Hathras Stampede का असली जिम्मेदार कौन?

Hathras Stampede का असली जिम्मेदार कौन? SIT की जांच रिपोर्ट में हुए ये 5 बड़े खुलासे
Hathras Stampede News : यूपी की हाथरस घटना में मची भगदड़ का असली जिम्मेदार कौन है? इसे लेकर एसआईटी की जांच रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है। जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दे दी है। इस मामले में पुलिस ने 2 महिलाओं समेत 6 सेवादारों को गिरफ्तार किया।
Hathras stampede News

हाथरस घटना पर एसआईटी ने सरकार को सौंपी जांच रिपोर्ट।

Hathras Stampede Incident : उत्तर प्रदेश की हाथरस घटना को लेकर पुलिस हर एंगल पर जांच पड़ताल कर रही है। स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) ने सरकार को अपनी जांच रिपोर्ट सौंप दी है। ये हादसा कैसे हुआ और इसके लिए कौन जिम्मेदार है? इसे लेकर जांच रिपोर्ट में बड़ा खुलासा किया गया। आइए जानते हैं कि एसआईटी की रिपोर्ट में कौन से 5 बड़े खुलासे किए गए हैं।

आपको बता दें कि हाथरस में मंगलवार को अचानक से लोगों में अफरातफरी मच गई थी, जिसमें 121 लोगों की मौत हो गई, जबकि अभी भी कई घायलों का अस्पताल में इलाज चल रहा है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने घटनास्थल का दौरा किया, जबकि नेता प्रतिपक्ष और सांसद राहुल गांधी ने शुक्रवार को पीड़ितों से मुलाकात की और उनका हालचाल जाना।

SIT की जांच रिपोर्ट में हुए ये बड़े खुलासे

1. हाथरस सत्संग में लापरवाही और बदइंतजामी की वजह से भगदड़ मची थी। आयोजकों ने परमिशन मांगने के दौरान कहा था कि धार्मिक कार्यक्रम में पूरे इंतजाम रहेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
2. भोले बाबा के सत्संग में अधिकांश नए अनुयायी आए हुए थे। भीड़ भोले बाबा को देखने के लिए आगे बढ़ी और धक्कामुक्की होने से अफरातफरी मच गई।
3. एसआईटी ने इस घटना के लिए स्थानीय प्रशासन को भी जिम्मेदार माना है। अधिकारियों ने सत्संग स्थल का दौरा नहीं किया था। ऐसे में वे स्थिति का आकलन नहीं कर पाए और यह घटना घट गई।

4. अधिकतर पुलिसकर्मी सत्संग स्थल के बाहर तैनात थे। वे सड़क पर भीड़ नियंत्रित और ट्रैफिक की व्यवस्था पर ही लगे रहे, ताकि हाईवे पर गाड़ियों की कतार न लगे।
5. जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट में सत्संग स्थल पर मौजूद पुलिसकर्मियों और आयोजकों से पूछताछ करने की बात की है। एसआईटी का मानना है कि आयोजन समिति ने पुलिस प्रशासन को पहले से तथ्यों के बारे में अवगत नहीं कराया था।

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‘मैं जा रहा हूं, आज प्रलय आएगी’; क्या बाबा को पहले था Hathras Stampede का अंदेशा?
Hathras Case : यूपी की हाथरस घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। सरकार इस मामले को लेकर काफी सख्त है। हादसे के बाद बाबा का कोई अता-पता नहीं है। हाथरस केस को लेकर चर्चाएं हो रही हैं कि क्या बाबा को भगदड़ मचने के बारे में पहले से अंदेशा था?
 यूपी के हाथरस में मची भगदड़ में अबतक 121 लोगों की जान चली गई। जहां एसआईटी ने शुक्रवार को शासन को अपनी जांच रिपोर्ट सौंप दी तो वहीं एडीजी आगरा और अलीगढ़ कमिश्नर की अध्यक्षता में गठित टीम ने डीएम-एसएसपी समेत 100 लोगों के बयान दर्ज किए। पुलिस ने अबतक 2 महिलाओं समेत 6 सेवादारों को गिरफ्तार किया। हालांकि, सत्संग में प्रवचन देने वाला भोला बाबा अभी भी फरार है। इस बीच कुछ अनुयायियों ने बाबा को लेकर बड़ा बयान दिया।

अनुयायी ने बाबा को लेकर किया बड़ा खुलासा

भोला बाबा का असली नाम सूरजपाल है। वह बाबा नारायण हरि उर्फ ​​साकार विश्व हरि के नाम से भी फेमस है। अब बड़ा सवाल उठता है कि क्या बाबा को पहले से अंदेशा था कि सत्संग में भगदड़ मचने वाली है। इसे लेकर 15 साल के एक अनुयायी कमलेश ने द टाइम्स ऑफ इंडिया को दी बाइट में दावा किया कि प्रवचन खत्म करने के बाद भोले बाबा ने फिर से माइक पकड़ा और कहा कि अब मैं जा रहा हूं, आज प्रलय आएगी।

क्या बाबा को पहले से था अंदेशा?

इस अनुयायी के बयान से स्पष्ट है कि बाबा को इस घटना के बारे में पहले से अंदेशा था। यह भी मान लें कि बाबा को भगदड़ के बारे में पहले से अंदेशा नहीं था तो उनके जाने के बाद ही यह घटना क्यों घटी? जब तक वे कार्यक्रम स्थल से नहीं चले गए, तब तक कोई अराजकता नहीं थी। हालांकि, इस हादसे के बाद भी कई अनुयायियों का विश्वास कम नहीं हुआ है।

हादसे के बाद भी अनुयायियों की आस्था नहीं हुई कम

अनुयायी हिमांशु ने कहा कि अगर बाबा का आशीर्वाद न होता तो वह विश्वविद्यालय में पढ़ाई नहीं कर पाता। हाथरस सत्संग में सुरक्षित बचकर निकलने वाली 33 वर्षीय सीमा वकील बाबा को इंसान नहीं, बल्कि ईश्वर के दूत मानती हैं। उन्होंने कहा कि मरने से पहले उसकी बड़ी बहन ने उसे बाबा से मिलवाया था, तब से वह लगातार पिछले 9 साल से बाबा का अनुसरण कर रही हैं।

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हाथरस पूछ रहा प्रशासन, स्वास्थ्य मंत्री, जनता और सरकार से 24 सवाल, कौन देगा जवाब?
उत्तर प्रदेश में हाथरस के सत्संग में 123 लोगों की जान चली गई. अब सवाल वही कि हाथरस में जो लोग कल मारे गये उसका जिम्मेदार कौन है.

 दर्द ,जख्म ,आंसू ,परेशानी ,नाराजगी और गुस्सा हाथरस का हादसा इतना बड़ा है कि ये तमाम शब्द छोटे पड़ चुके हैं. हंसते खेलते सैकड़ों परिवार में मौत का मातम है. किसी ने बहन को खोया है तो किसी की मां और किसी की बेटी हमेशा हमेशा के लिए दूर चली गई है.

सवाल ये कि हाथरस में जो हुआ उसका जिम्मेदार कौन है ? कौन हैं वो लोग जिन्होंने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई और सौ से ज्यादा लोगों की मौत की वजह बन गए. पुलिस की जांच जारी है. सूबे के आला अधिकारी कल से ही हाथरस के फुलरई गांव में हैं. सीएम योगी आदित्यनाथ भी दोपहर को हाथरस पहुंचे. घटनास्थल पर गये. पूरी रिपोर्ट ली और घायलों से मिले.

FIR में क्या है?
सवाल फिर वही कि हाथरस में जो लोग कल मारे गये उसका जिम्मेदार कौन है? पुलिस ने जो एफआईआर दर्ज की है उसमें आयोजकों पर जिम्मेदारी डाली है. 
 
एफआईआर के अनुसार कार्यक्रम के मुख्य प्रवचन कर्ता सूरजपाल उर्फ भोले बाबा प्रवचन के बाद गाड़ी से जा रहे थे तब लोगों ने गाड़ी गुजरने के रास्ते से धूल समेटना शुरू कर दिया. कार्यक्रम स्थल से निकल रही भीड़ के दबाव के कारण नीचे बैठे और झुके श्रद्धालु दबने कुचलने लगे. जीटी रोड के दूसरी ओर लगभग तीन मीटर गहरे खेतों में भरे पानी एवं कीचड में बेतहाशा दबती कुचलती भागती भीड को आयोजन समिति और सेवादारों ने डंडों से जबरदस्ती रोक दिया जिसके कारण दवाब बढ़ा और लोग कुचलते चले गये.

ये हैं वो सवाल जिनके जवाब का इंतजार-
– सवाल ये कि क्या हाथरस का प्रशासन भीड़ का अंदाजा नहीं लगा सका ?
– भीड़ ज्यादा जुटी तो प्रशासन ने रोकने के कोशिश क्यों नहीं की ?
– 80 हजार की परमिशन तो 2.5 लाख लोग कैसे पहुंच गए ?
– ज्यादा भीड़ जुटी तो आला अधिकारियों को जानकारी दी या नहीं ?
– भीड़ की सुरक्षा और भगदड़ रोकने के लिए इंतजाम क्यों नहीं किये थे ?

प्रशासन से सवाल

1. 80 हजार की परमिशन 2.5 लाख की भीड़ कैसे जुटी? 

2. साकार हरि के सेवादारों के सहारे 2.5 लाख लोगों को क्यों छोड़ा?

3.FIR में बाबा साकार हरि का नाम क्यों नहीं?

4. करीब 2 बजे घटना के बाद बाबा मैनपुरी गया, क्यों नहीं रोका? 

5. बाबा को हाथरस से मैनपुरी जाने में लगे होंगे 3 घंटे, क्या आप सोते रहे?

6. 24 घंटे से बाबा को पकड़ पाने में यूपी पुलिस क्यों है नाकाम?

सरकार से सवाल
1. हर बार लाखों की भीड़ जुटती है सरकार ने गाइडलाइंस क्यों नहीं तय की?

2.बिना इंतजामों के ऐसे बड़े आयोजन की परमिशन क्यों मिल जाती है?

3.पहले हुए इस तरह के हादसों से सबक क्यों नहीं लिया जाता?

4. सिर्फ आयोजकों पर कार्रवाई से क्या 121 मौतों के जख्म भरे जा सकते हैं? 

 स्वास्थ्य मंत्री से सवाल
1. 24 घंटे से ज्यादा का वक्त बीता, आपकी चुप्पी की वजह क्या?

2.हादसे के 24 घंटे बीतने के बाद भी आप हाथरस क्यों नहीं गए?

3.अस्पताल की दयनीय स्थिति के काऱण लोग मरे, आप फिर भी चुपचाप देखते रहे?

4.अस्पताल में डॉक्टर, दवा, ऑक्सीजन कुछ नहीं था, आपने देखा क्या?

जनता से सवाल
1.अंधविश्वास की जद में आकर कब तक जान गंवाएंगे?

2.आधुनिक युग में ढोंगी बाबाओं के चंगुल में कब तक फंसते रहेंगे?

3.121 लोग बाबा के लिए मर गए, उसने अब तक एक शब्द भी क्यों नहीं बोला?

4.क्या किसी के पैरों की धूल आपकी जान से ज्यादा कीमती है?

5.क्या सूरजपाल उर्फ भोले बाबा मृतकों के परिवार बोझ उठाएगा? 
 
हाथरस का खुफिया विभाग क्या कर रहा था ?
ये वो सवाल हैं जिसका जवाब देश जानना चाहता है. ये तो रही कार्यक्रम स्थल की तैयारी की बात. सवाल तो इस बात का भी है कि जब लोग भीड़ में गिरने और दबने कुचलने लगे तब पुलिस और प्रशासन की टीम कहां थी? सवाल उठने के बाद पुलिस अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं. सोशल मीडिया पर बाबा के कार्यक्रमों के जो पुराने वीडियो मौजूद हैं उसमें साफ तौर पर दिख रहा है कि लाखों की भीड़ जुटती है. तो फिर हाथरस का खुफिया विभाग क्या कर रहा था ?

ऐसा नहीं है कि जिम्मेदारी निभाने में सिर्फ पुलिस और प्रशासन फेल रहा. हाथरस कांड में लापरवाही का मानो चक्रव्यूह सा रचा गया था. पुलिस,प्रशासन ,स्वास्थ्य विभाग और आयोजक.इन चारों की लापरवाही के चक्रव्यूह में फंस कर सौ से ज्यादा महिला, पुरुष और बच्चों की जान गई. 

और बात सिर्फ लापरवाही ही की नहीं है. आगरा के जिला अस्पताल में भर्ती घायल महिला के पति ब्रजमोहन जो बता रहे हैं वो अलग ही एंगल दे रहा है. ब्रजमोहन दावा कर रहे हैं कि शुरुआत में 10- 15 बाहरी लोगों ने धक्का मुक्की की..ये बाहरी लोग कौन थे. ये बाबा से जुड़े लोग थे, प्रशासन से जुड़े थे या फिर कोई और ? बाबा के सत्संग में शीला मौर्या नाम की महिला कांस्टेबल की ड्यूटी लगी थी.. घाय़ल शीला अस्पताल में भर्ती हैं और जो बता रही हैं वो अलग ही कहानी है.

शीला मौर्य ने कहा कि भगदड़ नहीं मची थी, आंखों के सामने अचानक से अंधेरा छा गया मैं गिर गई. शीला की आंखों के सामने अंधेरा क्यों छाया इसकी क्या वजह हो सकती है ये जांच में ही सामने आएगा.

….न्यूज की पड़ताल में घटना को लेकर जो बातें सामने आई हैं उसमें मुख्य रूप से 3 चीजें प्रमुख हैं 

पहली तो ये कि चरणों की धूल के लिए लोग झुके थे भीड़ को बाबा के सेवादारों ने रोका और भगदड़ मच गई.

दूसरी ये कि चश्मदीद बता रहे हैं कि 10-15 लोगों ने धक्का मुक्की की जिससे भगदड़ मची.

तीसरी ये जो महिला कांस्टेबल बता रही हैं कि आंखों के सामने अंधेरा छा गया .

सवाल बाबा पर भी
हाथरस हादसे को लेकर आयोजक पर तो सवाल उठ ही रहे हैं. सवाल बाबा पर भी है. पुलिस आयोजकों को तलाश रही है.सिर्फ आयोजकों को जिम्मेदार ठहराकर जिम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड़ा जा सकता है. 

हाथरस हादसे के चक्रव्यूह का एक हिस्सा भर हैं आयोजक. जिम्मेदारी प्रशासन, पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की भी तो बनती है. अब सवाल ये कि इन विभागों में जो लोग जिम्मेदार पदों पर बैठे हैं.. जिनकी जिम्मेदारी थी सब कुछ सही से कराने की वो क्या कर रहे थे 

प्रशासन- पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की. कमियां तीनों जगह है. कल जिस जगह सत्संग सुनने के लिए लोगों की भीड़ लगी थी आज बारिश की वजह से वहां पानी भरा हुआ है. गुस्साए कुछ लोगों ने बाबा के पोस्टर पर ईंट पत्थर फेंके हैं. 

कहां हैं बाबा के सेवादार?
बाबा के इस कार्यक्रम का आयोजन जिन लोगों ने किया था उनके नाम कार्यक्रम स्थल के पास लगे पोस्टर पर लिखे हुए हैं

देव प्रकाश मधुकर ,महेश चंद्र ,अनार सिंह ,संजू यादव ,चंद्र देव ,राम प्रकाश

एबीपी न्यूज के रिपोर्टर ने हाथरस से लेकर एटा तक इन आयोजकों की तलाश की. घर घर गये, बात करने की कोशिश की लेकिन सबके फोन ऑफ मिले. ज्यादातर आयोजक हाथरस के दमदपुरा मोहल्ले के रहने वाले हैं. सिर्फ अनार सिंह की पत्नी से मुलाकात हुई.

अनार सिंह की पत्नी ने बताया कि मुख्य आयोजक देव प्रकाश मधुकर था. हमारी टीम मधुकर के घर पहुंची तो वहां ताला लगा था. देव प्रकाश मधुकर ग्राम पंचायत में सचिव है और परिवार के साथ ही कल सुबह से इसका पता नहीं है.

न बेड, बिस्तर, स्ट्रेचर
एफआईआर में देव प्रकाश मधुकर को पुलिस ने भी मुख्य आरोपी बनाया है. पुलिस की एफआईआर के मुताबिक करीब 80 हजार लोगों के जुटने की इजाजत मांगी गई थी. लेकिन ढाई लाख से ज्यादा लोग कार्यक्रम में पहुंच गये.

 2.5 लाख के पुलिस के दावे की पुष्टि करता है ये वीडियो. हो सकता है 2.5 लाख से भी ज्यादा की भीड़ रही हो.. क्योंकि बताया जा रहा है कि 3 किलोमीटर तक जाम की स्थिति बनी हुई थी.

सवाल तो ये भी है कि जब इतनी भीड़ जुट गई थी तो फिर प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने स्थानीय स्तर पर तैयारी क्यों नहीं की थी? कल जब लाशों को अस्पताल लाया गया तो किसी को टैंपो में लाया तो किसी को पिकअप वैन में.अस्पताल में भी न तो डॉक्टरों की तैयारी थी.. न बेड, बिस्तर, स्ट्रेचर की. लाशें बरामदे में पड़ी हुई थी.

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