आकाश की वापसी मायावती के लिए जरूरी या मजबूरी?
बुआ-भतीजे में ऑल इज वेल, आकाश की वापसी मायावती के लिए जरूरी या मजबूरी?
सपा प्रमुख मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी से निष्कासित करने के बाद 41 दिनों में वापस बुला लिया है. आकाश ने अपने ससुर के प्रभाव में आने की गलती स्वीकार करते हुए माफ़ी मांगी. यह कदम मायावती के लिए राजनीतिक मजबूरी या ज़रूरत दोनों ही हो सकती है क्योंकि आकाश दलित युवाओं में लोकप्रिय हैं. आकाश की वापसी से बसपा के भविष्य पर व्यापक प्रभाव पड़ सकता है.

बसपा प्रमुख मायावती और उनके भतीजे आकाश आनंद के बीच सियासी रिश्ते दोबारा से पटरी पर आ गए हैं. आंबेडकर जयंती से एक दिन पहले आकाश आनंद ने सार्वजनिक रूप से मायावती से माफी मांगा तो कुछ ही घंटे बाद उन्होंने बड़ा दिल दिखाते हुए उन्हें माफ कर दिया. इस तरह बसपा से निकाले जाने के 41 दिन बाद आकाश आनंद की दोबारा से पार्टी में वापसी हो गई है. आकाश आनंद अपने पिता आनंद कुमार के साथ डॉ. आंबेडकर जयंती पर नोएडा के दलित प्रेरणा स्थल पर आयोजित बसपा के कार्यक्रम में नजर आएंगे.
मायावती ने तीन मार्च को आकाश आनंद को बसपा से निष्कासित कर दिया था. इसके पीछे वजह आकाश आनंद का अपने सुसर अशोक सिद्धार्थ के सियासी सलाह पर चलना था. बसपा से निकाले जाने के सवा महीने के बाद आकाश ने रविवार को मायावती को पत्र लिखकर माफी मांगने के साथ-साथ दोबारा से बसपा में काम करने की इच्छा जताई है और कहा है कि पार्टी हित में अब वे अपने रिश्ते-नातों खासकर ससुराल पक्ष को भी नहीं सुनेंगे.
आकाश के माफी मांगने के करीब ढाई घंटे बाद ही मायावती ने भी उन्हें माफ करके पार्टी में वापसी कर एक मौका और देने का ऐलान कर दिया, लेकिन न ही आकाश को कोई पद दिया है और न ही सियासी रुतबा.
आकाश की घर वापसी की इन साइड स्टोरीआकाश आनंद की बसपा में घर वापसी की स्क्रिप्ट पहले ही लिखी जा चुकी थी, जिसे सोची-समझी रणनीति के तहत आंबेडकर जयंती से एक दिन पहले अमलीजामा पहनाने का काम किया गया है. मायावती ने आकाश आनंद को बसपा से निकालने का फरमान 3 मार्च को सुनाया था, जिसके बाद से आकाश आनंद ने खामोशी बना ली थी, लेकिन परदे के पीछे से बिगड़े रिश्तों को पटरी पर लाने की कोशिश हो रही थी. बसपा सूत्रों की माने तो आकाश आनंद ने पार्टी से निकाले जाने के बाद अपने पिता आनंद कुमार से सारे मसले पर बात की और उन्होंने समझ लिया की वाकई उनसे बहुत बड़ी गलती हुई है, जो उन्होंने अपने ससुर अशोक सिद्धार्थ के बहकावे में आ गए थे.
पिता और पुत्र के बीच ऑल इज वेल होने के बाद ही आनंद कुमार ने बहन मायावती से इस मसले पर बात की. यही नहीं बसपा के चार बड़े नेताओं ने भी मायावती को समझाया कि आकाश आनंद तो बच्चा है, उसे अशोक सिद्धार्थ ने बहकाने का काम किया था. इसमें आकाश आनंद की कोई गलती नहीं है और पार्टी से निकालकर आपने उसे बहुत बड़ी सजा दे दी है. इसके बाद आकाश आनंद ने मायावती से फोन पर ही बातचीत कर अपनी गलती स्वीकार की और दोबारा से पार्टी में काम करने का एक मौका मांगा.
आकाश और मायावती ने ऑल इज वेलमायावती ने दस दिन पहले ही आकाश आनंद को माफ कर चुकी थी और उन्हें पार्टी में लेने की स्क्रिप्ट भी लिखी जा चुकी थी. आकाश आनंद के माफीनामा भी बसपा के लोगों ने सोशल मीडिया पर वायरल किया और पत्रकारों को भेजा. इससे भी जाहिर होता है कि बुआ मायावती और भतीजे आकाश आनंद में सब कुछ पहले से तय हो गया था, लेकिन उसके लिए शुभ मुहूर्त का इंतजार था. इसके लिए आंबेडकर जयंती से एक दिन पहले का चुना गया. आकाश ने रविवार शाम को 5 बजकर 56 मिनट पर सोशल मीडिया के प्लेटफार्म एक्स पर मायावती से मांगी. इसके करीब ढाई घंटे बाद 8 बजकर 23 मिनट पर मायावती ने एक्स पर उन्हें माफ करने की घोषणा कर दी.
आकाश आनंद ने रविवार को एक के बाद एक चार ट्वीट एक्स पर एक पोस्ट किए, जिसमें उन्होंने मायावती को अपना दिल से एकमात्र राजनीतिक गुरू और आदर्श मानने की बात लिखी. इसके साथ ही प्रण लिया कि बहुजन समाज पार्टी के हित के लिए वह अपने रिश्ते-नातों को और खासकर अपने ससुराल वालों को कतई भी बाधा नहीं बनने देंगे. साथ ही कहा कि मायावती के दिए गए दिशा-निर्देशों का ही पालन करूंगा और तथा पार्टी में अपने से बड़ों की व पुराने लोगों की भी पूरी इज्जत करूंगा और उनके अनुभवों से भी काफी कुछ सीखेंगे. मेरी सभी गलतियों को माफ करके मुझे दोबारा से पार्टी में कार्य करने का मौका दें.
आकाश आनंद के पोस्ट करने के ढाई घंटे के बाद मायावती ने कहा कि आकाश आनंद ने अपने चार सोशल मीडिया पोस्ट में सार्वजनिक तौर पर अपनी गलतियों को मानने और सीनियर लोगों को पूरा आदर-सम्मान देने की बात लिखी. वैसे पार्टी से निष्कासन के बाद आकाश अपनी तमाम गलतियों के लिए माफी मांगने व आगे ऐसी गलती नहीं करने को लेकर वह लोगों से लगातार सम्पर्क करता रहा है और अब उसने सार्वजनिक तौर पर अपनी गलतियों को मानते हुए अपने ससुर की बातों में अब आगे नहीं आने का संकल्प व्यक्त किया है. इसके अलावा बसपा और मूवमेंट के लिए जीवन समर्पित करने का वादा किया. इसके मद्देनजर इन्हें एक और मौका दिए जाने का निर्णय लिया गया.
आकाश की घर वापसी मजबूरी या जरूरीआकाश आनंद को अपने सियासी भविष्य के लिए बसपा की जितनी जरूरत है, उतनी ही मायावती को भी आकाश आनंद की जरूरत है. इस तरह दोनों एक दूसरे के लिए सियासी मजबूरी भी है और जरूरी भी हैं. मायावती इस बात को बखूबी जानती हैं कि बसपा का भविष्य किसके हाथ में ज्यादा सुरक्षित रहेगा. मायावती इस बात को बखूबी समझती हैं कि उनके सिवा दलित समाज की भीड़ बसपा में जुटाने की ताकत रखता है तो वो आकाश आनंद हैं. दलित युवाओं की बीच आकाश की मजबूत पैठ है.
बसपा में निकाले जाने के बाद से ही आकाश की वापसी के लिए लगातार मांग उठ रही थी. इसके अलावा मायावती की गोद में खेलकर बड़े हुए हैं और उनकी उंगली पकड़कर सियासी राह पर चलना सीखा है. मायावती भी आकाश के हाथों में ही बसपा का भविष्य देख रही है. इस तरह मायावती बहुत दिनों तक आकाश से नाराज नहीं रह सकती थी, जिसके लिए ही उनकी घर वापसी का रास्ता निकाला गया. आकाश आनंद भी जानते हैं कि बसपा में रहकर सियासी तौर पर जो हासिल किया जा सकता है, वो न तो कोई पार्टी बनाकर कर सकते हैं और न ही किसी दूसरी पार्टी में जाकर.
आकाश के जरिए क्या है मायावती का प्लान?बसपा का सियासी ग्राफ लगातार नीचे गिरता जा रहा है. दलित समुदाय को भी बसपा से लगातार मोहभंग हो रहा है. दलितों के बीच चंद्रशेखर आजाद तेजी से अपने सियासी पैर पसारता जा रहे हैं, जिससे दलित युवाओं का झुकाव भी तेजी से हो रहा है. ऐसे में दलित युवाओं को चंद्रशेखर की तरफ जाने से रोकने के लिए मायावती ने आकाश आनंद को सियासत में लाईं थी. 2017 में सहारनपुर में दलित-ठाकुर वर्चस्व की लड़ाई में चंद्रशेखर का नाम आया था तो उसी समय आकाश को राजनीतिक पिच पर उतारा गया था. इतना ही नहीं 2024 के लोकसभा चुनाव अभियान का आगाज भी आकाश आनंद ने नगीना से किया था, जहां से चंद्रशेखर आजाद लोकसभा सांसद बने हैं.
आकाश के जरिए मायावती दलित युवाओं को आकर्षित करना चाहती हैं, जिस पर चंद्रशेखर आजाद से लेकर सपा और कांग्रेस तक की नजर है. सपा अपने राज्यसभा सांसद रामजीलाल सुमन के बहाने दलितों को गोलबंद करने में जुटी हुई है. रामजीलाल के बयान पर करणी सेना और ठाकुर समुदाय के लोग जिस तरह से आक्रमक हैं, वैसे में अखिलेश यादव ने साफ कर दिया है कि रामजीलाल के साथ मजबूती से खड़े हैं और सपा उनकी लड़ाई को लड़ेगी. इसके अलावा डा. आंबेडकर की मूर्ति का इटावा में अनावरण करके अखिलेश ने सियासी संदेश देने की कवायद की है.
दलित वोटबैंक पर सबकी नजरकांग्रेस की नजर भी दलित समुदाय के वोट बैंक पर है. कांग्रेस ने गुजरात के अहमदाबाद अधिवेशन में जिस तरह से दलित-आदिवासी और पिछड़ों को लेकर अपने प्रस्ताव पारित किए हैं और सामाजिक न्याय के एजेंडे पर आगे बढ़ने का फैसला लिया है. कांग्रेस के दलित वोट बैंक पर फोकस किए जाने के चलते मायावती असहज महसूस कर रही हैं. इसे लेकर उन्होंने सोशल मीडिया पर कांग्रेस को आड़े हाथों भी लिया था. राहुल गांधी की सामाजिक न्याय की प्रतिबद्धता को देखते हुए मायावती के लिए आकाश आनंद की वापसी करना मजबूरी बन गया था.
आकाश आनंद की वापसी कराकर मायावती ने दलित युवाओं के साथ-साथ अपने कोर वोट बैंक को साधने रखनी की स्ट्रैटेजी मानी जा रही है. आकाश आनंद 2024 के लोकसभा चुनाव में अपने भाषणों के जरिए अपनी सियासी पहचान बनाने में कामयाब रहे थे. दलित युवाओं के बीच आकाश की लोकप्रियता भी अच्छी खासी मानी जा रही है. आकाश आनंद के बसपा से निकाले जाने के बाद दलित युवाओं में मायूसी छा गई थी और उनके कांग्रेस या फिर दूसरे दलों में जाने का खतरा मंडरा रहा था. ऐसे में मायावती ने आंबेडकर जयंती से एक दिन पहले आकाश आनंद की घर वापसी करके सियासी संदेश देने का दांव चला है. अब फिर से उनकी सक्रियता देखने को मिलेगी?