क्या है शैडो कैबिनेट और क्यों राहुल बन सकते हैं शैडो प्रधानमंत्री… ?

राहुल गांधी बनेंगे ‘शैडो प्रधानमंत्री’ …
सरकार की निगरानी के लिए विपक्ष बना सकता है कैबिनेट, जानिए क्या है शैडो कैबिनेट

24 जून से 18वीं लोकसभा का पहला सेशन शुरू हो चुका है। 10 साल बाद लोकसभा में लीडर ऑफ अपोजिशन चुना जाना है। कांग्रेस नेताओं ने मांग कि है कि इंडिया गठबंधन को एकजुट रखने और नई NDA सरकार के कामों पर नजर रखने के लिए शैडो कैबिनेट बनाई जाए।

ये पहली बार नहीं है कि विपक्ष ने शैडो कैबिनेट बनाने की बात कही है। इससे पहले 2014 में कांग्रेस ने पार्टी स्तर पर मोदी सरकार की निगरानी के लिए 7 शैडो कैबिनेट कमेटियां बनाई थीं। शैडो कमेटी का कॉन्सेप्ट ब्रिटेन से आया है, जहां से भारत का पार्लियामेंट्री सिस्टम मोटिवेटेड है।

ब्रिटेन में विपक्ष के नेता को शैडो PM कहा जाता है। हमारी संसद की किताब में भी शैडो PM का जिक्र है, लेकिन इसे कभी अमल में नहीं लाया गया है। इस बार राहुल गांधी लीडर ऑफ द अपोजिशन होंगे। अगर शैडो कैबिनेट बनती है तो वे ही शैडो PM होंगे।

क्या है शैडो कैबिनेट और क्यों राहुल बन सकते हैं शैडो प्रधानमंत्री…

ब्रिटेन में बहुमत वाली पार्टी सरकार बनाती है और बाकी सदस्य विपक्ष में बैठते हैं। भारत में भी बहुमत वाली पार्टी का नेता प्रधानमंत्री चुना जाता है। विपक्षी पार्टी की तरफ से नेता प्रतिपक्ष यानी लीडर ऑफ अपोजिशन चुना जाता है। हालांकि, लीडर ऑफ अपोजिशन के लिए एक जरूरी शर्त है। शर्त ये कि उस पार्टी के पास कुल सांसदों का 10 प्रतिशत से ज्यादा सांसद होना चाहिए। यानी, जिस विपक्षी पार्टी के पास 55 से ज्यादा सांसद होंगे, उस पार्टी के नेता को लीडर ऑफ अपोजिशन कहा जाता है।

हालांकि, 55 सदस्यों वाला ये नियम पहले मौजूद नहीं था। लोकसभा के पहले स्पीकर जीवी मावलंकर ने नेता प्रतिपक्ष बनने के लिए ये कोरम बताया था, जिसे 1998 में पार्लियामेंट फ़ैसिलिटी एक्ट में शामिल कर दिया गया। संसद की प्रैक्टिस और प्रोसीजर बुकलेट में लीडर ऑफ अपोजिशन का जिक्र है।

इसे आप प्रधानमंत्री का शैडो वर्जन समझ सकते हैं। यानी, जिसके पास प्रधानमंत्री जैसी पावर तो नहीं होती, लेकिन उसकी जिम्मेदारी PM के जैसे ही होती है। शैडो PM असली प्रधानमंत्री के कामकाजों पर निगरानी रखने का काम करता है। लीडर ऑफ अपोजिशन को शैडो कैबिनेट का मुखिया या नेता भी कहा जाता है।

18वीं लोकसभा के पहले सत्र के दौरान नई सदन में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और विपक्ष के अन्य प्रतिनिधि।
18वीं लोकसभा के पहले सत्र के दौरान नई सदन में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और विपक्ष के अन्य प्रतिनिधि।

कांग्रेस की वजह से शुरू के 20 साल नहीं था लीडर ऑफ अपोजिशन
शैडो कैबिनेट ब्रिटिश पार्लियामेंट का कॉन्सेप्ट है, जिसका इस्तेमाल ब्रिटेन में विपक्षी सदस्य सरकार की गतिविधि या कामों पर नजर रखने के लिए करते हैं। भारत ने ब्रिटेन की संसदीय व्यवस्था से लीडर ऑफ अपोजिशन का पद लिया है, लेकिन कभी शैडो कैबिनेट के कॉन्सेप्ट का उपयोग नहीं किया है। हालांकि, शैडो प्राइम मिनिस्टर का जिक्र पार्लियामेंट की बुकलेट में किया गया है, जहां विपक्ष के नेता को शैडो प्राइम मिनिस्टर और उसको शैडो कैबिनेट का मुखिया बताया गया है।

दरअसल, आजादी के बाद 1969 तक विपक्ष में कोई लीडर ऑफ अपोजिशन नहीं था। 1969 में जब कांग्रेस में विभाजन हुआ, तो कांग्रेस का एक धड़ा विपक्ष में बैठा। कांग्रेस ओ के नेता राम सुभाग सिंह लोकसभा के पहले लीडर ऑफ अपोजिशन थे। 1977 में नेता प्रतिपक्ष के लिए ‘सैलरी एण्ड अलाउसेंस ऑफ लीडर ऑफ अपोजिशन एक्ट’ पारित हुआ। इसमें बताया गया है कि विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी का नेता विपक्ष का नेता बन सकता है। इसमें दस प्रतिशत या किसी अंक का जिक्र नहीं है।

बावजूद इसके लोकसभा में देश के पहले स्पीकर मावलंकर के 10% वाले नियम को फॉलो किया जाता है।

प्रधानमंत्री की परछाई है शैडो PM
आसान भाषा में शैडो कैबिनेट का मतलब छाया मंत्रिमंडल है। जिस प्रकार इंसानी शरीर की एक परछाई या छाया होती है, जो शरीर के साथ-साथ तो चलती है, लेकिन खुद कुछ नहीं कर सकती है। उसे हमेशा शरीर के हिसाब से ही रहना पड़ता है।

ठीक इसी तरह छाया मंत्रिमंडल सरकार की परछाई होती है, जो सरकार के सामने विपक्ष की एक कैबिनेट होती है। वैसे तो ये इसके पास कोई फैसले लेने की शक्ति नहीं होती, लेकिन परछाई की तरह ही सरकार पर हर वक्त नजर रखती है। यह परछाई कभी-कभी संसद में आवाज भी उठाती है। जरूरत पड़ने पर सरकार का काम भी संभाल सकती है।

दुनिया में कहां-कहां है शैडो कैबिनेट
शैडो कैबिनेट की व्यवस्था आमतौर पर कॉमन्वेल्थ देशों में है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि इन देशों ने भी भारत की तरह संसदीय प्रणाली ब्रिटेन से ही ली है। इन देशों की संसद भी लगभग भारत की तरह ही काम करती है। फिलहाल UK के अलावा कनाडा, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया में शैडो कैबिनेट सिस्टम है।

कनाडा: यहां वर्तमान शैडो कैबिनेट में विपक्ष की कंजरवेटिव पार्टी के मेम्बर्स शामिल हैं। पियरे पॉलिवीयर को विपक्ष का नेता यानी शैडो प्राइम मिनिस्टर चुना गया है।

ऑस्ट्रेलिया: शैडो कैबिनेट में विपक्ष की लिबरल पार्टी के मेम्बर्स शामिल हैं। पीटर डटन को लीडर ऑफ अपोजिशन चुना गया है।

न्यूजीलैंड: यहां लेबर पार्टी के मेम्बर्स ने सरकार के सामने अपनी शैडो कैबिनेट बनाई है। कृष हिपकिंस को इसका मुखिया यानि लीडर ऑफ अपोजिशन चुना गया है।

भारत के राज्यों में शैडो कैबिनेट चलाने के प्रयास
केंद्र में भले ही अब तक शैडो कैबिनेट नहीं रही, लेकिन राज्यों ने इस कॉन्सेप्ट को अपनाने की कोशिश की है। पॉलिटिकल एक्सपर्ट बताते हैं कि राज्यों में भी शैडो कैबिनेट बनाने की कोशिशें तो हुई हैं, लेकिन वो केवल खानापूर्ति वाला मामला रहा है। यह अब तक कभी सफलतापूर्वक लागू नहीं हो पाया है।

पॉलिटिकल एक्सपर्ट अमिताभ तिवारी का मानना है कि भले ही शैडो कैबिनेट के बारे में साफतौर पर जिक्र नहीं है, फिर भी विपक्ष को कम से कम संसद में सरकार के मुख्य मंत्रालयों पर नजर रखने के लिए छोटी शैडो कैबिनेट तो जरूर बनानी चाहिए। इससे उनकी जनता के बीच छवि अच्छी बनेगी।

राज्यों में शैडो कैबिनेट
2005: महाराष्ट्र में मुख्य विपक्षी पार्टी BJP और शिवसेना ने कांग्रेस-NCP की गठबंधन सरकार के खिलाफ।

2014: कांग्रेस ने मध्यप्रदेश में BJP सरकार के खिलाफ राज्य में शैडो कैबिनेट बनाई।

2015: गोवा की एक NGO जेन-नेक्सट ने सरकार के कार्यों पर नजर रखने के लिए शैडो गवर्नमेंट बनाई।

2018: अप्रैल 2018 में केरल की सिविल सोसाइटी मेम्बर्स ने पिनरई विजयन की LDF सरकार पर नजर रखने के लिए एक शैडो कैबिनेट बनाई।

भारत में कई पार्टियां और उनके गुटबाजी के कारण शैडो कैबिनेट नहीं बनती
भारत में शैडो कैबिनेट सिस्टम को लेकर पॉलिटिकल एक्सपर्ट रशीद किदवई कहते हैं कि इसका जिक्र भलें ही किया गया हो लेकिन शैडो कैबिनेट की भारत में कोई संवैधानिक हैसियत नहीं है। भारत की संसदीय प्रणाली में पहले ही लीडर ऑफ अपोजिशन यानी नेता प्रतिपक्ष को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है। हमारे यहां सरकार पर चेक और बैलन्सेस रखने के लिए कमेटी सिस्टम है, जिसमें विपक्ष के सदस्य हिस्सा होते हैं।

लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम के बाद इंडिया गठबंधन की बैठक हुई।
लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम के बाद इंडिया गठबंधन की बैठक हुई।

लोकसभा पूर्व महासचिव पीडीटी आचार्य कहते हैं कि वर्तमान परिस्थति को देखें तो संसद में एक तरफ लीडर ऑफ हाउस तो दूसरी तरफ लीडर ऑफ अपोजिशन है। इसमें शैडो कैबिनेट बनाए जाने की मुझे कोई संभावना नहीं लगती। वे कहते हैं कि शैडो कैबिनेट सिर्फ विपक्ष के अपने साथियों को सम्मानित करने का तरीका होता है कि अगर वे कभी सत्ता में आते हैं तो उनका मंत्रिमंडल कैसा होगा। ऐसी स्थिति कभी भारत में बनी तो विपक्ष में अभी वो एकता नहीं है कि वो किसी को अपना शैडो प्राइम मिनिस्टर बना सकें। राजनीतिक महत्वाकांक्षा और गुटबाजी के चलते ये सिस्टम भारत में लागू हो पाना मुश्किल है।

इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता कहते हैं कि शैडो कैबिनेट के बारे में भारत के संविधान, कानून और संसद के नियमों में कोई प्रावधान नहीं है। संविधान के भाग-5 में केन्द्र सरकार और संसद और भाग-6 में राज्य सरकार और उनकी विधानसभा के बारे में विस्तार से बताया गया है। ब्रिटेन की वेस्ट मिनिस्टर प्रणाली में शैडो कैबिनेट का गठन नेता प्रतिपक्ष करता है। वहां साल 1807 से नेता प्रतिपक्ष की परम्परा है, जिसके लिए साल 1911 में संसद अधिनियम बनाया गया। साल 1937 में बनाए गए मिनिस्ट्रीज ऑफ द क्रॉउन एक्ट की धारा-10 में शैडो कैबिनेट के बारे में प्रावधान है, लेकिन भारत में नेता प्रतिपक्ष के अधिकार और जिम्मेदारियों के बारे में संसद से कानून नहीं बनने की वजह से शैडो कैबिनेट पर बहस शुरू नहीं हो पा रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *