ग्वालियर :तत्कालीन तहसीलदार फिर विवादों में घिरे …. निजी के साथ सरकारी जमीन का किया नामांतरण,
तत्कालीन तहसीलदार फिर विवादों में घिरे .…
निजी के साथ सरकारी जमीन का किया नामांतरण, SDM का आदेश-तहसीलदार ने गिराई कोर्ट की गरिमा
- SDM ने तहसीलदार के आदेश को निरस्त किया
ग्वालियर में सिटी सेंटर तहसील के तत्कालीन तहसीलदार शत्रुघन सिंह चौहान का एक आदेश फिर विवादो में हैं। यहां उन्होंने सिटी सेंटर महलगांव में एक निजी प्लॉट के साथ शासकीय भूमि का नामांतरण कर दिया है। तत्कालीन तहसीलदार के आदेश को निरस्त करते हुए SDM ने आदेश में कहा है कि तहसीलदार की इस कार्रवाई से न्यायालय की गरिमा दूषित हुई है। इसलिए शत्रुघन सिंह चौहान के खिलाफ अनुशासत्मक कार्रवाई के लिए एक प्रति स्थापना शाखा को दी जाए। भू-माफियाओं का साथ देकर न्यायालयीन प्रक्रिया को दूषित किया है। इससे पहले भी सिटी सेंटर तहसील के तत्कालीन तहसीलदान चौहान नौगांव में शासकीय जमीन को निजी करने का आरोप लगा है। साथ ही केदारपुर की निजी स्वामित्व की भूमि को तहसीलदार के प्रभार से हटने के बाद भी शासकीय करने का आदेश देकर विवादो में हैं।

ऐसे समझिए पूरा मामला
ग्वालियर के सिटी सेंटर तहसील के तत्कालीन तहसीलदार ने महलगांव के एक 1660 वर्ग फीट के निजी प्लॉट के नामांतरण के साथ-साथ आसपास लगी सरकारी जमीन का नामांतरण भी कर दिया। इस आदेश के खिलाफ हुई अपील की सुनवाई करते हुए अनुविभागीय अधिकारी राजस्व न्यायालय (SDM) झांसी रोड विनोद सिंह ने आदेश दिया है कि अधीनस्थ (तहसीलदार) न्यायालय द्वारा अपीलकर्ता की आपत्तियों पर विचार नहीं किया और सुनवाई का कोई अवसर भी नहीं दिया। अधीनस्थ न्यायालय के पीठासीन अधिकारी शत्रुघन सिंह चौहान द्वारा प्रकरण में साक्ष्यों को नहीं देख गया। जबकि, उनके सामने जिला पंजीयक की रिपोर्ट में स्पष्ट है कि विक्रेता राजेंद्र अग्रवाल द्वारा अपने स्वत्व से अधिक जमीन का विक्रय साक्ष्यों को छिपाकर किया गया। तहसीलदार ने इन दस्तावेजों का अवलोकन अध्ययन एवं परिशीलन किए बिना क्रेता के पक्ष मे नामांतरण कर राजेंद्र अग्रवाल जैसे भू-माफिया का साथ दिया है। तहसीलदार की इस कार्रवाई से न्यायालय की गरिमा दूषित हुई है। इसलिए शत्रुहन सिंह चौहान के खिलाफ अनुशासत्मक कार्रवाई के लिए एक प्रति स्थापना शाखा को दी जाए। साथ ही राजेंद्र अग्रवाल के खिलाफ पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज कराई जाए। इसके अलावा एसडीएम ने तहसीलदार के नामांतरण संबंधी आदेश को निरस्त कर दिया है। इससे पहले भी उनके कुछ आदेश विवादों में रहे हैं जो इस प्रकार हैं।
नौगांव की जमीन का आदेश पर भी हो चुकी है शिकायत
इससे पहले सिटी सेंटर तहसील के नौगांव में करीब 50 करोड़ से अधिक की जमीन को लेकर दिया गया आदेश भी सवालों के घेरे में आया था। कलेक्टर ग्वालियर को की गई शिकायत में शिकायतकर्ता ने बताया था कि नौगांव में शासकीय जमीन को तत्कालीन तहसीलदार ने निजी घोषित करते हुए किसी बेताल सिंह के नाम करने का आदेश दिया है, जबकि उस जमीन काे उनसे पहले के तहसीलदार, अन्य वरिष्ठ न्यायालय से सरकारी माना था। उस शिकायत की जांच का क्या हुआ अभी तक पता नहीं चला है।
केदारपुर जमीन आदेश पर भी उठे हैं सवाल
सिटी सेंटर तहसील के तत्कालीन तहसीलदार शत्रुघन सिंह चौहान ने केदारपुर की करोड़ों रुपए की जमीन को निजी स्वामित्व से शासकीय घोषित करने का आदेश पारित किया था। जिस पर जमीन मालिक ने तत्काल एसडीएम कोर्ट में अपील की और उनको स्टे मिला था। आदेश में कई खामियां थीं। 4 अप्रैल को आदेश निकालना बताया गया, लेकिन RCMS पोर्टल पर वह 15 अप्रैल को रजिस्टर्ड हुआ था, जबकि 6 अप्रैल को यौन प्रताड़ना के मामले में तहसीलदार को सिटी सेंटर तहसील से हटा दिया गया था। इसके साथ ही इस केस की सुनवाई 15 जनवरी से शुरू करना बताया गया तो क्या एक भी सुनवाई पर केस RCMS पर रजिस्टर्ड नहीं हो सका। इसमें 22 जनवरी 2024 को भी सुनवाई होना बताया गया जबकि उस दिन राममंदिर प्राण प्रतिष्ठा को लेकर मध्य प्रदेश में अवकाश घोषित था।
यौन शोषण का भी लगा था आरोप, समिति ने बताया निर्दोष
अप्रैल महीने में ही एक सामाजिक कार्यकर्ता ने सिटी सेंटर तहसील के तत्कालील तहसीलदार पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। शिकायतकर्ता ने शिकायत की थी कि तत्कालीन तहसीलदार कार्यस्थल पर महिला कर्मचारियों को प्रताड़ित करते हैं। एक चतुर्थश्रेणी महिला कर्मचारी ने परेशान होकर फरवरी 2024 में ट्रांसफर करा लिया था। जिसकी जांच स्थानीय परिवाद समिति ने की थी। पर शिकायतकर्ता के सामने नहीं आने और कर्मचारी के मुकर जाने से हाल ही में उनको समिति ने निर्दोष मानते हुए रिपोर्ट कलेक्टर को दी है।
कलेक्टर ने बनाई जांच कमेटी, रिपोर्ट अटकी
रवि पाठक के मामले में शिकायत के बाद कलेक्टर ने जांच कमेटी भी गठित की। हालांकि, अभी कमेटी ने कोई रिपोर्ट नहीं दी है। वहीं इस संबंध में कलेक्टर रुचिका चौहान का कहना है कि इस मामले का आदेश अभी मेरी जानकारी में नहीं आया है। आदेश की जानकारी लेकर उसके तथ्य परखे जाएंगे और जो भी उचित कार्रवाई होगी, उसे किया जाएगा। इसके लिए जांच रिपोर्ट और पुराने आदेश को जल्द दिखवाती हूं।