MP में 1286 स्कूल ऐसे, जहां एक भी शिक्षक नहीं!

1 हजार से ज्यादा सरकारी स्कूलों में नहीं है 1 भी टीचर

MP News: राज्य कई सरप्लस शिक्षक वाले स्कूल चल रहे हैं। यहां सरप्लस शिक्षकों की संख्या 20 हजार से अधिक है। ऐसे ज्यादातर स्कूल शहरों में चल रहे हैं।

ये भी कहा जा सकता है कि ये स्कूल बगैर स्थायी शिक्षक के चल रहे हैं। इस सूची में अव्वल हैं, सिंगरौली के 115, रीवा के 85, देवास में 80 और रतलाम के 21 स्कूल। अधिकांश आदिवासी क्षेत्र के गांवों में हैं। इसी कारण यदि यहां किसी को पदस्थ भी किया जाता है, तो कोई आना नहीं चाहता है। दूसरी विसंगति ये भी है कि राज्य कई सरप्लस शिक्षक वाले स्कूल चल रहे हैं। यहां सरप्लस शिक्षकों की संख्या 20 हजार से अधिक है। ऐसे ज्यादातर स्कूल शहरों में चल रहे हैं।
भेदभाव न किया जाए

मप्र शिक्षक कांग्रेस अध्यक्ष सर्वेश माथुर से बताया, राज्य में अधिकांश महानगर और बडे़ शहर में सरप्लस शिक्षक हैं। शहरी सुविधा मिलती रहे, इसलिए इनके अंचल में तबादले नहीं होते हैं। अतिथि शिक्षक की परंपरा समाप्त कर सभी को नियमित किया जाए। सरप्लस शिक्षक को वहां पदस्थ करें, जहां एक भी शिक्षक नहीं है।

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 #MP में 1286 स्कूल ऐसे, जहां एक भी शिक्षक नहीं! जबकि पूरे राज्य में सरप्लस हैं, करीब 20 हजार शिक्षक

राज्य सरकार ने 2024-25 के बजट में प्राथमिक, माध्यमिक और अन्य श्रेणी के सरकारी स्कूल के उन्नयन के लिए रा​शि देने की घोषणा की है। सरकार के इस कदम से स्कूल तो बेहतर हो जाएंगे, लेकिन इनमें पढ़ाने वाले कहां से आएंगे?

रतलाम।राज्य सरकार ने 2024-25 के बजट में प्राथमिक, माध्यमिक और अन्य श्रेणी के सरकारी स्कूल के उन्नयन के लिए रा​शि देने की घोषणा की है। सरकार के इस कदम से स्कूल तो बेहतर हो जाएंगे, लेकिन इनमें पढ़ाने वाले कहां से आएंगे? ये ऐसा सवाल है, जिसका जवाब बजट में नहीं है, क्योंकि अभी भी राज्य में 1286 सरकारी स्कूल ऐसे हैं, जहां एक भी ​शिक्षक पदस्थ नहीं है। ये भी कहा जा सकता है कि ये स्कूल बगैर स्थाई ​शिक्षक के ही चल रहे हैं।
इस सूची में अव्वल हैं, सिंगरौली के 115, रीवा के 85, देवास में 80 और रतलाम के 21 स्कूल। अ​धिकांश आदिवासी क्षेत्र के गांवों में हैं। इसी कारण यदि यहां किसी को पदस्थ भी किया जाता है, तो कोई आना नहीं चाहता है। दूसरी विसंगति ये भी है कि राज्य कई सरप्लस ​शिक्षक वाले स्कूल चल रहे हैं! यहां सरप्लस शिक्षकों की संख्या 20 हजार से अधिक है। ऐसे ज्यादातर स्कूल शहरों में चल रहे हैं।
यदि इस आंकड़े को रतलाम जिले में परखें, तो 642 ​शिक्षक सरप्लस हैं। इनमें सबसे अ​धिक रतलाम में 348, जावरा में 130, आलोट में 89, पिपलौदा में 69 पदस्थ हैं। जबकि एक ​शिक्षक की उपस्थिति वाले रतलाम जिले में 88 स्कूल हैं। जिले में ऐसे भी स्कूल हैं, जहां एक भी ​शिक्षक नहीं है। जिले में ऐसे स्कूलों की संख्या 21 है। इनमें आलोट में 13, जावरा में 4, रतलाम में 3 पिपलौदा में एक स्कूल शामिल है।
यहां केवल एक ​शिक्षक
जिला – स्कूल संख्या

​शिवपुरी – 416
सतना – 408
रीवा – 402
विदिशा – 336
सागर – 267
सिंगरौली – 277
देवास – 259
राजगढ़ – 223
मंदसौर – 200
छतरपुर – 185
पन्ना – 172
ग्वालियर – 163
निवाड़ी – 162
सीहोर – 157
खरगोन – 149
टीकमगढ़ – 145
कटनी – 136
नर्मदापुरम – 130
खंडवा – 127दमोह – 126

​भिंड – 117
उज्जैन – 116
अशोकनगर – 113

यहां हैं सरप्लस
जिला – सरप्लस की संख्या
बालाघाट – 1477
​भिंड – 1165
भोपाल – 1134
छिंदवाड़ा – 1237
देवास – 1003
ग्वालियर – 1225
इंदौर  – 1399
मुरैना – 1103
राजगढ़ – 1159
रीवा – 1415
सागर – 1446
सतना – 1513
उज्जैन – 1183
अतिथि शिक्षक की सेवा लेंगे
जहां ​शिक्षक नहीं है, वहां अति​थि​शिक्षक को नियुक्त कर पढ़ाई करवाई जा रही है। जहां तक सरप्लस ​शिक्षक का मामला है, यह पूर्व में सही कर दिया था। फिर भी कुछ रह गया, तो सही किया जाएगा।
, जिला ​शिक्षाअ​धिकारी

भेदभाव समाप्त हो
राज्य में अ​धिकांश महानगर व बडे़ शहर में सरप्लस ​शिक्षक हैं। शहरी सुविधा मिलती रहे, इसलिए इनके अंचल में तबादले नहीं होते हैं। अति​थि​शिक्षक की परंपरा समाप्त कर सभी को नियमित किया जाए व सरप्लस ​शिक्षक को वहां पदस्थ किया जाए, जहां एक भी ​शिक्षक नहीं है।
 अध्यक्ष, मप्र ​शिक्षक कांग्रेस

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