ग्वालियर कुटुंब न्यायालय में …. 3 हजार से ज्यादा तलाक केस पेडिंग…निपटाने के लिए केवल 3 जज
3 हजार से ज्यादा तलाक केस पेडिंग…निपटाने के लिए केवल 3 जज
Divorce: ग्वालियर कुटुंब न्यायालय में 3,598 तलाक और 3,018 केस भरण पोषण के लंबित हैं। इन्हें सुनने के लिए तीन ही जज हैं।
Divorce: हाईकोर्ट की युगलपीठ ने एक याचिका को खारिज कर कहा कि अदालतें पहले से ही वैवाहिक मामलों के बोझ के तले दबी हैं। न्यायिक आदेश पारित कर कुटुंब न्यायालयों के कामकाज को नियंत्रित करना उचित नहीं है। शिवम दीक्षित ने याचिका में तर्क दिया कि कुटुंब न्यायालय में तलाक का आवेदन लंबित है। बार-बार पेशी पर उन्हें उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से आना पड़ता है। नौकरी प्रभावित हो रही है।
कुटुंब न्यायालय को निर्देशित किया जाए कि जल्द निराकरण किया जाए। कोर्ट ने कहा, इस मामले को तरजीह नहीं देना चाहते हैं। याचिका खारिज कर दी। बता दें, ग्वालियर कुटुंब न्यायालय में 3,598 तलाक और 3,018 केस भरण पोषण के लंबित हैं। इन्हें सुनने के लिए तीन ही जज हैं।
पारिवारिक न्यायालय अधिनियम, 1984 में विवाह और पारिवारिक मामलों से संबंधित विवादों के त्वरित समाधान और सुलह को बढ़ावा देने के लिए उच्च न्यायालयों के परामर्श से राज्य सरकारों द्वारा पारिवारिक न्यायालयों की स्थापना का प्रावधान है।
तलाक के साढ़े 3 हजार केस लंबित
ग्वालियर के कुटुंब न्यायालय में 3 हजार 598 तलाक के केस लंबित है। 3 हजार 18 केस भरण पोषण सहित अन्य मामले हैं। कुल 6 हजार 616 केस लंबित चल रहे हैं। इन केसों को सुनने के लिए वर्तमान में तीन जज हैं। जिस तरह से वैवाहिक विवाद बढ़े हैं, उन्हें देखते हुए कुटुंब न्यायालय में जजों की संख्या बढ़ाने पर विचार चल रहा है।
आने समय में ग्वालियर में 10 जजों की जरूरत पड़ने वाली है, क्योंकि जितने केसों का निराकरण नहीं हो पाता है, उससे ज्यादा नए आ जाते हैं। 2014 में कुटुंब न्यायालय में पक्षकार नजर नहीं आते थे, अब भारी भीड़ रहती है। पूरा परिसर पक्षों से भरा रहता है।