भोपाल। : सरकारी कर्मचारी, स्थानीय नेताओं और माफिया के गठजोड़ से शहर में बढ़ रहा झुग्गियों का ग्राफ ?
सरकारी कर्मचारी, स्थानीय नेताओं और माफिया के गठजोड़ से शहर में बढ़ रहा झुग्गियों का ग्राफ
वोट बैंक के कारण नेताओं के दबाव में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवा रहा नगर निगम। पीएम आवास योजना के आवास लेने के बावजूद 50 प्रतिशत से अधिक हितग्राही चला रहे किराए पर।
पंचशील नगर में स्थित मल्टी, जिसके ज्यादातर फ्लैट हितग्राहियों ने किराये पर दे दिए हैं ….
भोपाल। शहर को झुग्गी मुक्त करने का सरकार का सपना शायद कभी साकार नहीं होगा, क्योंकि सरकारी कर्मचारी, स्थानीय नेता और झुग्गी माफिया के गठजोड़ से झुग्गियों को बसाने का कारोबार लंबे समय से चला आ रहा है। शहर में बढ़ता झुग्गियों का ग्राफ इस बात का जीता-जागता प्रमाण है, जबकि झुग्गियों के विस्थापन को लेकर कई योजनाएं बनीं, आवास बनाए गए, लेकिन झुग्गियों की संख्या कम नहीं हुई। झुग्गियों में रहने वाले लोगों ने आवास तो लिए, लेकिन 50 प्रतिशत से अधिक हितग्राहियों ने उनको किराये पर दे दिया या बेच दिया है और आज वह लोग दोबारा झुग्गी में रह रहे हैं। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि यही हाल रहा तो यह शहर कभी भी झुग्गी मुक्त नहीं हो पाएगा। नगर निगम के अधिकारियों की लापरवाही का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनको इस बात की ही जानकारी नहीं है कि निगम द्वारा बनाए गए आवासों में कितने वास्तविक हकदार रहते हैं।
झुग्गियों से सात सौ रुपये प्रतिवर्ष नगर निगम लेता है शुल्क और 100 रुपये बिजली बिल
अवैध झुग्गियों में रहने वाले परिवार प्रति वर्ष नगर निगम के जोनल कार्यालय से 700 रुपये शुल्क की कटवाते हैं और एक बत्ती कनेक्शन के तहत 100 रुपये बिजली बिल भरते हैं। नियमानुसार अवैध होने की स्थिति में शुल्क लेने के बजाय कार्रवाई होना चाहिए, लेकिन यहीं पार्षद और भूमाफिया का गठजोड़ अपनी भूमिका निभाता है और शुल्क भुगतान करवाकर यह साबित करने की कोशिश की जाती है कि संबंधित परिवार वर्षों से इस जगह पर काबिज है, जिसके आधार पर पट्टा स्वीकृत होता है।
इन इलाकों में योजनाओं के आवास किराये पर
नगर निगम द्वारा जेएनएनयूआरएम, प्रधानमंत्री आवास योजना और हाउसिंग फार आल के तहत हितग्राहियों को बनाकर आवंटित किए गए 50 प्रतिशत से अधिक आवास किराए पर चल रहे हैं। पंचशील नगर, श्याम नगर, अर्जुन नगर, नेहरू नगर, जनता कालोनी, इंदिरा नगर, 11 नंबर, ईदगाह हिल्स, बाजपेयी नगर आदि क्षेत्रों में विभिन्न योजनाओं के तहत गरीबों के लिए आवास बनाए गए हैं, जो बेहद कम दामों में झुग्गीवासियों को दिए गए। वर्तमान में यहां बड़ी संख्या में लोग रहते हैं, लेकिन उनमें से अधिकांश आवास किराये पर हैं। यदि उक्त क्षेत्रों में जांच की जाए तो 50 प्रतिशत से अधिक आवासों के किराये पर चलने का खुलासा हो जाएगा।
राजधानी में झुग्गी बस्तियों का जाल
1500 एकड़ जमीन पर काबिज हैं 300 झुग्गी बस्तियां।
5000 रुपये प्रति स्क्वायर फीट औसतन कीमत है उस जमीन की जहां झुग्गियां बसी हैं।
10 प्रतिशत झुग्गियां हर साल शहर में बढ़ जाती हैं।
झुग्गी मुक्त शहर के लिए यह हुए प्रयास
– 1984 में अर्जुन सिंह सरकार ने पहली बार झुग्गी मुक्त शहर के लिए अभियान चलाया।
– 2004 में बाबूलाल गौर ने झुग्गियों के री-डेंसिफिकेशन की योजना बनाई।
– 2015 में पीएम आवास योजना की शुरुआत हुई और शहर में पक्के मकान व पट्टे देने का अभियान शुरू हुआ।
यहां सबसे ज्यादा बढ़ रही हैं झुग्गियां
कोलार, अयोध्या बाइपास रोड, अवधपुरी भेल क्षेत्र, खजूरीकला, बरखेड़ा पठानी, करोंद, गांधी नगर, बैरागढ़, मिसरोद, 11 मील रोड, कटारा, बागमुगालिया, बागसेवनिया, पटेल नगर, कलियासोत कैचमेंट नेहरू नगर, नीलबड़, रातीबड़, भौरी आदि क्षेत्र।
हाउसिंग फार आल के तहत गरीबों के लिए साढ़े सात हजार से अधिक आवास बनने की योजना है। अभी तक साढ़े तीन हजार आवास बन चुके हैं। साढ़े चार हजार आवास और बनाए जाएंगे। 1100 आवास निर्माणाधीन हैं। वास्तविक हकदारों को आवास आवंटित किए गए हैं, उन्होंने आवास लेने के बाद क्या किया खुद रहते हैं या किराये पर दिए इसकी जानकारी नहीं है।
– संतोष गुप्ता, अधीक्षण यंत्री, नगर निगम
नेहरू नगर में गरीबों के लिए आवास बनाए गए, लेकिन आवंटन होने से पहले ही झुग्गीवासियों ने अपने मन मुताबिक आवासों पर कब्जा कर लिया। बनने के बाद से आज तक इनका आवंटन नहीं हो पाया है। इसकी जांच होनी चाहिए कि वहां रहने वाले लोग वास्तविक हकदार हैं या नहीं।
पार्षद वार्ड 29