराबर टिकटें दी हैं। ऐसे ही भील और भिलाला जाति को भी दोनों पार्टियों ने ज्यादा टिकट दी हैं।