माइनिंग डिपार्टमेंट:सभी कलेक्टरों को 15 जुलाई तक घोषित करने होंगे नए खदान क्षेत्र, पीएस माइनिंग ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में दिए निर्देश
माइनिंग डिपार्टमेंट ने जिला कलेक्टरों को निर्देश दिए हैं कि जहां रेत उपलब्ध है वहां नई खदान क्षेत्र 15 जुलाई तक घोषित करें। साथ ही जहां बड़े रेत वाले क्षेत्र हैं वहां पर 250 हेक्टेयर वाले क्षेत्र घोषित किए जाएं ताकि रेत की उपलब्धता बढ़ाई जाए।
प्रमुख सचिव माइनिंग निकुंज श्रीवास्तव ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कमिश्नर- कलेक्टर्स की बैठक में रविवार को ये निर्देश दिए। प्रमुख सचिव ने पुराने आदेश का हवाला देकर कहा कि 15 सितंबर 2024 तक नदी के किनारों पर 250 हेक्टेयर तक के बड़े क्षेत्रों को नए सिरे से खदान घोषित किया जाए, ताकि वर्तमान में संचालित छोटी खदानों के आस-पास उपलब्ध रेत का भी वैध तरीक़े से खनन हो सके।
मुख्यमंत्री के निर्देशों के मुताबिक श्रीवास्तव ने कहा कि कलेक्टर्स को अवैध उत्खनन एवं परिवहन पर प्रभावी रोकथाम के निर्देश एवं मार्गदर्शन भी दिया गया। उन्होंने विशेष रूप से पानी के भीतर किसी भी प्रकार के उत्खनन (इन-स्ट्रीम माइनिंग) को सख्ती से रोकने का आदेश दिया। उन्होंने कहा कि मानसून के दौरान रेत के परिवहन को रोकने के लिए जांच चौकियां बनाई जाएं।
जियो टैगिंग से अवैध खनन और और परिवहन रोकेंगे
प्रमुख सचिव ने कहा कि रेत खदानों की जियो टैगिंग करके खनन एरिया के बाहर अवैध खनन और परिवहन पर नजर रखेंगे। सैटेलाइट इमेज और रिमोट सेंसिंग से देखा जायेगा कि क्या खनन की अनुमति से बाहर तो गतिविधियां नहीं चल रही हैं। तकनीक से डाटा लेकर जरुरत पड़ने पर जिला प्रशासन को अलर्ट भेजेंगे। अधिक खनन होने पर ड्रोन सर्वे करेंगे। तकनीकी प्रणाली सितम्बर 2024 तक लागू करने की योजना है।
……………………………
मध्य प्रदेश में पूर्ण प्रतिबंधित होगा पानी के अंदर खनन, छोटी खदानों के आसपास उपलब्ध रेत का भी होगा वैध खनन
खनिज साधन विभाग के प्रमुख सचिव निकुंज श्रीवास्तव के अनुसार मप्र के मुख्यमंत्री डाॅ. मोहन यादव ने अवैध उत्खनन / परिवहन पर नियंत्रण के निर्देश दिए हैं। बैठक में खनिज साधन विभाग के 24 मई 2024 के परिपत्र के अनुसार, कलेक्टराें को अवैध उत्खनन एवं परिवहन पर प्रभावी रोकथाम के निर्देश एवं मार्गदर्शन भी दिया गया।
- मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने दिए निर्देश
- प्रमुख सचिव खनिज निकुंज श्रीवास्तव ने वीसी कर कमिश्नर कलेक्टर को भी दिए निर्देश
- खनिज साधन विभाग द्वारा अवैध उत्खनन एवं भंडारण की रोकथाम के लिए कवायद
राज्य ब्यूरो, भोपाल । मप्र में 15 सितंबर तक नदी के किनारों पर 250 हेक्टेयर तक के बड़े क्षेत्रों में नए सिरे से खदान घोषित किया जाएंगे, ताकि वर्तमान में संचालित छोटी खदानों के आस-पास उपलब्ध रेत का भी वैध तरीक़े से खनन हो सके। इसी तरह पानी के भीतर किसी भी प्रकार के उत्खनन (इन-स्ट्रीम माइनिंग) को सख्ती से रोका जाएगा।
उपयुक्त स्थानों पर जांच चौकियों की स्थापना एवं मानसून के दौरान निर्माण कार्यों को जारी रखने के लिए रेत भंडारण की पर्याप्त व्यवस्था की जाएगी। खनिज साधन विभाग द्वारा अवैध उत्खनन एवं भंडारण की रोकथाम के लिए जियो स्पेशल भू-स्थानिक तकनीक का उपयोग कर खनन निगरानी प्रणाली विकसित की जा रही है। इस प्रणाली के अंतर्गत प्रदेश की समस्त खदानों को जियो टेग कर सेटेलाइट इमेज एवं रिमोट सेंसिंग टेक्नोलाजी की सहायता से प्रदेश में हो रहे अवैध उत्खनन एवं भंडारण पर निगरानी रखी जाएगी। यह प्रणाली खदान क्षेत्र के बाहर हो रहे अवैध उत्खनन का पता लगाने में सक्षम होगी।
रविवार को खनिज साधन विभाग के प्रमुख सचिव निकुंज श्रीवास्तव ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से कमिश्नर/ कलेक्टरों की बैठक ली और इस संबंध में दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि उन सभी क्षेत्रों को, जहां रेत खनिज उपलब्ध है, लेकिन अब तक खदान के रूप में घोषित नहीं किया गया है, 15 जुलाई 2024 तक खदान घोषित किया जाए।
प्रमुख सचिव श्रीवास्तव द्वारा स्पष्ट किया गया कि मुख्यमंत्री डाॅ. मोहन यादव ने अवैध उत्खनन / परिवहन पर नियंत्रण के निर्देश दिए हैं। बैठक में खनिज साधन विभाग के 24 मई 2024 के परिपत्र के अनुसार, कलेक्टराें को अवैध उत्खनन एवं परिवहन पर प्रभावी रोकथाम के निर्देश एवं मार्गदर्शन भी दिया गया।
वास्तविक उत्खनित मात्रा का पता कर दोषियों पर कार्रवाई
खनन निगरानी प्रणाली के अंतर्गत एक निश्चित समय अंतराल पर सतत रूप से प्राप्त सेटेलाइज इमेज का विश्लेषण कर सिस्टम द्वारा राज्य एवं जिला प्रशासन को अलर्ट भेजे जाएंगे, जिसका क्षेत्रीय अमले द्वारा मोबाइल एप के माध्यम से परीक्षण/निरीक्षण कर रिपोर्ट पोर्टल/मोबाइल एप पर दर्ज कर प्रकरण पंजीबद्ध किया जाएगा।
आवश्यकता पड़ने पर खदान या उसके बाहर ड्रोन सर्वे कर वास्तविक उत्खनित मात्रा का पता लगाकर दोषियों पर कार्रवाई कर अर्थदंड अधिरोपित किया जाएगा। यह प्रणाली मध्य प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रानिक्स डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड द्वारा विकसित की जा रही है और सितंबर 2024 तक संपूर्ण प्रदेश में प्रभावी रूप से लागू कर दी जाएगी।