गर्मी से पहले ही प्यास से तरसने लगे शहर !
जल संकट: गर्मी से पहले ही प्यास से तरसने लगे शहर, भारत की सिलिकॉन वैली में हाहाकार
हाल ही में नीति आयोग द्वारा जारी रिपोर्ट में भी यह बात स्वीकार की गई है कि भारत के कई शहरों में जल संकट गहराता जा रहा है, और आने वाले वक्त में उसके और विकराल रूप लेने के आसार हैं। रिपोर्ट के अनुसार, जहां वर्ष 2030 तक देश की लगभग 40 फीसदी आबादी के लिए जल उपलब्ध नहीं होगा, वहीं 2020 तक देश में 10 करोड़ से भी अधिक लोग गंभीर जल संकट का सामना करने के लिए मजबूर थे। नीति आयोग की समग्र जल प्रबंधन सूचकांक (कंपोजिट वाटर मैनेजमेंट इंडेक्स) रिपोर्ट के अनुसार, देश के 21 प्रमुख शहरों में लगभग 10 करोड़ लोग जल संकट की भीषण समस्या से जूझ रहे हैं।
वास्तविकता यह भी है कि दुनिया की लगभग 17 फीसदी आबादी वाले देश भारत के पास दुनिया के ताजा जल संसाधनों का मात्र चार फीसदी ही है। भारत में लगभग 70 फीसदी सतही और ताजा जल के संसाधन सीवेज वेस्ट और कारखानों के अपशिष्ट से प्रदूषित हैं। वैश्विक जल गुणवत्ता सूचकांक में भारत 122 देशों में से 120वें स्थान पर है। भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र (32.8 करोड़ हेक्टेयर) में से 69 फीसदी (22.8 करोड़ हेक्टेयर) क्षेत्र सूखाग्रस्त है। ये आंकड़े हमारे देश में जल संकट की गंभीरता को साफ-साफ बयान करते हैं। वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टीट्यूट (डब्ल्यूआरआई) द्वारा जारी नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, देश में जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग की वजह से हो रहे बदलावों के कारण यदि पानी की मांग और आपूर्ति का संतुलन बिगड़ता है, तो उसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
दरअसल, जैसे-जैसे जलवायु परिवर्तन की पदचाप गहराती जा रही है, वैसे-वैसे वैश्विक तापमान (ग्लोबल वार्मिंग) बढ़ता जा रहा है। इसका असर मौसम के बदलते मिजाज के रूप में नजर आ रहा है। इसके चलते कहीं बारिश कम हो रही है, तो कहीं सर्दियों का मौसम अपेक्षाकृत गर्म हो रहा है। वर्ष 1975 से वर्ष 2000 के बीच जिस मात्रा और रफ्तार से हिमालय ग्लेशियर की बर्फ पिघल रही है, साल 2000 के बाद से वह मात्रा और रफ्तार दोगुनी हो गई है। वहीं दूसरी तरफ मौसम के इस बदलाव के कारण पहाड़ सर्दियों में बर्फ की चादर में लिपटने से वंचित हो रहे हैं।
वैज्ञानिकों ने आशंका जताई है कि वर्ष 2100 आने तक हिमालय के 75 फीसदी ग्लेशियर पिघल कर खत्म हो जाएंगे। इससे हिमालय के नीचे वाले भू-भाग में रहने वाले आठ देशों के करीब 200 करोड़ लोगों को पानी की किल्लत और बाढ़ के खतरे का सामना करना पड़ सकता है। इन देशों में भारत, पाकिस्तान, भूटान, अफगानिस्तान, चीन, म्यांमार, नेपाल और बांग्लादेश शामिल हैं। इन पर्वत शृंखलाओं के ग्लेशियर पिघलने से दिल्ली, ढाका, कराची, कोलकाता और लाहौर जैसे पांच महानगरों को पानी की भारी किल्लत का सामना करना होगा। इन नगरों की आबादी 9 करोड़ 40 लाख से ज्यादा है और इसी क्षेत्र में दुनिया की सबसे बड़ी 26,432 मेगावॉट क्षमता वाली पनबिजली परियोजना है। जाहिर है, जलवायु परिवर्तन के कारण पानी की समस्या से निपटने के लिए हमें जल संरक्षण के उपायों पर गंभीरता से विचार करना होगा और पर्यावरण सुरक्षा के उपाय करने होंगे।