महाराष्ट्र में भी नहीं लागू होगा नागरिकता संशोधन बिल, उद्धव सरकार में मंत्री थोराट ने दिए संकेत
नई दिल्ली: महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बालासाहेब थोराट ने नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) को राज्य में लागू न किए जाने के संकेत दिए हैं. उन्होंने कहा है कि कांग्रेस पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की इस बिल के विरोध में जो भूमिका है, वही हमारी भूमिका है.
दरअसल, इससे पहले तीन राज्यों पंजाब, पश्चिम बंगाल और केरल के मुख्यमंत्रियों ने नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) को संविधान के खिलाफ बताते हुए इसे अपने-अपने राज्यों में लागू नहीं करने का ऐलान किया है. बता दें इस बिल को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद अपनी मंजूरी दे चुके हैं जिसके बाद अब यह कानून बन चुका है.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह (Amarinder Singh) ने सीएबी व नेशनल रजिस्टर फॉर सिटीजन (एनआरसी), दोनों को गलत बताया. कैप्टन ने कहा कि पंजाब किसी हालत में इस विधेयक को मंजूर नहीं करेगा, क्योंकि यह भी एनआरसी की तरह लोकतंत्र की भावना के विपरीत है. उन्होंने कहा कि पंजाब में इसे लागू नहीं किया जाएगा.
भारत-पाकिस्तान सीमा का एक लंबा हिस्सा सीमावर्ती राज्य पंजाब से लगता है. भारत से पाकिस्तान जाने व पाकिस्तान से भारत आने का सबसे प्रमुख रास्ता भी पंजाब से ही होकर जाता है व इसी रास्ते सैकड़ों हिंदू शरणार्थी भारत आए हैं. इन शरणार्थियों में से कई परिवार अभी भी पंजाब में ही रह रहे हैं.
केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन (Pinarai Vijayan) ने कहा है कि केरल CAB को स्वीकार नहीं करेगा। विजयन ने इस संशोधन को असंवैधानिक बताते हुए कहा कि केंद्र सरकार भारत को धार्मिक आधारों पर बांटने की कोशिश कर रही है।
Kerala CM Pinarayi Vijayan: Kerala will not accept #CitizenshipAmendmentBill (CAB). CAB is unconstitutional. The central government is trying to divide India on religious lines. This is a move to sabotage equality and secularism. (file pic)
एएनआई के अनुसार, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (जो कि इस बिल की विरोधी रही हैं) ने खड़गपुर में कहा, मेरे शासन में यह बिल राज्य में लोगों पर लागू नहीं पाएगा. CAB से डरने की जरूरत नहीं है. हम आपके साथ हैं. जब तक हम यहां हैं कोई इसे आप पर नहीं थोप सकता.
राष्ट्रपति ने किए बिल पर हस्ताक्षर
इस बिल पर राष्ट्रपति कोविंद ने गुरुवार देर रात हस्ताक्षर कर दिए हैं जिसके बाद नागरिकता कानून, 1955 में संबंधित संशोधन हो गया है. इस बिल के कानून बन जाने के बाद अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए गैर मुस्लिम शरणार्थियों – हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता आसानी से मिल जाएगी