कैसे चलता रहा 6 बच्चों की मौत का जिम्मेदार हॉस्पिटल ! 5 बेड की परमिशन, लेकिन 12 बच्चे एडमिट किए

कैसे चलता रहा 6 बच्चों की मौत का जिम्मेदार हॉस्पिटल …
लाइसेंस एक्सपायर; 5 बेड की परमिशन, लेकिन 12 बच्चे एडमिट किए

‘अभी तो बच्चे का नाम भी नहीं रखा था। बुधवार को ही तो पैदा हुआ था। सांस लेने में दिक्कत थी। हॉस्पिटल वालों ने कहा कि इसे सांस वाली मशीन में रखना पड़ेगा। फिर उन्होंने एंबुलेंस बुलाकर हमें इस हॉस्पिटल में भेज दिया। यहां रोज के 16 हजार रुपए दे रहे थे। हॉस्पिटल में आग लगी, तो डॉक्टर ने हमें नहीं बताया। हमें मोबाइल पर वीडियो देखकर पता चला।’

शहनाज खातून दिल्ली के जीटीबी हॉस्पिटल में भतीजे की डेडबॉडी लेने आई थीं। उनकी भाभी की 5 दिन पहले डिलीवरी हुई थी। बच्चे की तबीयत बिगड़ने पर डॉक्टरों ने विवेक विहार में न्यू बॉर्न बेबी केयर सेंटर भेज दिया।

25 मई की देर रात इस बेबी केयर सेंटर में आग लग गई। यहां 12 बच्चे एडमिट थे। हादसे में 6 नवजात की मौत हो गई, जिनमें शहनाज का भतीजा भी था। एक बच्चे की मौत आग लगने से पहले हो गई थी।

हॉस्पिटल में आग लगी तो स्टाफ बच्चों को छोड़कर भाग गया। आसपास के लोगों ने खिड़कियों के कांच तोड़कर बच्चों को बाहर निकाला।
हॉस्पिटल में आग लगी तो स्टाफ बच्चों को छोड़कर भाग गया। आसपास के लोगों ने खिड़कियों के कांच तोड़कर बच्चों को बाहर निकाला।

पुलिस ने बेबी केयर सेंटर चलाने वाले डॉक्टर नवीन खिची के साथ हॉस्पिटल में काम करने वाले डॉ. आकाश को अरेस्ट कर लिया है। आरोप है कि नवीन अपने अस्पताल में अवैध तरीके से ऑक्सीजन सिलेंडर रीफिल करवाते थे। शुरुआती जांच में सामने आया है कि शॉर्ट सर्किट से आग लगी, इसके बाद ऑक्सीजन सिलेंडर में ब्लास्ट हुए और पूरा हॉस्पिटल जल गया।

दिल्ली पुलिस फिलहाल तीन एंगल से जांच कर रही है। हॉस्पिटल के बाहर लटक रहे तारों से चिनगारी निकलने से आग फैली। ऑक्सीजन सिलेंडर रीफिल करते वक्त ब्लास्ट हुआ या किचन में आग लगने से हादसा हुआ। दिल्ली सरकार ने भी घटना की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दे दिए हैं।

हादसे के बाद शाहदरा DM रिशिता गुप्ता ने पुलिस और फायर डिपार्टमेंट के साथ मिलकर रिपोर्ट तैयार की है। इससे पता चला है कि हॉस्पिटल में नियमों का पालन नहीं हो रहा था। हादसे के बाद दैनिक भास्कर मौके पर पहुंचा। हॉस्पिटल के आसपास रहने वाले लोगों, पीड़ित परिवारों, डॉक्टर की शिकायत करने वाले पार्षद और पड़ोसियों से बात की।

इस पड़ताल में ये 5 पॉइंट्स सामने आए…

1. बेबी केयर सेंटर में गलत तरीके से ऑक्सीजन की रीफीलिंग होती थी, इसकी शिकायत पुलिस और नगर निगम में की गई थी, लेकिन कोई एक्शन नहीं हुआ।

2. हॉस्पिटल को दिल्ली सरकार के तहत आने वाले DGHS ने लाइसेंस दिया था। ये लाइसेंस 31 मार्च, 2024 को ही एक्सपायर हो गया था, यानी हॉस्पिटल बिना लाइसेंस के चल रहा था।

3. लाइसेंस में भी सिर्फ 5 बिस्तरों की परमिशन थी, लेकिन हॉस्पिटल में 12 नवजात एडमिट थे।

4. हॉस्पिटल में काम करने वाले डॉक्टर के पास BAMS डिग्री है, यानी ये डॉक्टर नवजात का इलाज कर ही नहीं सकते।

5. हॉस्पिटल में आग बुझाने के इंतजाम ही नहीं थे, यहां तक कि इमरजेंसी एग्जिट भी नहीं था। आने-जाने के लिए सिर्फ एक गेट था।

डॉ. नवीन पर पहले भी दर्ज हुए केस, शिकायत के बाद हॉस्पिटल शिफ्ट किया था
डॉ. नवीन 2017 से विवेक विहार में अस्पताल चला रहे थे। 3 साल पहले उन्होंने विवेक विहार के C ब्लॉक में हॉस्पिटल खोल लिया था। पहले नवीन का हॉस्पिटल B ब्लॉक में था। ये जगह मौजूदा हॉस्पिटल से सिर्फ आधा किमी दूर है।

डॉ. नवीन का बैकग्राउंड जानने हम पश्चिम विहार में उनके घर भैरो इन्क्लेव पहुंचे। घर का गेट बंद था, लेकिन अंदर हलचल दिखाई दे रही थी। हमने सिक्योरिटी गार्ड से पूछा तो उन्होंने बताया कि नवीन एक दिन पहले कहीं चले गए हैं।

ये डॉ. नवीन का घर है। पड़ोसियों के मुताबिक, नवीन 26 मई की सुबह तक घर पर थे। शाम को पुलिस ने उन्हें अरेस्ट कर लिया।
ये डॉ. नवीन का घर है। पड़ोसियों के मुताबिक, नवीन 26 मई की सुबह तक घर पर थे। शाम को पुलिस ने उन्हें अरेस्ट कर लिया।

इसके बाद हम विवेक विहार के B ब्लॉक में गए, जहां पहले नवीन का हॉस्पिटल था। यहां रहने वाले हिमांशु बताते हैं, ‘नवीन का हॉस्पिटल मेरे घर के बगल में ही था। लॉकडाउन के बाद उन्होंने हॉस्पिटल शिफ्ट कर लिया था।’

‘हमें उनसे बहुत दिक्कत होती थी। रात में 11 बजे सिलेंडर से भरा ट्रक आता था। रातभर सिलेंडर के पटकने की आवाजें आती थीं। हमने कई बार पुलिस से शिकायत भी की थी। हमें नहीं पता था कि वे क्या काम कर रहे हैं, लेकिन जो होता था, सब रात में होता था। आज भी सड़क पर सिलेंडर के निशान बने हुए हैं।’

हॉस्पिटल की जगह बदली, लेकिन सिलेंडर रीफिल का काम चलता रहा
C ब्लॉक में शिफ्ट होने के बाद भी डॉ. नवीन के खिलाफ शिकायतें होती रहीं। पार्षद पंकज लूथरा बताते हैं, ‘मैंने रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के साथ मिलकर कई बार प्रशासन से हॉस्पिटल के खिलाफ शिकायत की थी। डीलिमिटेशन के बाद ये एरिया मेरे अंडर आया था। यहां के बृजेश गोयल ने मुझे बताया था कि हॉस्पिटल के नाम पर अवैध तरीके से सिलेंडर रीफिल किए जाते हैं।’

‘मैंने अपने लोगों को चेक करने के लिए भेजा था। हॉस्पिटल वालों ने उन्हें बताया कि वहां रखे सिलेंडर अस्पताल के हैं। उन्हें दिल्ली सरकार ने इसका लाइसेंस दिया है। सरकार की गाइडलाइंस है कि जहां जगह कॉमर्शियल या मिक्स्ड होगी, वहां ग्राउंड फ्लोर पर ही काम कर सकते हैं। ये रोड कॉमर्शियल नहीं है। बावजूद इसके यहां अस्पताल खोला गया।’

पंकज लूथरा आगे कहते हैं, ‘जिन अफसरों ने गलत तरीके से अस्पताल को लाइसेंस दिया है, उन पर कार्रवाई होनी चाहिए। उन पर मर्डर का केस दर्ज होना चाहिए।’

इस मामले में हमने RWA अध्यक्ष आनंद गोयल से भी बात की। वे बताते हैं, ‘आसपास के लोगों को अस्पताल से दिक्कत थी। उन्होंने कई बार सिलेंडर भरने और गलत काम होने की शिकायत मुझसे की थी। दुकानदारों को भी दिक्कत थी। 7 महीने पहले RWA और विवेक विहार पुलिस की मीटिंग हुई थी। वहां SHO ने हमें कार्रवाई करने का भरोसा दिया था, लेकिन कुछ नहीं हुआ।’

फायर सर्विस चीफ बोले- बिल्डिंग का कभी निरीक्षण नहीं किया
दिल्ली फायर सर्विस चीफ अतुल गर्ग बताते हैं, ‘अभी आग लगने की वजह पता नहीं चल पाई है। हमारे पास कोई रिकॉर्ड नहीं है। ये बिल्डिंग कभी इंस्पेक्शन के लिए नहीं आई। यहां हॉस्पिटल था, तो ऑक्सीजन सिलेंडर मिलना बड़ी बात नहीं है। हालांकि, सिलेंडर भरने के लिए मशीन की जरूरत होती है। ये इतना आसान काम नहीं है। हमें पुलिस की रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए।’

परिवार अब भी ढूंढ रहे बच्चों की डेडबॉडी
ईस्ट दिल्ली एडवांस NICU में हमें राजकुमार मिले। राजकुमार साहिबाबाद में रहते हैं। 17 दिन पहले उनकी पत्नी ने बेटी को जन्म दिया था। उन्होंने बेटी का नाम रूही रखा था। राज सुबह 8 बजे बच्ची को देखने हॉस्पिटल पहुंचे। यहां पता चला कि हॉस्पिटल में आग लग गई है।

राज बताते हैं, ‘मैं पहुंचा, तब बहुत भीड़ लगी थी। पुलिस खड़ी थी। मैंने बच्ची के बारे में पूछा, तो उन्होंने विवेक विहार पुलिस स्टेशन जाने के लिए कहा। मैं थाने गया, वहां पुलिस ने मेरा और बच्ची का नाम, मेरा फोन नंबर लिखा।’

राज आगे बताते हैं, ‘मेरी बेटी का जन्म राधा कुंज हॉस्पिटल में हुआ था। हम उसे घर ले गए थे। 10 दिन बाद उसे बुखार आ गया। सांस लेने में भी दिक्कत हो रही थी। हम बेटी को लेकर हॉस्पिटल पहुंचे। डॉक्टर ने एंबुलेंस बुलाई और हमें न्यू बॉर्न बेबी केयर सेंटर भेज दिया था।’

‘मुझे मेरी बेटी का पता नहीं चल रहा है। पुलिस ने बताया कि बच्चों को ईस्ट दिल्ली एडवांस NICU ले गए हैं। जिन बच्चों की मौत हो गई है, वे जीटीबी अस्पताल में हैं। हमें पहचान के लिए बुलाया गया है। मुझे मेरी बेटी दिख गई, लेकिन उस पर ‘दीपा’ नाम का टैग लगा है। डॉक्टर कह रहे हैं इसके माता-पिता के आने के बाद टेस्ट होगा तब पता चलेगा बच्चा किसका है।’

रूही की बुआ सुनीता बताती हैं, ‘हमने परसों बच्चे को एडमिट कराया था। बच्चे को देखने का समय दोपहर 2 बजे होता है। आखिरी बार हम शनिवार दोपहर 2 बजे रूही को देखकर घर गए थे। उसके बाद मेरी बहन और बच्ची की नानी रात 9 बजे उसे देखकर गए थे। बच्ची रिकवर भी हो रही थी।’

जीटीबी अस्पताल में पुलिस ने मरने वाले बच्चों के परिवार के बयान दर्ज किए हैं। यहां हमें शहनाज खातून मिलीं। उनके भाई के बच्चे को 5 दिन पहले बेबी केयर सेंटर में भर्ती कराया गया था।

शहनाज बताती हैं, ‘बच्चे को जन्म के बाद से सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। उसकी डिलीवरी मंगलम नर्सिंग होम में हुई थी। वहां से डॉक्टर ने न्यू बॉर्न बेबी केयर सेंटर में रेफर कर दिया था। मुझे सुबह मोबाइल पर हादसे के बारे में पता चला।’

चश्मदीदों ने सुनाई हादसे की कहानी
हॉस्पिटल में आग लगने के बाद मौके पर पहुंचे जितेंदर सिंह शंटी बताते हैं, ‘पहले मुझे लगा बम धमाका हुआ है। मैं यहां पहुंचा, तो एक जली वैन खड़ी थी। पता चला कि उसमें ऑक्सीजन सिलेंडर रखे थे। हॉस्पिटल का स्टाफ बड़े सिलेंडर से छोटे सिलेंडर में ऑक्सीजन ट्रांसफर कर रहा था।’

‘तभी सिलेंडर फट गया। पहला सिलेंडर फटा, तभी हॉस्पिटल का पूरा स्टाफ भाग गया। अंदर 12 बच्चे ही रह गए। उसके बाद तीन और ब्लास्ट हुए। हमने हॉस्पिटल के पीछे के शीशे तोड़े। बच्चों को निकाला और ईस्ट दिल्ली एडवांस NICU ले गए। वहां 7 बच्चों की मौत हो गई। 5 बच्चों का इलाज चल रहा है।’

जितेंदर सिंह बताते हैं कि दिलशाद गार्डन में शिवा ऑक्सीजन नाम की एक कंपनी है। उसी के कर्मचारी यहां आकर ऑक्सीजन भरते थे। हॉस्पिटल वालों ने उन्हें जगह दे रखी थी।’

हादसे के वक्त मौजूद रहे आबिद बताते हैं, ‘रात 11 बजे मैंने हॉस्पिटल के ऊपर हल्की आग निकलती देखी। आग बढ़ती जा रही थी, इसलिए मैंने आवाज लगाई। इसके कुछ देर बाद आग फैल गई।’

आग से हॉस्पिटल के बगल में बना घर और बैंक जला
हॉस्पिटल में भड़की आग जल्द ही आसपास फैल गई। इसमें बगल में मौजूद बैंक और एक घर जल गया। ये घर अनीशा कौशिक का था। घर की दीवार अस्पताल से सटी थी।

ये अनीशा के घर की फोटो है। आग से उनका पूरा सामान, कपड़े सब जल गए हैं।
ये अनीशा के घर की फोटो है। आग से उनका पूरा सामान, कपड़े सब जल गए हैं।

अनीशा बताती हैं, ‘रात 11:15 बजे की बात है। मैं और मेरी बेटी घर में थे। तभी धमाके की आवाज आई। मैं बालकनी में गई तो बदबू आने लगी। मुझे लगा पास में प्लास्टिक फैक्ट्री है, वहां से स्मेल आ रही होगी। एक मिनट बाद ही हॉस्पिटल की आग मेरे घर की तरफ आने लगी। मैं दोनों बेटियों को लेकर घर के बाहर भागी।’

‘ये हॉस्पिटल 3 साल से चल रहा है। मेरे पति ने हॉस्पिटल की कई बार शिकायत की है। मैंने देखा है, रोज यहां 100 सिलेंडर लोड-अनलोड होते थे। वे पहली मंजिल से सिलेंडर नीचे फेंकते थे। इससे बहुत तेज आवाज होती थी।’

दिल्ली फायर सर्विस चीफ अतुल गर्ग के मुताबिक, आग पर काबू पाने में 3 घंटे लगे। 16 फायर टेंडर आग बुझाने के लिए भेजे गए थे। हालांकि, अनीशा आरोप लगाती हैं कि फायर ब्रिगेड की गाड़ी देर से पहुंची।

अनीशा कहती हैं, ‘फायर ब्रिगेड की सिर्फ एक गाड़ी आई थी। उसमे भी बहुत कम पानी था। पानी खत्म हो गया, तो आधे घंटे बाद दूसरा टैंकर आया। हॉस्पिटल के मालिक की वजह से मेरा घर बर्बाद हुआ है। हम उसके खिलाफ एक्शन लेंगे।’

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