ग्वालियर : निगम में मनमाने प्रभारों ? अयोग्य अफसरों को बड़े पदों से नहीं हटाने पर हंगामा

साधारण सम्मेलन में विपक्ष का हंगामा:जनता की आवाज उठाने पर नोटिस पर भी विवाद

निगम में मनमाने प्रभारों पर बोले पार्षद- जब तक फैसला नहीं विरोध जारी रहेगा, चाहे भेज दो जेल

नगर निगम में भृत्य को कर संग्रहक, सिविल इंजीनियर को मैकेनिकल, इंजीनियरों को उपायुक्त जैसे प्रभार दिए जाने से विपक्ष में बैठे भाजपा के पार्षदों ने हंगामा मचाया। वे सभी उठकर सभापति मनोज तोमर की आसंदी को घेरकर खड़े हो गए। नेता प्रतिपक्ष हरीपाल सहित पार्षदों ने सभापति से कहा कि जब तक सिस्टम में सुधार करने का फैसला नहीं होगा। विपक्ष का विरोध रहेगा। चाहे तो हमें पुलिस बुलाकर जेल पहुंचा दो। वे फिर धरना देने के लिए बैठ गए। भाजपा पार्षदों के नहीं मानने पर सभापति ने साधारण सम्मेलन 12 जुलाई दोपहर 3 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।

जल विहार स्थित निगम परिषद में साधारण सम्मेलन में सभापति ने एजेंडे पर चर्चा कराने की बात कही। उनकी बात का समर्थन सत्ता पक्ष कांग्रेस के पार्षदों ने किया। स्थगन पर चर्चा के दौरान पार्षद बृजेश गुप्ता ने कहा कि भृत्य को बाबू, इंजीनियरों को उपायुक्त, सिविल ​इंजीनियर को मैकेनिकल काम दिया जा रहा है। नेता प्रतिपक्ष हरीपाल ने कहा कि अधिकारी आयुक्त को गुमराह कर रहे हैं। ये कहते हुए नेता प्रतिपक्ष और विपक्ष के पार्षद आसंदी घेरने पहुंच गए।

सभापति के फैसले… {पार्षद राठौर ने हाउसिंग बोर्ड की संपत्ति क्रय ​की है। वह 2 बार पहले बिक चुकी है। बिना प्रारंभिक जांच के नोटिस दिया जाना गरिमा के खिलाफ है। आयुक्त 15 दिन में दोषी अधिकारी पर कार्रवाई कर सदन को अवगत कराएं। {मुरार नदी के बिंदुओं को सात दिन में आयुक्त केंद्र सरकार को पहुंचाने की कार्रवाई करें।

मुरार नदी: भाजपा-कांग्रेस के पार्षद आमने सामने, आरोप लगाए
नमामि गंगे प्रोजेक्ट को लेकर आयुक्त हर्ष सिंह ने परिषद को बताया कि अभी तक ~4 करोड़ खर्च हुए हैं। स्थगन में मुख्य बिंदु में मुरार नदी पर सत्ता-विपक्ष के पार्षद आमने-सामने आ गए। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि महापौर को अपने अधिकारों का उपयोग करना चाहिए। एमआईसी सदस्य अवधेश कौरव ने कहा कि ग्वालियर निगम के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। केंद्रीय मंत्री ने बैठक में सांसद को नहीं बुलाया, ऐसा काम भाजपा में हो सकता है।

एजी आफिस पुल का नाम छत्रपति शिवाजी के नाम होगा

बैठक के दौरान शहर में बनने वाले नए भवनों और पुराने रेल ओवर ब्रिज के नाम महापुरुषों के नाम पर रखने का फैसला सभापति मनोज तोमर ने दिया। एजी ऑफिस पुल का नाम छत्रपति शिवाजी, नए आरओबी का नाम महाराजा मानसिंह तोमर, नए परिषद भवन का नाम पूर्व महापौर माधव शंकर इंद्रापुरकर, अवार्डपुरा पार्क का नाम पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर रखा जाएगा। गोला का मंदिर के पास बनने वाले सेंटर का नाम पूर्व महापौर अरुण सेन्या के नाम पर रखा जाएगा। साथ ही प्रतिमाओं की नियमित सफाई की बात कही।

इनका पद भृत्य, संभाल रहे हैं जिम्मेदारी:

{सुधीर पांडे, कर संग्राहक {विक्रम तोमर, एएचओ {सुरेश हाकिम सिंह जनमित्र प्रभारी {श्रीकांत सेन, मदाखलत निरीक्षक {ऋषि कुमार, कर संग्राहक {रहीस खां, लिपिक {किरण माहौर, लिपिक {गीता कुशवाह, लिपिक }नोट: पार्षद बृजेश श्रीवास ने ऐसे 84 लोगों की सूची परिषद में दिखाई। जिन्हें मनमाफिक प्रभार नगर निगम में दिए गए। ये अपना मूल काम छोड़कर दूसरे विभागों में काम कर रहे हैं। मप्र सेटअप 2015 में भी नगर निगमों में पद दिए हैं। उसी हिसाब से वेतन निकालने के आदेश हैं।

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 अयोग्य अफसरों को बड़े पदों से नहीं हटाने पर हंगामा, विपक्ष बोला-नहीं चलने देंगे परिषद
नगर निगम परिषद की बैठक में गुरुवार को पदेन व्यवस्था को लेकर पूर्व में किए गए ठहराव का पालन न होने पर पार्षद हमलावर नजर आए। पार्षदों का कहना था कि नगर निगम में अयोग्य व्यक्तियों को महत्वपूर्ण पदों पर बैठाया गया है। परिषद में नेता प्रतिपक्ष हरिपाल ने कहा कि ठहराव होने के बावजूद अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं हो रही है। ये हठधर्मिता क्यों की जा रही है।
Gwalior council meeting News: अयोग्य अफसरों को बड़े पदों से नहीं हटाने पर हंगामा, विपक्ष बोला-नहीं चलने देंगे परिषदनिगम मीटिंग में सभापति की आसंदी का घेराव करते पार्षद
  1. ठहरावों का पालन न होने पर बोले नेता प्रतिपक्ष-ये हठधर्मिता हो रही है
  2. पूर्व में किए गए ठहराव का पालन न होने पर पार्षद हमलावर नजर आए
  3. विपक्षी पार्षदों ने इस मुद्दे को लेकर आसंदी का घेराव कर दिया

ग्वालियर। नगर निगम परिषद की बैठक में गुरुवार को पदेन व्यवस्था को लेकर पूर्व में किए गए ठहराव का पालन न होने पर पार्षद हमलावर नजर आए। पार्षदों का कहना था कि नगर निगम में अयोग्य व्यक्तियों को महत्वपूर्ण पदों पर बैठाया गया है। पूर्व में भी इस मामले में आसंदी से सभापति मनोज सिंह तोमर ने ठहराव पारित किया था, लेकिन निगमायुक्त ने इसका पालन नहीं किया है।

परिषद में नेता प्रतिपक्ष हरिपाल ने कहा कि ठहराव होने के बावजूद अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं हो रही है। ये हठधर्मिता क्यों की जा रही है। विपक्षी पार्षदों ने इस मुद्दे को लेकर आसंदी का घेराव कर दिया और कहा कि जब तक पदेन व्यवस्था, सफाई व्यवस्था और कार्यशाला को लेकर किए गए ठहरावों का पालन नहीं होता है, तब तक वे परिषद नहीं चलने देंगे। इसके बाद सभापति ने बैठक को शुक्रवार दोपहर तीन बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।

इससे पहले बैठक की शुरूआत में सभापति ने एजेंडा पर चर्चा करने के लिए कहा, लेकिन विपक्षी पार्षद अनिल सांखला ने पार्षदों द्वारा लगाए गए स्थगन पर चर्चा कराने की मांग की। विपक्षी पार्षदों ने इसका समर्थन किया, जिसके बाद सभापति ने स्थगन पर चर्चा कराने की अनुमति दी।

इसमें पहला स्थगन शहर में कई भवनों और सड़कों का नामकरण महापुरुषों के नाम पर करने के साथ ही उनकी प्रतिमाएं लगाने की मांग की गई। इस पर एमआइसी सदस्य अवधेश कौरव ने कहा कि पूर्व में भी इस मामले में ठहराव हो चुके हैं, लेकिन उनका पालन नहीं हुआ है।

वहीं पार्षद सुरेश सोलंकी ने महात्मा फुले और सावित्री बाई फुले की प्रतिमा लगाने की मांग की। इसी प्रकार अन्य पार्षदों ने भी अपने-अपने वार्डों में महापुरुषों की प्रतिमाएं लगाने की मांग की। इस पर सभापति ने निर्देश दिए कि पूर्व के ठहराव के साथ ही अन्य मांगों पर भी विचार किया जाएगा। इसके बाद मुरार स्थित बैसली नदी को नमामि गंगे मिशन के तहत साफ करने के प्रोजेक्ट पर चर्चा हुई। विपक्षी पार्षदों ने मांग की कि इस काम में कई विसंगतियां हैं।

पहले चरण में 32 करोड़ रुपए खर्च होने के बावजूद कोई काम नहीं हो पाया है। ऐसे में इस प्रोजेक्ट की निगरानी के लिए पार्षदों की एक कमेटी बना दी जाए। इस पर एमआइसी सदस्य अवधेश कौरव ने कहा कि कमेटी बनाने से थू-थू हो जाएगी, क्योंकि इस प्रोजेक्ट में सिर्फ नगर निगम को समन्वय का काम दिया गया है। विपक्षी पार्षद गिर्राज कंसाना ने कहा कि समिति बनाने पर आपत्ति क्यों है। महापौर भी देखने जाएं कि प्रोजेक्ट में चल क्या रहा है या फिर महापौर को यह चिंता ही नहीं है कि शहर में क्या हो रहा है।

इस पर सत्ता पक्ष का कहना था कि कांग्रेस की महापौर होने के कारण नगर निगम में सौतेला व्यवहार हो रहा है। खुद केंद्रीय मंत्री ने शहर में गुपचुप बैठक ली और सांसद को बुलाया तक नहीं। जब उनकी ही पार्टी में यह चल रहा है तो महापौर को कौन पूछेगा।

 

पार्षदों के भवनों को नोटिस देने का मामला गर्माया

बैठक में पार्षद देवेंद्र राठौर ने कहा कि उन्होंने पीएम आवास योजना की जांच शुरू की, तो निगम के अधिकारियों ने उनके मकान को अवैध बताकर नोटिस दे दिया। उनका कहना था कि मैंने हाउसिंग बोर्ड से 470 वर्गफीट का मकान खरीदा, जो पहले भी दो बार बिक चुका था। मैं उस मकान की तीसरा मालिक हूं। इसके बावजूद छह हजार वर्गफीट जमीन पर कब्जा बताकर मुझे नोटिस दिया गया। उपायुक्त अतिबल सिंह यादव ने तोड़फोड़ की कार्रवाई के लिए पुलिस बल भी मांग लिया, जबकि उनकी यशोदा रेजीडेंसी में भागीदारी है। उन्होंने समाज विशेष के लोगों को नौकरी पर लगवाया है। नाम बदलकर मकानों की रजिस्ट्री कराई है।

 

वहीं पार्षद मोहित जाट ने कहा कि जो अधिकारियों के खिलाफ आवाज उठाएगा, उसे नोटिस जारी किए जाएंगे। वहीं पार्षद ब्रजेश श्रीवास का कहना था कि ये गलत परिपाटी चल रही है। नारायण विहार में एक मकान को मेरा बताया गया और आसपास अवैध निर्माण होने के बावजूद सिर्फ एक आदमी का मकान तोड़कर उसका 50 लाख का नुकसान कर दिया गया। इस पर सभापति ने निगमायुक्त को निर्देश दिए कि 15 दिन के अंदर पार्षद देवेंद्र राठौर के प्रकरण की जांच कर दोषी अधिकारी पर कार्रवाई करें।

 

नए भवन को परिषद की मंजूरी

 

 

बैठक में नेता प्रतिपक्ष हरिपाल ने कहा कि मेयर इन काउंसिल ने नए परिषद भवन को मंजूरी दे दी है, लेकिन यह प्रस्ताव अभी परिषद में नहीं आ पाया है। ऐसे में इस प्रस्ताव को संज्ञान में लेकर मंजूरी दी जाए, ताकि नए परिषद भवन का काम शुरू हो सके। परिषद में बताया गया कि नए परिषद भवन के लिए मैसर्स भवानी प्रसाद शर्मा की न्यूनतम दर 18.69 करोड़ रुपए आई है, जबकि जीएसटी सहित यह राशि कुल 22.06 करोड़ रुपए है। इसके लिए पार्षदों ने भी अपनी मौलिक निधि से राशि देने की घोषणा की थी। ऐसे में इस प्रोजेक्ट की व्यय स्वीकृति दी गई, ताकि काम जल्दी शुरू हो सके

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