पति जेल में बंद, पत्नियां संभालेंगी सियासी मैदान !
पति जेल में बंद, पत्नियां संभालेंगी सियासी मैदान
कल्पना-श्रीकला के चुनाव लड़ने की चर्चा, सुनीता कर सकती हैं कैंपेन
लोकसभा चुनाव 2024 में तीन बड़े राजनेताओं की पत्नी के सियासी मैदान में उतरने की चर्चा है. इनमें से दो नेता मुख्यमंत्री स्तर के हैं और पार्टी की कमान भी उनके पास ही है.
देश में बड़े नेताओं के जेल जाने के बाद उनकी पत्नियों का सियासी जंग में आना नई बात नहीं है. इस बार लोकसभा चुनाव 2024 में कई ऐसे राजनेताओं की पत्नियां हैं, जो अपने पति की सियासी विरासत को बचाने के लिए मैदान में आने की तैयारी कर रही हैं.
इनमें 3 नाम प्रमुख हैं- हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना, अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता और धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला.
तीनों के पति अलग-अलग मामलों में गिरफ्तार हुए हैं और लोकसभा चुनाव तक इनके बाहर आने की संभावनाएं बहुत ही कम है. ऐसे में माना जा रहा है कि यह तीनों ही अपने पति के सियासी मैदान को बचाने के लिए फ्रंटफुट से खेल सकती हैं.
दिलचस्प बात है कि जेल में बंद ये तीनों ही नेता सत्ताधारी बीजेपी के विरोधी खेमे के हैं.
हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन
झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन जमीन घोटाले के आरोप में प्रवर्तन निदेशालय की गिरफ्त में हैं. न्यायिक हिरासत के तहत उन्हें रांची जेल में रखा गया है. हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद उनकी पत्नी कल्पना सोरेन राजनीति में सक्रिय हो गईं.
मुंबई में हाल ही में इंडिया गठबंधन की रैली हुई थी, जिसे कल्पना सोरेन ने JMM की तरफ से संबोधित किया था.
जमीन पर भी कल्पना काफी सक्रिय हैं और संथाल परगना में घूम-घूम कर लोगों से जनसमर्थन जुटा रही हैं. जेएमएम सूत्रों के मुताबिक कल्पना सोरेन के चुनाव लड़ाने की भी तैयारी पार्टी के भीतर हो रही है.
कल्पना गांडेय सीट से उपचुनाव लड़ सकती हैं. यह सीट हेमंत सोरेन ने जेल जाने से पहले खाली करवा दी थी. कल्पना को आगे लाने के पीछे का मुख्य मकसद संथाल परगना में जेएमएम वोटरों को इमोशनली साधना है.
कल्पना के भाषण की स्क्रिप्ट भी हेमंत के जेल जाने के इर्द-गिर्द ही रहती है.
कल्पना और हेमंत सोरेन की शादी साल 2006 में हुई थी. वे मूल रूप से ओडिशा के मयूरभंजन जिले की रहने वाली हैं. सक्रिय राजनीति में आने से पहले कल्पना एक प्ले स्कूल चलाती थीं.
धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला रेड्डी
उत्तर प्रदेश के जौनपुर से पूर्व सांसद धनंजय सिंह अभी जेल में बंद हैं. चुनाव की घोषणा से कुछ दिन पहले ही उन्हें अपहरण के एक मामले में दोषी पाया गया था. उन्हें 7 साल की सजा मिली है.
धनंजय इस बार भी जौनपुर से लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में थे. हालांकि, जेल जाने और सजा मिलने की वजह से उनके अरमानों पर पानी फिर गया.
जौनपुर से अब उनकी पत्नी श्रीकला रेड्डी के चुनाव लड़ने की चर्चा है. श्रीकला अभी जौनपुर जिला पंचायत की अध्यक्ष भी हैं. धनंजय और श्रीकला की शादी साल 2017 में हुई थी. श्रीकला को लेकर जौनपुर से लखनऊ तक 2 तरह की चर्चा है.
- धनंजय सिंह के सिंपैथी वोट को हासिल करने के लिए श्रीकला रेड्डी को समाजवादी पार्टी टिकट दे सकती है.
- सपा और बीएसपी से टिकट नहीं मिलने पर श्रीकला रेड्डी निर्दलीय लोकसभा का चुनाव लड़ सकती हैं.
जौनपुर ठाकुर बाहुल्य सीट है, जहां पर 2009 में धनंजय सिंह ने जीत हासिल की थी. 2014 चुनाव में धनंजय को जौनपुर सीट से 65 हजार वोट मिले थे. 2022 में धनंजय जौनपुर के मल्हनी सीट से उम्मीदवार थे, जहां उन्हें करीब 80 हजार वोट मिले थे.
अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल
दिल्ली शराब घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तारी के बाद अरविंद को कोर्ट ने 6 दिनों के लिए कस्टडी में भेजा है. चुनाव के बीच केजरीवाल की गिरफ्तारी ने आम आदमी पार्टी को सकते में ला दिया है.
केजरीवाल अगर लंबे वक्त तक ईडी की गिरफ्त में रहते हैं, तो उनकी पत्नी पार्टी के लिए कैंपेन कर सकती है. केजरीवाल की नई दिल्ली सीट पर पिछली बार भी सुनीता ने कैंपेन किया था.
इतना ही नहीं, अरविंद को जब ईडी की टीम ने गिरफ्तार किया तो सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए सुनीता ने केंद्र को निशाने पर लिया. इसके अलावा सुनीता ने जेल में बंद अरविंद केजरीवाल का संदेश भी देशवासियों के लिए पढ़ा.
सुनीता और अरविंद की शादी साल 1994 में हुई थी. सुनीता भी आईआरएस अधिकारी रही हैं. हालांकि, अब वो वीआरएस लेकर परिवार संभाल रही हैं.
पत्नियों का फ्रंटफुट पर खेलना सबसे मुफीद, 3 प्वाइंट्स…
1. जेल में बंद पति के लिए पत्नियों का मैदान में कूदना सियासी मायने में सबसे मुफीद माना जाता है. इसकी बड़ी वजह सिंपैथी वोटर्स होते हैं.
2. बिहार में लालू यादव, यूपी में गायत्री प्रजापति और आजम खान जैसे कई परिवार को पत्नी के कमान संभालने का फायदा मिल चुका है.
3. पत्नियों के सियासी मैदान में कूदने से राजनेताओं के सियासी विरासत पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ता है. विरासत मे सेंधमारी का भी डर नहीं रहता है.