एक ही पुलिस अधिकारी पर जांच व कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी ?
एक जुलाई से लागू नए कानूनों के तहत त्वरित न्याय का दावा है, लेकिन पुलिस बल की कमी से इसमें बाधा आ सकती है। प्रदेश में जरूरत के हिसाब से काफी कम थाने हैं। पुलिस मुख्यालय की व्यवस्था के अनुसार, 50 हजार की आबादी पर जिला पुलिस बल का एक थाना होना चाहिए।
पुलिसकर्मियों पर काम के अधिक दबाव की वजह है बल की कमी। आबादी के मान से प्रदेश में 1700 थाने होने चाहिए पर 968 हैं। –
- पुलिस विभाग में पुलिस कर्मियों की भारी कमी
- गिरफ्तारी व चालान पेश करने में होती है देरी
- अक्सर 45 से 90 दिन तक नहीं पेश होते चालान
भोपाल। एक जुलाई से लागू हुए नए कानूनों के अंतर्गत पीड़ित को त्वरित न्याय दिलाने का दावा किया गया है, पर प्रदेश में पुलिस बल की कमी इसमें बाधा बन सकती है। जिन पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों के पास कानून-व्यवस्था संभालने की जिम्मेदारी है, उन्हीं के पास प्रकरणों की जांच का भी जिम्मा है।
न्याय मिलने में भी देरी
नए कानूनों में साक्ष्य संकलन सहित कई कामों में अपेक्षाकृत अधिक समय लगने वाला है। नए कानूनों में आरोपित की गिरफ्तारी के बाद से निर्धारित अवधि में चालान प्रस्तुत करना है। अलग-अलग अपराध में चालान प्रस्तुत करने की अवधि 45 से 90 दिन तक है। ऐसे में अगर पुलिस आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर पाई तो चालान प्रस्तुत करने में देरी होगी, जिससे न्याय मिलने में भी देरी होगी।
पुलिसकर्मियों पर काम का दबाव
पुलिसकर्मियों पर काम के अधिक दबाव की वजह है बल की कमी। आबादी के मान से प्रदेश में 1700 थाने होने चाहिए पर 968 ही हैं। कुछ पुलिस निरीक्षकों ने नईदुनिया से बातचीत में बताया कि नए कानूनों के लिहाज से कानून-व्यवस्था से अधिक ध्यान जांच पर देना होगा। जांच अधिकारियों को कानून व्यवस्था ड्यूटी में नहीं लगाया जाएगा।
दरअसल, पुलिस मुख्यालय की व्यवस्था के अनुसार 50 हजार की आबादी पर जिला पुलिस बल का एक थाना होना चाहिए। प्रदेश की जनसंख्या साढ़े आठ करोड़ से अधिक है। ऐसे में 1700 से अधिक थाने होने चाहिए, पर पुलिस बल की कमी के चलते नए थाने नहीं खुल पा रहे हैं।
वर्ष 2000 में प्रदेश में 717 थाने थे। यानी बीते 24 वर्ष में 251 थाने ही बढ़े हैं। प्रतिवर्ष का औसत लगभग 10 नए थाने खुलने का है। अपराध के अनुसार बात करें तो भारतीय न्याय संहिता की जगह एक जुलाई के पूर्व में लागू भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के अनुसार एक थाना क्षेत्र के अंतर्गत वर्ष में 300 से अधिक अपराध होने पर दूसरा थाना खोला जाना चाहिए, पर इसका भी पालन नहीं हो रहा है।
प्रदेश में अभी अधिकारियों को मिलाकर एक लाख 21 हजार पुलिस बल है, जबकि बढ़ती आबादी और अपराध के मान से नए थाने खोलने के लिए लगभग पौने दो लाख पुलिस बल की आवश्यकता होगी।