इंदौर : फर्जी बिल मामला; …..तीन और फर्मों की एंट्री ?

फर्जी बिल मामला; तीन और फर्मों की एंट्री …
41 फाइलों में अब तक 30 करोड़ का भुगतान, 60 करोड़ रुपए के बिल लगे

2015 के बाद लीगेसी फंड से हुए भुगतान की जांच करवाई जा रही है। ड्रेनेज विभाग की शिकायत के बाद मेसर्स नींव कंस्ट्रक्शन प्रोपराइटर मोहम्मद साजिद, मेसर्स ग्रीन कंस्ट्रक्शन प्रोपराइटर मोहम्मद सिदिकी, मेसर्स किंग कंस्ट्रक्शन प्रोपराइटर मो. जाकिर और मेसर्स क्षितिज इंटरप्राइजेस प्रोपराइटर रेणु वडेरा, मेसर्स जहान्वी इंटरप्राइजेस प्रोपराइटर राहुल वडेरा के खिलाफ एफआईआर पहले ही दर्ज हो चुकी है। इन्हीं के बयान के आधार पर पुलिस ने निगम के पांच अधिकारियों और कर्मचारियों को सह आरोपी भी बनाया है।

इन पांचों फर्मों के जीएसटी नंबर पहले ही सस्पेंड हो चुके थे। बावजूद यह फर्म रुपए ले रही थीं। इसके बाद निगमायुक्त शिवम वर्मा ने वित्त विभाग को निर्देश दिए कि जितने भी ठेकेदार हैं, उन सभी के जीएसटी नंबर जांचें जाएं। इसलिए जितनी फाइलें भुगतान के लिए लंबित हैं या नए बिल आ रहे हैं, सभी के जीएसटी नंबर की जांच की जा रही है। हाल ही में एक ठेकेदार का जीएसटी नंबर सस्पेंड मिला तो विभाग ने भुगतान रोक दिया।

3 सवाल सुनते ही राठौर का शुगर लेवल 300 पहुंचा

गिरफ्तार होते ही बोला- घोटाले में और भी हैं खिलाड़ी

उत्तरप्रदेश के ऐटा से गिरफ्तार निगम घोटाले का मुख्य सरगना ईई अभय राठौर बेटे जयसिंह के ससुराल वालों की मदद से एक मकान में फरारी काट रहा था। वह जैसे ही दाढ़ी-कटिंग करवाने सैलून पर आया, सादी वर्दी में तैनात पुलिस वालों ने उसे पकड़ लिया। पुलिस ने शुक्रवार सुबह 11 से शाम 4 बजे तक उसकी रैकी की। 5 बजे वह जैसे ही आया, उसे गिरफ्तार कर लिया। 800 किमी दूर से पुलिस उसे शुक्रवार देर रात इंदौर लेकर पहुंची।

उसने कहा घोटाले में मेरा कोई रोल नहीं है। मैं पूरे घोटाले का अकेला खिलाड़ी नहीं हूं। और भी खिलाड़ी हैं। शनिवार दोपहर उसे कोर्ट में पेश किया। यहां से उसका 4 दिन का रिमांड मिला। एडिश्नल कमिश्नर अमित सिंह ने घोटाले से जुड़े तीन प्रश्न पूछे तो उसका शुगर लेवल 300 पार हो गया और उसे इंसुलिन देना पड़ा। आरोपी ने कहा पुलिस ने जिन फाइलों में ड्रेनेज के कार्यों की फर्जी फाइलें व बिल जब्त किए हैं, वे टेंडर की अंडर प्रोसेस वाली फाइलों के हैं।

मास्टर माइंड सुनील गुप्ता वही ड्रेनेज विभाग देखता

इंसुलिन लेने के बाद राठौर ने कहा असली मास्टर माइंड घोटाले की रिपोर्ट करने वाला सुनील गुप्ता है। वही ड्रेनेज विभाग संभाल रहा था। खुद को बचाने के लिए एफआईआर दर्ज करवाकर मुझे फंसाया है। डीसीपी पंकज पांडे ने बताया अब तक 41 फाइलें जब्त की हैं।

आरोपियों द्वारा 30 करोड़ का पेमेंट निकाले जाने की पुष्टि हो चुकी है। शेष फाइलों में 60 करोड़ से ज्यादा के फर्जी बिल लगाकर उसे निगम के खाते से निकालने की तैयारी आरोपी कर चुके थे। वहीं 20 फाइलें जो गाड़ी से चोरी हुई हैं, उनमें भी एफआईआर दर्ज है। अब तक 9 आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं।

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