2023 में उजाड़ी गई सबसे ज्यादा झुग्गी-बस्तियां!
2023 में उजाड़ी गई सबसे ज्यादा झुग्गी-बस्तियां! आखिर क्या थी वजह और कितनों को मिले घर?
साल 2022 में रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट के तहत 29,764 घरों को खाली करवाया गया था. यह संख्या 2023 में बढ़कर 60,486 हो गई है.
द हाउसिंग एंड लैंड राइट्स नेटवर्क (एचएलआरएन) ने हाल ही में भारत के झुग्गी बस्तियों को हटाए जाने पर एक रिपोर्ट जारी की है. इसके अनुसार सरकार की तरफ से स्लम एरिया की झुग्गियों को गिराने और रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट पर चल रहे काम में साल 2022 की तुलना में 2023 में दो गुना की बढ़ोत्तरी देखी गई है.
इसी रिपोर्ट के अनुसार साल 2022 में रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट के तहत 29,764 घरों को खाली करवाया गया था. यह संख्या 2023 में बढ़कर 60,486 हो गई है. जबकि इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के लिए 2021 में 13,870 झुग्गियों को हटाया गया था, जो 2023 में बढ़कर 40,067 हो गई.
‘भारत में जबरन बेदखली: 2022 & 2023’ टाइटल से, HLRN की रिपोर्ट से पता चलता है कि पिछले एक साल में भारत में जहां झुग्गी झोपड़ी को हटाने में 103 का इजाफा हुआ है वहीं इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना के लिए गिराए गए घरों में 188 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है.
लोगों को जबरन किया गया घर से बेदखल
इसी रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र की है कि रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट के तहत लगभग 222,686 लोगों को ग्रामीण क्षेत्रों से उनके इच्छा के विरुद्ध यानी जबरदस्ती बेदखल कर दिया गया और 515,752 लोगों ऐसे हैं जिन्हें शहरी क्षेत्रों से विस्थापित किया गया.
रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में भारत में लगभग 4 मिलियन से ज्यादा लोगों के पास रहने के लिए घर नहीं है और 75 मिलियन से ज्यादा लोग शहरी क्षेत्रों में ‘अनौपचारिक बस्तियों’ में रहते हैं और ऐसे में झुग्गियों को गिराया जाना इन आंकड़ों को बदतर बनाता हैं.
सिर्फ 28 प्रतिशत लोगों को ही मिल पाया पुनर्वास
लोगों को उनकी झुग्गी झोपड़ी से बेदखल करने की एक बड़ी संख्या अदालती आदेशों द्वारा समर्थित है. यानी कोर्ट की तरफ से उन्हें बेदखल करने का आदेश दिया जाता है.
2022 में लगभग 33,360 लोगों को अदालती आदेश के कारण बेदखल कर दिया गया, जो कुल निष्कासन का 15 प्रतिशत था. वहीं साल 2023 में बेदखल किए गए 2.5 लाख लोगों में से 49 फीसदी के मामलों में कोर्ट के फैसले शामिल थे. रिपोर्ट बताती है कि बेदखल किए गए लोगों में से केवल 28% को ही पुनर्वास मिला है.
बेदखल किए जाने वाले शहरों में दिल्ली टॉप पर
इस रिपोर्ट के अनुसार राजधानी दिल्ली में बेदखली की सबसे ज्यादा घटनाएं सामने आई है. यहां साल 2022 से लेकर 2023 के बीच कुल 78 ऐसी घटनाएं दर्ज की गई, जिसमें लगभग 2.8 लाख लोगों को अलग अलग राज्य अधिकारियों द्वारा बलपूर्वक बेदखल किया गया है.
HLRN रिपोर्ट हमें बताती है कि बेदखल किए गए लोगों में साल 2023 में कम से कम 36% और 2022 में 27% लोग धार्मिक अल्पसंख्यकों, अनुसूचित जनजातियों, अनुसूचित जातियों, अन्य पिछड़े वर्गों जैसे हाशिए पर रहने वाले समूहों से संबंध रखते थे.
क्यों उजाड़ी जा रही है झुग्गी बस्तियां, 2 कारण
1. कोर्ट का आदेश
‘इंस्टीट्यूट ऑफ टाउन प्लानर्स इंडिया’ के अध्यक्ष आकाश झा ने बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट में बताया कि भारत में दो कैटेगरी में स्लम एरिया को बांटा गया है. पहला- नोटिफाइड स्लम और दूसरा- अननोटीफाइड स्लम.
अब नोटिफाइड स्लम में जो लोग रह रहे उन्हें रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट के तहत पुनर्वास के लिए सरकार की उचित मुआवजा देने की योजना है. लेकिन वैसे लोग जो अननोटिफाइड बस्तियों में रहते हैं उन्हें किसी तरह का कोई मुआवजा नहीं मिलता और न ही सरकार उन्हें मुआवजा देने के लिए बाध्य नहीं है.
इतना ही नहीं अननोटिफाइ़ड स्लम की झुग्गियों को गिराने के लिए कोर्ट के आदेश की भी कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि “अधिसूचित” शब्द को भारतीय कानून में टाउनशिप योजना के तहत ठीक से परिभाषित नहीं किया गया है.
2. रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट
अमेरिकन सोशियोलॉजिकल एसोसिएशन के जर्नल में कहा गया है कि भारत में झुग्गी- झोपड़ियों को गिराए जाने का एक बड़ा कारण रीडेवलपमेंट है. हाल ही में धारावी का रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट भी काफी चर्चा में रहा है. मुंबई के धारावी में एशिया का सबसे बड़ा स्लम एरिया है. इस क्षेत्र का आकार न्यूयॉर्क के सेंट्रल पार्क जितना है लेकिन इस छोटी सी जगह में लाखों लोग रहते हैं.
इस लघु इलाके में हजारों छोटे-छोटे घर बने हैं. धारावी स्लम गरीबों की बस्ती है जहां रहने वाले हजारों लोगों को साफ पानी और स्वच्छ शौचालयों तक की व्यवस्था मयस्सर नहीं हैं. अब इसी साल की शुरुआत में धारावी के रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी दिग्गज कारोबारी गौतम अडानी (Gautam Adani) को सौंपी गई है.
हालांकि यहां रह रहे लोगों को अब भी इस बात का डर है कहीं रिडेवलपमेंट के नाम पर उनका घर छीन न लिया जाए और कहीं वे बेघर न हो जाएं.
धारावी स्लम एरिया में 10 लाख से ज्यादा लोग रहते हैं
पिछली जनगणना के मुताबिक धारावी के झुग्गी बस्ती में लगभग 10 लाख यानी 1 मिलियन लोग रहते हैं. ये जनसंख्या दुनिया के कई देशों की आबादी से ज्यादा है. और इतनी जनसंख्या के वजह से ही धारावी को दुनिया का सबसे घना इलाका भी कहा जाता है. यहां लगभग दो वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में इतने लोगों का बसना बहुत बड़ी बात है.
झुग्गी से बेदखल किए गए लोगों के साथ क्या होता है
‘इंस्टीट्यूट ऑफ टाउन प्लानर्स इंडिया’ के अध्यक्ष आकाश झा ने इस सवाल के जवाब में कहा, “ऐसे लोग जो झुग्गी झोपड़ियों को गिराने से प्रभावित होते हैं, उन्हें संबंधित सरकारी विभागों के अनुरोध पर, नगर नियोजकों द्वारा ‘परियोजना-प्रभावित व्यक्ति’ कार्यक्रम के तहत अस्थायी घर प्रदान किया जाता है. इसके कई बार उन्हें बेहतर मुआवजा भी दिया जाता है.”
मुंबई के धारावी का रीडेवलपमेंट प्लान के बारे में भी जान लीजिए
धारावी रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट, इस परियोजना का मकसद एशिया के सबसे बड़े स्लम क्षेत्र को तोड़कर हाई राइज बिल्डिंग और कई तरह का विकास करना है. इस प्रोजेक्ट को पहली बार साल 2004 में शुरू किया गया था.
इस प्रोजेक्ट के तहत मुंबई के धारावी में रहने वाले लगभग 68,000 परिवारों को दूसरी जगह बसाया जाएगा और हर परिवार को 405 वर्ग फीट कारपेट एरिया का घर भी दिया जाएगा.
इस प्रोजेक्ट का प्रस्ताव सबसे पहले बीजेपी-शिवसेना सरकार ने साल 1999 में रखा था. साल 2004 में दिवंगत विलासराव देशमुख के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने मुंबई को झुग्गी-झोपड़ी से मुक्त करने के मकसद से स्लम पुनर्विकास प्राधिकरण (SRA) के तहत धारावी रीडेवलपमेंट अथॉरिटी का गठन किया था.
हालांकि साल 2020 के अक्टूबर महीने में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (MVA) सरकार ने इस टेंडर रद्द करते हुए कहा था कि केंद्र सरकार इस प्रोजेक्ट के लिए जरूरी रेलवे जमीन को ट्रांसफर करने में देरी कर रही है.
इसके बाद महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे की सरकार सत्ता में आई और केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 18 अक्टूबर 2023 को रेलवे की जमीन सौंपने के लिए हस्ताक्षर कर दिए.
उधर सेकलिंक टेक्नोलॉजीज कॉर्पोरेशन ने कोर्ट का दरवाजा खटखाते हुए कंपनी का आरोप लगाया कि शिंदे सरकार ने धारावी रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट के लिए 2018 में दिए गए टेंडर को गलत तरीके से रद्द कर दिया है और दूसरे उद्योगपति को फायदा पहुंचाने के लिए नया टेंडर जारी कर दिया.
इस प्रोजेक्ट के लिए साल 2007, 2009, 2011, 2016, 2018 और 2022 में कई बार ग्लोबल टेंडर जारी किए गए. हालांकि किसी न किसी कारण ये अटकता रहा. अंत में साल, 2022 में 5069 करोड़ की सबसे ज्यादा बोली लगाने वाले देश के एक बड़े उद्योगपति को धारावी रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट सौंप दिया गया. तभी से महाराष्ट्र में तमाम विपक्षी पार्टियां प्रोजेक्ट का विरोध कर रही हैं.