284 नर्सिंग कॉलेजों में डुप्लीकेट फैकल्टी, फिर भी दे दी गई मान्यता

नर्सिंग फर्जीवाड़ा:284 नर्सिंग कॉलेजों में डुप्लीकेट फैकल्टी, फिर भी दे दी गई मान्यता

नर्सिंग फर्जीवाड़े के बीच अब मप्र नर्सेस रजिस्ट्रेशन काउंसिल भी सवाल के घेरे में आ गया है। दरअसल, सीबीआई जांच और हाईकोर्ट के निर्देश के बावजूद नर्सिंग काउंसिल ने 2022-23 में 284 ऐसे नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता दे दी, जो डुप्लीकेट फैकल्टी, यानी एक ही फैकल्टी के कई कॉलेजों में नियुक्ति के मामले में दोषी पाए गए थे।

नियमों के अनुसार किसी भी नर्सिंग कॉलेज में प्रिंसिपल, वाइस प्रिंसिपल, प्रोफेसर, अिसस्टेंट प्रोफेसर के अलावा 10 स्टूडेंट पर एक फैकल्टी होना जरूरी है। इन कॉलेजों ने एक ही फैकल्टी को कई-कई जगह दिखाकर मान्यता ली। फरवरी 2023 में यह गड़बड़ी पकड़ने के बाद चिकित्सा शिक्षा विभाग के डायरेक्टर ने कार्रवाई करने के लिए तीन बार पत्र लिखा, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।

ईडी की हो सकती है एंट्री
नर्सिंग कालेजों की जांच में सीबीआई के कुछ अधिकारियों द्वारा घूसखोरी करने का भंडाफोड़ होने के बाद इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की भी एंट्री हो सकती है। कोर्ट में चालान के बाद ईडी मामले की लेकर जांच शुरू कर सकती है।

सीबीआई 364 नर्सिंग कालेजों की जांच कर रही थी। इनमें 318 कालेजों की जांच पूरी होने के बाद कोर्ट को प्रस्तुत की जा चुकी है। जांच एजेंसी ने इनमें 169 कालेजों को मापदंड के उपयुक्त बताया है। इस आधार पर कोर्ट के निर्देश पर इनकी मान्यता बहाल कर दी गई है। बता दें कि अभी सात मुख्य टीमें नर्सिंग कालेजों की जांच कर रही थीं।

एक ही महिला 8 कॉलेजों की प्रिंसिपल

नर्सिंग काउंसिल के साल 2020-21 के रिकॉर्ड में लीना नाम की महिला को बड़वानी के योगेश्वर नर्सिंग शिक्षा महाविद्यालय की प्रिंसिपल बताया गया। लेकिन बड़वानी से करीब 100 किमी की दूरी पर 8 और नर्सिंग कॉलेजों की प्रिंसिपल भी लीना को ही बताया गया है। इसी तरह विष्णु कुमार स्वर्णकार 15 नर्सिंग कॉलेजों में प्रिंसिपल, वाइस प्रिंसिपल और एसोसिएट प्रोफेसर हैं। 284 कॉलेजों में 14 हजार फैकल्टी बताई गई है। इसमें से 4500 सिर्फ कागजों पर हैं।

नर्सिंग कॉलेज जांच में रिश्वतखोरी का आरोपी इंस्पेक्टर सुशील कुमार सस्पेंड

अनफिट नर्सिंग कॉलेजों को फिट बताने के एवज में लाखों रुपए की रिश्वत लेने के मामले में मप्र पुलिस ने भी कार्रवाई की है। मप्र पुलिस से प्रतिनिय​ुक्ति पर सीबीआई भोपाल में पदस्थ और रिश्वतखोरी के मामले में गिरफ्तार किए गए इंस्पेक्टर सुशील कुमार मोजका को सस्पेंड कर दिया है।

सीबीआई भोपाल में पदस्थ दो इस्पेक्टरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। इनमें से सुशील कुमार मोजका जिला पुलिस बल से तो ऋषिकांत असाटी एसएएफ से हैं। सुशील को सीबीआई ने गिरफ्त में लिया है। जानकारी के मुताबिक ऋषिकांत असाटी के पास तकरीबन 44 नर्सिंग कॉलेजों की जांच का जिम्मा था। उन्होंने मानकों के मुताबिक बुनियादी सुविधाएं नहीं होने पर 40 कॉलेजों को अनसुटेबल बताने वाली रिपोर्ट दी थी। ​​​​​​​

असाटी की गिरफ्तारी नहीं की गई है। असाटी नर्सिंग कॉलेजो की जांच करने वाली टीम का हिस्सा थे, इसलिए उन्हें भी जांच के दायरे में ले लिया गया। मप्र पुलिस के सीआईडी एडीजी पवन कुमार श्रीवास्तव के मुताबिक सीबीआई से मिले पत्र के बाद सुशील कुमार को सस्पेंड करने का आदेश जारी किया गया है। गौरतलब है कि सीबीआई ने इस पूरे रिश्वत कांड के मास्टर माइंड राहुल राज को बर्खास्त कर दिया था, वहीं मप्र पुलिस के दोनों अफसरों की सेवाएं वापस कर दी थीं।

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