दोषियों को दया याचिका दाखिल करने के लिए 1 सप्ताह का समय मिले, तिहाड़ जेल प्रशासन को नोटिस
नई दिल्ली: निर्भया केस (Nirbhya Case) में दोषियों को जल्द फांसी की सजा दिए जाने की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने बुधवार को तिहाड़ जेल प्रशासन को निर्देश दिया कि वह निर्भया के दोषियों को दया याचिका के लिए एक सप्ताह का नोटिस जारी करे. इसके बाद कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के लिए 7 जनवरी 2020 का दिन निर्धारित किया है. इससे पहले आज सुप्रीम कोर्ट द्वारा हत्यारे अक्षय ठाकुर की पुनर्विचार याचिका को खारिज किए जाने के बाद पटियाला हाउस कोर्ट में दोषियों को जल्द फांसी दिए जाने की याचिका पर सुनवाई हुई.
सुनवाई से पहले जज ने अक्षय की पुनर्विचार याचिका के बारे में भी पूछा. इस पर निर्भया के वकील ने कहा कि दोषियों की पुनर्विचार याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज हो चुकी है. कोर्ट में निर्भया के वकील ने मांग है कि दोषियों के लिए डेथ वारंट जारी किया जाए और फांसी देने के लिए 14 दिन का वक्त तय किया जाए.
कोर्ट के पास याचिका खारिज होने की आधिकारिक जानकारी पहुंच गई है. पटियाला हाउस कोर्ट में आज इस मामले में सुनवाई टल गई है. अब 7 जनवरी 2020 को इस मामले में अगली सुनवाई होगी. सुनवाई टलने के बाद कोर्ट रूम में खड़ी निर्भया की मां आशा देवी रोने लगीं.
इससे पहले जब 13 दिसंबर को सुनवाई हुई तो कोर्ट ने कहा कि दोषी अक्षय की पुनर्विचार याचिका पर 17 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में होनी है, उस पर फैसले का इंतजार करना होगा. उसके बाद 18 दिसंबर को सुनवाई होगी. सुनवाई के दौरान याचिका दायर करने वाले निर्भया के माता-पिता भी कोर्ट रूम में मौजूद थे. दोषी के वकील एपी सिंह ने कहा कि हमारी कई अर्जियां अलग-अलग जगह लंबित है. इस पर कोर्ट ने कहा कि आपको कई बार पहले सूचना दी जा चुकी है. आप मामले को लंबा खींचने की कोशिश कर रहे हैं.
एपी सिंह ने कहा कि पवन आरोप के वक़्त नाबालिग था. उसकी अर्जी लंबित है. कोर्ट ने कहा कि आपको तब अर्जी देना था जब निचली अदालत ने सजा दी थी. कोर्ट ने कहा कि हम रिव्यू पर SC का इंतजार करेंगे. इस बीच निर्भया की मां ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. अक्षय की पुनर्विचार याचिका के विरोध में अर्जी दाखिल करने की इजाजत मांगी. चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने याचिका दायर करने की इजाजत दी. फांसी के मामले में पुनर्विचार याचिका पर खुली अदालत में सुनवाई होती है.
इस बीच निर्भया की मां ने कहा कि उम्मीद है कि दोषी की पुनर्विचार याचिका खारिज होगी. सात साल से लड़ाई लड़ रहे हैं, आगे भी लड़ाई जारी रहेगी. इसके साथ ही उन्होंने दोषियों के खिलाफ डेथ वारंट जारी करने की मांग की. उल्लेखनीय है कि निर्भया दुष्कर्म व हत्याकांड के आरोपी अक्षय कुमार सिंह की पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 17 दिसंबर को सुनवाई करेगा.
दोषी अक्षय ने दायर की पुनर्विचार याचिका
इससे पहले निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्याकांड में मौत की सजा पाए चार दोषियों में से एक अक्षय कुमार सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में मामले को लेकर पुनर्विचार याचिका दायर करते हुए कहा कि दिल्ली गैस चैंबर है, ऐसे मैं मौत की सजा देने की क्या जरूरत है. वकील ए.पी.सिंह के माध्यम से दायर समीक्षा याचिका में अक्षय ने कहा, “दिल्ली-एनसीआर में पानी और हवा को लेकर जो कुछ हो रहा है, उससे हर कोई वाकिफ है. जीवन छोटा होता जा रहा है, फिर मृत्युदंड क्यों?”
सुप्रीम कोर्ट 9 जुलाई 2018 को ही अन्य तीन दोषियों की पुनर्विचार याचिका को रद्द कर चुका है. उस समय अक्षय ने याचिका दायर नहीं की थी. वकील सिंह ने अपने मुवक्किल की ओर से 10 दिसंबर शीर्ष अदालत में याचिका दायर की.
याचिका में अक्षय ने निवेदन करते हुए दावा किया कि दिल्ली की हवा की गुणवत्ता बिगड़ गई है, और राजधानी शहर सचमुच गैस चैंबर बन गया है. यहां तक कि शहर में पानी भी जहर से भरा है. गौरतलब है कि 16 दिसंबर, 2012 की रात दक्षिण दिल्ली में एक चलती बस में छह लोगों ने निर्भया (23) के साथ मिलकर दुष्कर्म किया था. सामूहिक दुष्कर्म इतना वीभत्स था कि इससे देशभर में आक्रोश पैदा हो गया था और सरकार ने दुष्कर्म संबंधी कानून और सख्त किए थे.
छह दुष्कर्म दोषियों में से एक नाबालिग था, जिसे बाल सुधार गृह में भेज दिया गया और बाद में रिहा कर दिया गया. एक दोषी ने जेल में ही आत्महत्या कर ली थी. शीर्ष अदालत ने मुकेश (30), पवन गुप्ता (23) और विनय शर्मा (24) की पुनर्विचार याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि मृत्युदंड की समीक्षा के लिए अभियुक्तों द्वारा कोई आधार स्थापित नहीं किया गया है.