कोर्ट के आदेश पर शिला पटि्टका को ढंकने पहुंचे अफसरों पर गुर्जर युवकों ने किया पथराव, आंसू गैस के गोले छोड़, ASP को पत्थर लगे

सम्राट मिहिर जाति विवाद पर हाईकोर्ट का आदेश…

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ के आदेश के बाद मिहिर भोज जाति विवाद फिर सुलग उठा। शनिवार रात शिला पटि्टका काे ढंकने पहुंचे प्रशासन का गुर्जर समाज के लोगों ने विरोध शुरू कर दिया। यही नहीं प्रशासन और पुलिस पर पथराव किया। स्थिति को काबू करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े। मौके पर एडिशनल एसपी हितिका वासल, एएसपी सत्येंद्र सिंह तोमर, एएसपी राजेश दंडोतिया, सीएसपी नागेंद्र सिंह सिकरवार ​​​​​, थाना प्रभारी झांसी रोड आसिफ मिर्जा बेग, कंपू थाना प्रभारी राम नरेश यादव मौके पर पहुंच गए। इस दौरान एएसपी राजेश दंडोतिया घायल भी हो गए। उनके पैर में पत्थर लगे हैं। प्रशासन ने शिला पटि्टका को चारों ओर टीन से ढंक दिया। इलाके में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है। तनाव बना हुआ है।

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने सम्राट मिहिर भोज की जाति विवाद मामले में कमिश्नर की अध्यक्षता में कमेटी गठित करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने शनिवार को कहा है कि शिला पट्टिका विवाद का कारण बनी है, इसलिए कमेटी की रिपोर्ट आने तक शिला पटि्टका को ढंक कर रखा जाए। मिहिर भोज की वीरता और उनके कार्यों से प्रेरणा लेने के लिए मूर्ति को खुला रखें। कोर्ट ने यह भी कहा है कि दोनों समाज के लोगों से संयम बरतने की उम्मीद की जाती है। प्रशासन भी सार्वजनिक स्थान पर कानून व्यवस्था बनाए रखे। मामले में अगली सुनवाई अब 20 अक्टूबर को होगी।

स्थिति को नियंत्रण में करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े।
स्थिति को नियंत्रण में करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े।

ग्वालियर के समाजसेवी राहुल साहू ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। उनकी ओर से कोर्ट में तर्क दिया गया कि सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा को लेकर दो समाजों में विवाद चल रहा है। इससे शहर में लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति बिगड़ रही है।

प्रशासन की ओर से पैरवी करते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता ने तर्क दिया कि नगर निगम ने प्रतिमा लगाने का जो प्रस्ताव पास किया था, उसमें सम्राट मिहिर भोज ही लिखा गया था। इस विवाद को खत्म करने के लिए चार सदस्यीय कमेटी बना दी है। कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। क्षत्रिय समाज की ओर से अधिवक्ता सुरेश अग्रवाल ने तर्क दिया कि सम्राट मिहिर भोज ही लिखा जाना चाहिए। इस नाम पर कोई आपत्ति नहीं है। कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद आदेश के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया था। शनिवार को कोर्ट का आदेश आ गया।

कोर्ट के आदेश के मेन पॉइंट्स

  • कमेटी में संभागायुक्त और पुलिस महानिरीक्षक को शामिल किया जाए। संभागायुक्त कमेटी के अध्यक्ष होंगे और आईजी उपाध्यक्ष। कमेटी में एक सदस्य गुर्जर समाज व एक क्षत्रिय समाज का सदस्य लिया जाए। फिर भी कोई विवाद होता है तो गुर्जर समाज का अधिवक्ता आरवीएस घुरैया व क्षत्रिय समाज का अधिवक्ता डीपी सिंह प्रतिनिधित्व करेंगे।
  • कमेटी ठोस सबूत व साहित्य के आधार पर ऐतिहासिकता का पता लगाएगी। साथ ही इस पर भी विचार करेगी कि सार्वजनिक स्थान पर राष्ट्रीय नायक की मूर्ति के सामने जाति प्रयोग किया जा सकता है। देश में लगी सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमाओं के संबंध में भी मार्गदर्शन लेगी। साथ ही समय पर सुप्रीम कोर्ट ने दिए संवैधानिक सिद्धांत व आदेशों पर भी विचार करेगी। बंद लिफाफे में रिपोर्ट पेश की जाएगी।
  • कमेटी की रिपोर्ट आने तक शिला पट्टिका को ढंका जाए, जो दो समाजों को बीच विवाद का कारण बनी है। कोर्ट ने दोनों समाज के बुजुर्ग लोगों से उपेक्षा की है कि वह लोगों को समझाएं।

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