कोटा से शहर आए ज्यादा भिखारी, सबके चौराहे तय, जर्जर भवन बनाए ठिकाने !

अभियान का दूसरा दिन…:कोटा से शहर आए ज्यादा भिखारी, सबके चौराहे तय, जर्जर भवन बनाए ठिकाने

शहर में चौराहों, सड़क, मंदिर और सार्वजनिक स्थानों पर भीख मांगने वाले लोगों में सबसे ज्यादा भीड़ राजस्थान के कोटा से आई हुई है। कुछ प्वाइंट पर मिले इन भिखारियों से हुई पूछताछ में इस बात का खुलासा हुआ। जिला प्रशासन द्वारा बाल भिखारियों का लेकर शुरू की गई मुहिम के दूसरे दिन जब शहर में अलग-अलग स्थानों पर भास्कर की टीम ने पड़ताल की तो पता चला कि मुख्य स्थानों पर कोटा से आए लोग ही भीख मांगने का काम कर रहे हैं। हालांकि, पूछताछ में भिखारियों ने यह स्वीकार नहीं किया कि उन्हें कोई व्यक्ति या संगठित गिरोह लेकर आया है।

वहीं अब जिला प्रशासन की टीम भी अचानक से गायब हुए ​भिखारियों की तलाश के साथ इन्हें ऑपरेट करने वाले गिरोह या व्यक्ति की तलाश में जुट गई है। टीम ने गोले का मंदिर चौराहे पर बनी रेलवे की एक पुरानी बिल्डिंग को भिखारियों से खाली कराई। इसमें 12 से 15 परिवार बच्चों के साथ रह रहे थे। अब ये लोग ग्वालियर व्यापार मेला मैदान में जाकर डेरा डाल चुके हैं

हेल्पलाइन नंबर किया जारी
शहर के प्रमुख चौराहों और मंदिरों से भिखारियों के गायब होने पर प्रशासन ने अब लोगों की मदद मांगी है। प्रशासन ने मोबाइल नंबर 9575146655 जारी किया है। इस पर कोई भी व्यक्ति बाल भिक्षावृत्ति के संबंध में सूचना दे सकता है। सूचना पर टीम कार्रवाई करेगी।

कोटा से हम 150 लोग आए यहां आकर सभी बट गए
भास्कर टीम ने गोलोे का मंदिर चौराहे पर ट्रैफिक चौकी के पास बैठे भिखारियों से बात की। यहां बैठे भीकम ने बताया कि हम लोग कोटा से आए हैं। कोटा जिले के अतरालिया, बाक्या, बालापुरा, ढाकिया, धारूपुरा, खणी, मायला आदि गांव से यहां आए थे। सभी ने अलग-अलग चौराहे बांट लिए हैं। वहां परिवार के साथ सड़क किनारे सामान बेचते हैं। जब सामान नहीं बिकता है तो भीख मांगकर पेट भरते हैं। वहां से 150 लोग आए थे, लेकिन सब अलग-अलग जगह पर हैं। इसलिए किसी को एक-दूसरे का नहीं पता।

दुकानदारों के पास चिल्लर की बदली कराने नहीं पहुंचे
जिला प्रशासन, महिला एवं बाल विकास विभाग, श्रम विभाग की टीम ने बुधवार से शहर में भीख मांगने वाले बच्चों को पकड़ने का अभियान चलाया हुआ है। जिसकी भनक लगने के साथ ही सड़कों से बाल भिखारी ही नहीं उम्रदराज भिखारी भी अंडरग्राउंड हो चुके हैं। बाजारों में दुकानदारों का कहना है कि रोजाना शाम तक कई भिखारी खुले पैसे के बदले बंधे हुए नोट लेने आते थे। वो भी बुधवार से नहीं पहुंचे हैं। भिखारी खुले पैसे के बदले में बड़े नोट के एवज में 10% कम राशि लेते हैं।

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