मानसून का इंतजार क्यों करते हैं लोग ?
मानसून का इंतजार क्यों करते हैं लोग: मैप से समझिए आपके यहां कब होगी पहली मानसूनी बारिश?
मौसम विभाग का कहना है कि इस बार समय से पहले देश में मानसून आ जाएगा, जिससे आम लोगों को गर्मी से राहत मिलेगी. विभाग के मुताबिक भारत में 31 मई को दक्षिण पश्चिम का मानसून केरल की तटों से टकराएगा.
देश में बढ़ती गर्मी की वजह से हर तरफ हाहाकार मचा हुआ है. पिछले 24 घंटे में चिलचिलाती धूप ने 10 से ज्यादा लोगों की जान ले ली है. इन सबके बीच मौसम विभाग ने मानसून की एंट्री को लेकर अपना अनुमान व्यक्त किया है.
मौसम विभाग का कहना है कि इस बार समय से पहले देश में मानसून आ जाएगा, जिससे आम लोगों को गर्मी से राहत मिलेगी. विभाग के मुताबिक भारत में 31 मई को दक्षिण पश्चिम का मानसून केरल की तटों से टकराएगा.
विभाग ने यह भी कहा है कि मानसून के पूरे देश में पहुंचने में कम से कम 30 दिन का वक्त लग सकता है. ऐसे में आइए इस स्टोरी में विस्तार से जानते हैं कि आपके यहां इस बार मानसून कब पहुंचेगा?
पहले समझिए हवाएं मानसून कैसे बन जाती हैं?
मानसून का अर्थ होता है हवाओं की दिशा के मौसम में बदलाव. भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में गर्मी के दिनों में गर्म हवा जमीन से ऊपर उठने लगती है, जिसके कारण जमीनी इलाकों में लो प्रेशर एरिया बनने लगता है.
इसके विपरीत समुद्र में हाई प्रेशर एरिया बनने लगता है क्योंकि जमीन के मुकाबले वहां ठंड ज्यादा होती है. मई-जून के आसपास ये हवाएं लो प्रेशर इलाकों में बढ़ने लगती है.
ये हवाएं अपने साथ समुद्र की नमी भी ले आती हैं. इन्हें ही मानसूनी हवाएं कहा जाता है. भारत में ये हवाएं 2 दिशाओं से आती हैं. दक्षिण-पश्चिम और दक्षिण-पूर्व.
भारत में कैसे पहुंचता है मानसून?
भारत में दक्षिण-पश्चिम मानसून आता है, जो सबसे पहले केरल के तटों से टकराता है. मौसम विभाग के मुताबिक केरल, लक्षद्वीप और कर्नाटक के 14 मौसम केंद्रों में से 9 पर अगर 10 मई के बाद लगातार 2 दिनों तक 2.4 मिमी बारिश दर्ज की जाती है, तो इसे मानसून की एंट्री माना लिया जाात है.
मानसून मौसमी हवाओं का एक प्रणाली है, जो गर्म-आर्द्र हवाओं को ठंडे महाद्वीपों की ओर ले जाती है. भारत में इसकी एंट्री हिंद महासागर और अरब सागर के जरिए होता है.
यह पहले अंडमान पहुंचता है, जहां से केरल की ओर आगे बढ़ता है. आमतौर पर मानसून 1 जून के आसपास ही केरल पहुंचता है. भारत में मानसून जून से लेकर सितंबर तक रहता है
भारत में मानसून की स्थिति, राज्यवार
मौसम विभाग के मुताबिक इस बार मानसून 31 मई तक केरल पहुंच जाएगा. मानसून वर्तमान में अंडमान निकोबार में एंटर कर चुका है. विभाग की मानें तो इस साल मानसून सामान्य तारीख से एक दिन पहले ही केरल में दस्तक दे सकता है.
साल 2020 में मानसून 1 जून को, 2021 में 3 जून को, 2022 में 29 मई को और 2023 में 8 जून को केरल पहुंचा था. आमतौर पर केरल में मानसून 1 जून तक पहुंचता है.
मानसून तमिलनाडु में 1 जून से 5 जून तक के बीच में कभी भी पहुंच सकता है. इसके बाद मानसून की एंट्री आंध्र में होगी, जहां 4 जून से 11 जून तक के बीच में इसके पहुंचने का अनुमान है.
कर्नाटक में मानसून के 3 जून के आसपास पहुंचने की उम्मीद है. बिहार, छत्तीसगढ़ और झारखंड में यह 13 जून तक पहुंच सकता है. बंगाल में 10 जून के आसपास मानसून के पहुंचने का अनुमान है.
मानसून महाराष्ट्र में 9 जून के आसपास पहुंच सकता है. इसके मध्य प्रदेश में 16 जून तक पहुंचने की संभावना है.
राजधानी दिल्ली में जून के आखिर हफ्ते तक मानसून पहुंच सकता है. दरअसल, राजस्थान से निकलकर जब मानसून अरावली के जरिए दिल्ली में एंट्री लेता है. मौसम विभाग के मुताबिक राजस्थान में मानसून की एंट्री 25 जून के बाद कभी भी हो सकती है.
मौसम विभाग की मानें तो इस बार 8 जुलाई तक पूरे देश में मानसून पहुंच जाएगा. मानसून पूरे सितंबर तक भारत में रहेगी.
बारिश को लेकर इस बार अनुमान क्या है?
आईएमडी के मुताबिक साल 2024 में मानसूनी बारिश 106 प्रतिशत तक हो सकती है, जो समान्य बारिश 97 प्रतिशत से काफी ज्यादा है. विभाग का कहना है कि इस बार समान्य से ज्यादा बारिश होने की बड़ी वजह ला-नीना है.
दरअसल, दुनियाभर में जलवायु के अभी दो पैटर्न हैं. पहला अल-नीनो और दूसरा ला-नीना.
अल नीनो में समुद्र का तापमान 3 से 4 डिग्री बढ़ जाता है. इसके सक्रिय होने से जलवायु का प्रभाव एंटी क्लॉकवाइज होता है. मसलन, ज्यादा बारिश वाले क्षेत्र में कम और कम बारिश वाले क्षेत्र में ज्यादा बारिश होती है. इसका प्रभाव 10 साल में दो बार होता है.
वहीं ला-नीना में समुद्र का पानी तेजी से ठंडा होता है. पानी के ठंड होने की वजह से मानसूनी हवाएं अपने पीछे बादल लेकर आते हैं, जिससे अच्छी बारिश होती है.
भारत में साल 2020 में 109 प्रतिशत, 2021 में 99 प्रतिशत 2022 में 106 प्रतिशत और 2023 में 94 प्रतिशत बारिश हुई थी. 2020 से 2022 तक मानसून पर ला-नीना तो 2023 में अल-नीनो इफैक्ट था.
मानसून का इंतजार क्यों, 2 पॉइंट्स
1. उत्तर और दक्षिण भारत में अप्रैल-जून तक भयंकर गर्मी पड़ती है. इस दौरान तापमान 45 डिग्री के आसपास पहुंच जाता है. मानसून आने के बाद इस तापमान में गिरावट होती है. मानसून के इंतजार करने का यह एक बड़ी वजह है.
2. दक्षिण-पश्चिम मानसून अपने साथ बारिश लेकर आता है. भारत एक कृषि प्रधान देश है. बारिश होने की वजह फसलों की बुआई में बढ़ोतरी होती है, जिससे पैदावार बेहतर होने की संभावनाएं बनी रहती हैं.