MP: टारगेट पूरा करने के लिए कर रहे हैं छत्तीसगढ़ के बैगा आदिवासियों की नसबंदी
डिंडौरी: मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली की आए दिन खबरें सामने आ रही हैं. ऐसा ही दो मामले सतना और डिंडौरी में सामने आए हैं. यहां नसबंदी के नाम पर स्वास्थ्य विभाग न सिर्फ महिलाओं की जान से खिलवाड़ कर रहा है. बल्कि टारगेट पूरा करने के चक्कर में नियमों को ताक पर रखकर धड़ल्ले से ऑपरेशन कर रहा है. सतना और डिंडौरी से आए दो मामले इसकी तस्दीक कर रहे हैं.
सतना में टॉर्च की रोशनी में ऑपरेशन
सतना में कोठी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में लगाए गए नसबंदी कैंप में करीब 50 महिलाओं के ऑपरेशन किये गए. ऑपरेशन के दौरान ही बिजली चली गई लेकिन, डॉक्टरों ने ऑपरेशन बंद नहीं किए. अस्पताल में जनरेटर की कोई सुविधा नहीं थी. जिस की वजह से डॉक्टरों ने टॉर्च के रोशनी में ही महिलाओं के ऑपरेशन कर दिए. सतना जिले के बिरसिंहपुर और उज्जैन के नागदा से भी कुछ दिन पहले टॉर्च की रौशनी में ऑपरेशन करने के मामले सामने आए थे.
टारगेट पूरे करने के चक्कर में 100 महिलाओं की कर दी गई नसबंदी
डिंडौरी में भी स्वास्थ्य विभाग ने महिला नसबंदी शिविर लगाया. यहां भी स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही उजागर हुई. यहां डॉक्टरों ने विशेष संरक्षित जनजाति के अंतर्गत आने वाली बैगा आदिवासी महिलाओं के नसबंदी ऑपरेशन कर दिए. जबकि सरकार ने बैगा आदिवासी महिलाओं की नसबंदी पर पूरी तरह से पाबंदी लगा रखी है. बावजूद इसके डिंडौरी का स्वास्थ्य महकमा पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती गांवों में रहने वाले बैगा आदिवासियों को तरह-तरह का प्रलोभन देकर उनका नसबंदी ऑपरेशन कर रहा है.
हैरान करने वाली बात ये है कि महज 3 घंटे के अंदर एक सर्जन ने करीब 100 महिलाओं का नसबंदी ऑपरेशन कर दिया, जबकि सरकारी नियमों के मुताबिक एक सर्जन एक दिन में सिर्फ 35 महिलाओं का ही नसबंदी ऑपरेशन कर सकता है. नसबंदी शिविर में बदइंतजामी और लापरवाही का आलम ये है कि ऑपरेशन के बाद महिलाओं को फर्श पर ही लिटा दिया गया, वहीं अपनी करतूतों को छिपाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने ऑपरेशन के बाद दर्द से तड़पती महिलाओं को बेहोशी की हालत में ही अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया.
वहीं, नसबंदी ऑपरेशन को लेकर लगातार मिल रही शिकायतों पर स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट ने कहा कि ऑपरेशन के दौरान अस्पतालों में लाइट ना जाए, इसको सुनिश्चित किया जाएगा.