ब्रिटेन में भारत समर्थक जॉनसन जीते, भारतीय मूल के सभी पूर्व-सांसद भी विजयी

लंदन (यूके). ब्रेग्जिट न केवल यूके में बल्कि सारे यूरोप का सबसे गर्म मुद्दा है. ऐसे में ब्रिटेन में ब्रेग्जिट समर्थक प्रधानमंत्री का वापस चुना जाना ज़ाहिर करता है कि अब ब्रिटेन की जनता भी पूरी तरह ब्रेग्जिट के लिए तैयार हो चुकी है.

बोरिस की जीत ब्रैक्ज़िट की जीत

जीतने के बाद ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा कि ये ब्रैक्जिट की जीत है. कंज़र्वेटिव पार्टी के बोरिस जॉनसन को अपनी जीत से अधिक ब्रेग्जिट की जीत पर यकीन था. वे ब्रेग्जिट के सबसे बड़े पैरोकार हैं और देश ने उन्हें फिर से प्रधानमंत्री बना कर ब्रेग्जिट को पूर्ण समर्थन प्रदान कर दिया है.

पीएम मोदी ने दी बधाई 

ब्रेग्जिट को लेकर अचानक बीच में हुए चुनाव में आज बोरिस जॉनसन की जीत की ख़ुशी में भारत भी शरीक है. पीएम मोदी ने दुबारा प्रधानमंत्री बने बोरिस जॉनसन को जीत की बधाई दी और अपनी शुभकामनाएं भेजीं. भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा- मैं ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को भारी बहुमत से जीत पर बधाई देता हूँ और मैं उनके साथ भारत-यूके के मैत्रीपूर्ण संबंधो की दिशा में साथ-साथ आगे बढ़ने की आशा करता हूं.

सभी भारतीय मूल के पूर्व संसद जीते 

पिछले छह दशकों में पहली बार इतनी बड़ी संख्या में ब्रिटेन में मतदान हुए जिनमें पिछले सभी भारतीय मूल के सांसद अपनी जीत पक्की करने में सफल रहे. कई नए भारतीय मूल के सांसदों ने भी जीत दर्ज की. बहुमत से विजय प्राप्त करने वाली कंजर्वेटिव पार्टी के अतिरिक्त लेबर पार्टी के भी कई भारतीय मूल वाले सांसद इस चुनाव में विजयी हुए.

पूर्व-गृहमंत्री प्रीती पटेल भी जीतीं 

बोरिस जॉनसन की तरह ही दूसरी सबसे बड़ी विजय भारतीय मूल की ब्रिटेन की पूर्व गृहमंत्री प्रीती पटेल ने दर्ज की, प्रीति पटेल ने भी विटहेम सीट से आसान जीत हासिल की है. पहली बार जीत दर्ज करने वाले भारतीय मूल के चर्चित चेरों में कंजर्वेटिव पार्टी की क्लेयर कोटिन्हो और लेबर पार्टी के नवेन्द्रु मिश्र रहे. गोवा मूल की कोरटिन्हो ने जहां सरे सीट से जीत हासिल की वहीं हर्टफोर्डशायर साउथ से जीत हासिल करने वाली मोहिंद्रा फिर से पीएम जॉनसन की टॉप टीम का हिस्सा बनने जा रही हैं.

नारायण मूर्ती के दामाद ऋषि शौनक भी जीते  

इन्फोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति के दामाद ऋषि शौनक को भी विजयश्री हासिल हुई है. उनके अतिरिक्त पूर्व मंत्री आलोक शर्मा भी रीडिंग वेस्ट सीट से जीते हैं. शैलेश वारा ने जहां नॉर्थ वेस्ट कैंब्रिजशर सीट से विजय प्राप्त की, वहीं गोवा मूल की सुएला ब्रेवरमैन फेयरहम सीट से विजय प्राप्त की है.

पहली महिला सिख सांसद प्रीत कौर फिर जीतीं 

पूर्व चुनावों में विजित हो कर ब्रिटेन की पहली महिला सिख सांसद बनने का गौरव हासिल करने वाली प्रीत कौर गिल इस बार भी जीत गयी हैं. उनके साथ ही लेबर पार्टी से ब्रिटेन के पहले पगड़ीधारी सिख सांसद तनमनजीत सिंह धेसी भी दुबारा चुन लिए गए हैं. उन्होंने एजबेस्टन से विजयश्री हासिल की और कंजर्वेटिव पार्टी के कंवर तूर गिल को पराजित किया है.

वीरेंद्र शर्मा हमेशा की तरह अविजित रहे 

कई बार जीत चुके साउथॉल के लोकप्रिय पंजाब मूल के सांसद वीरेंद्र शर्मा को इस बार भी कोई टक्कर नहीं दे पाया. उनके अलावा भारतीय मूल के अन्य चर्चित सांसद चेहरों में इस बार लीसा नैंडी, सीमा मल्होत्रा, कीथ वाज की बहन वलेरी वाज जीत कर ब्रिटिश संसद पहुंचे हैं.

एक्ज़िट पोल को था बोरिस की जीत का अनुमान 

ब्रिटेन में एक दिन पहले यानी गुरूवार 12 दिसंबर 2019 को हुए हुए एग्जिट पोल ने बोरिस जॉनसन की  368 सीटों पर जीत की संभावना दिखाई गई थी. परिणाम भी उसी तरह के आये और जॉनसन ने  650 में से 326 सीटों पर निचली सदन में जीत दर्ज की है, इस तरह अब वे अविजित राजनेता के रूप में पुनः  शीर्ष पर पदस्थ हो गए हैं.

समय से ढाई साल पहले हुए चुनाव 

चुनाव का तय समय तो लगभग ढाई वर्ष बाद आने वाला था और मई 2022 में ब्रिटेन के अगले चुनाव होने थे, लेकिन ब्रेग्जिट पर हुए गतिरोध ने करीब ढाई साल पहले ही चुनाव की स्थिति पैदा कर दी थी. भारतीय मूल के करीब सवा तीन हज़ार उम्मीदवार संसद के निचले सदन हाउस ऑफ कॉमंस की 650 सीटों के लिए उम्मीदवार थे. गुरूवार 12 दिसंबर को इंग्लैंड, वेल्स, स्कॉटलैंड और नॉर्दर्न आयरलैंड के सभी निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान केंद्र अंतरराष्ट्रीय समय के मुताबिक़ सुबह सात बजे शुरू हुए और रात 10 बजे मतदान पूर्ण होते ही मतगणना शुरू कर दी गई थी.

ईवीएम से नहीं बैलेट पेपर से हुई वोटिंग

ब्रिटेन के चुनाव आयोग ने पारदर्शिता को ध्यान में रख कर ईवीएम की बजाये बैलेट पेपर को मतदान हेतु प्राथमिकता दी और इस चुनाव में बैलट पेपर से वोटिंग हुई. पोलिंग बूथ के तौर पर स्कूल, कम्युनिटी हॉल और चर्चों से स्थान माँगा गया. लोगों ने भी मतदान में पूरी रूचि दिखाई और वोटिंग के दौरान पोलिंग बूथ्स के बाहर लोगों ने लंबी कतारों में लगकर वोट डाले.

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