एमपी के अफसर-कर्मचारी समय पर ऑफिस नहीं पहुंचते ?

एमपी के अफसर-कर्मचारी समय पर ऑफिस नहीं पहुंचते
लेट आने-जल्दी जाने पर बोले- दिनभर थोड़े ही बैठे रहेंगे …

सरकारी दफ्तरों में कर्मचारियों के आने-जाने के समय का रियलिटी चेक किया …

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समय पर कार्यालय नहीं पहुंच रहे अधिकारी

सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि प्राय: यह देखने में आ रहा है कि कार्यालयों में निर्धारित समयावधि का पालन नहीं हो रहा है। अधिकतर कर्मचारी सुबह 10 बजे कार्यालय नहीं पहुंचते हैं। इससे कार्य प्रभावित होता है। इसे देखते हुए सभी वरिष्ठ अधिकारियों से कहा गया है कि वे निर्धारित समय सीमा का पालन सुनिश्चित कराएं।

सुबह 10 बजे भोपाल का कोलार तहसील कार्यालय लगभग खाली मिला। जो इक्का-दुक्का लोग थे, उन्होंने कैमरा देखते ही दरवाजा बंद कर दिया। साहब और कर्मचारियों के आने का पूछा तो बोले- सब 11 बजे तक आते हैं। दूसरा मामला ग्वालियर नगर निगम कार्यालय का है। कर्मचारी साढ़े पांच बजे ऑफिस से जाने लगे। कारण पूछने पर जवाब दिया- दिनभर थोड़े ही बैठे रहेंगे।

ये मामले सरकारी दफ्तर के सुबह 10 से शाम 6 बजे तक खोलने के आदेश की धज्जियां उड़ाने की बानगी भर हैं। ……. के  रिपोर्टर्स ने ….. जिलों में डॉ. मोहन सरकार के आदेश के पालन को लेकर रियलिटी चेक किया। अधिकांश विभागों में न तो कर्मचारी समय पर आते हैं और न ही अधिकारी। ऑफिस टाइम में चेंबर सूने और कुर्सियां खाली रहती हैं।

भोपाल, एसडीएम ऑफिस: सुबह 10 बजे, कैमरा देख दरवाजा बंद

सुबह 10 से 11 के बीच कोलार एसडीएम ऑफिस, नगर निगम ऑफिस और कोलार तहसील कार्यालय में कुर्सियां खाली थीं। कोलार में जोन 19 के ऑफिस में सुबह 10.15 बजे कमरे खुले मिले, उनमें कोई नहीं था। इक्का-दुक्का कर्मचारी मौजूद रहे। तहसील कार्यालय में कैमरे देखते ही दरवाजा बंद कर दिया गया। बताया गया कि सभी कर्मचारी 11 बजे के बाद आते हैं। कृषि विभाग में भी कुर्सियां खाली थीं। सभी जगह कर्मचारी देर से आते हैं और जल्दी निकल जाते हैं।

कोलार एसडीएम और तहसील ऑफिस की ही बिल्डिंग में नगर निगम के जोन-19 का ऑफिस है, जहां सुबह साढ़े 10 बजे कुर्सियां खाली नजर आईं।
कोलार एसडीएम और तहसील ऑफिस की ही बिल्डिंग में नगर निगम के जोन-19 का ऑफिस है, जहां सुबह साढ़े 10 बजे कुर्सियां खाली नजर आईं।

ग्वालियर, नगर निगम ऑफिस: कर्मचारी बोला- दिनभर थोड़े ही बैठेंगे

पड़ाव स्थित नगर निगम जोन 6 के जनमित्र केंद्र में शाम 5.30 बजे पांच में से दो कर्मचारी चले गए थे। पूछने पर जनमित्र केन्द्र के प्रभारी राजेश सोनी बोले- सुबह 10 बजे के आए हैं। 4 बजे पोर्टल बंद हो जाता है। दिन भर थोड़े ही बैठेंगे।

सुबह 10.10 बजे सिविल हॉस्पिटल की ओपीडी व चेंबर में डॉक्टर ही नहीं मिले। बाहर मरीजों की लाइन थी। पूछने पर हजीरा सिविल अस्पताल के इंचार्ज डॉक्टर मसौरिया का जवाब मिला कि कुछ डॉक्टर छुट्‌टी पर हैं। कुछ ट्रेनिंग में गए हैं। डॉक्टर राउंड पर हैं।

ग्वालियर में निगम के क्षेत्रीय कार्यालय में शाम 6 बजे से पहले ही उपयंत्री का कार्यालय बंद पड़ा है।
ग्वालियर में निगम के क्षेत्रीय कार्यालय में शाम 6 बजे से पहले ही उपयंत्री का कार्यालय बंद पड़ा है।

जबलपुर, खाद्य विभाग: सुबह 10 बजे, कर्मचारी बोला- आज ही लेट हो गए

खाद्य विभाग के कार्यालय में सुबह 10 बजे कोई भी मौजूद नहीं था। हां, लाइट, पंखे और कम्प्यूटर जरूर चालू मिले। कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारियों के कमरे में तो सुबह साढ़े 10 बजे तक ताला लगा रहा।

इधर, आबकारी विभाग के ऑफिस में भी यही आलम था। मौजूद एलडीसी महिला कर्मचारी ने बताया कि रोजाना 10 बजे तक सभी लोग आ जाते हैं, लेकिन आज न जाने कैसे लेट हो गए। जबलपुर तहसील में पदस्थ बाबू और कर्मचारियों की कुर्सियां भी खाली थीं। कुछ कर्मचारी मौजूद थे।

जबलपुर के आबकारी विभाग में सुबह 10 बजे के बाद भी कुर्सियां खाली पड़ी थीं।
जबलपुर के आबकारी विभाग में सुबह 10 बजे के बाद भी कुर्सियां खाली पड़ी थीं।

नर्मदापुरम, महिला बाल विकास विभाग: 11 बजे तक अधिकारी की कुर्सी भी खाली

महिला बाल विकास विभाग के जिला कार्यालय में दो अधिकारी और 5 बाबू,-चपरासी का स्टाफ है। सुबह 10 बजे बाबू-लेखापाल की कुर्सियां खाली थीं। सहायक संचालक वीपी गौर, एक बाबू और दो प्यून मौजूद थे। जिला कार्यक्रम अधिकारी का चेंबर भी खाली था। ऐसा ही माहौल जिला आबकारी कार्यालय और ट्रेजरी में भी देखने को मिला। यहां तक कि जिला आबकारी अधिकारी भी सुबह 11.05 बजे तक नहीं पहुंचे थे।

नर्मदापुरम में महिला एवं बाल विकास विभाग में सिर्फ दो कर्मचारी ही मौजूद रहे। बाकी कुर्सियां खाली पड़ी थीं।
नर्मदापुरम में महिला एवं बाल विकास विभाग में सिर्फ दो कर्मचारी ही मौजूद रहे। बाकी कुर्सियां खाली पड़ी थीं।

छिंदवाड़ा, वनविभाग कार्यालय: सुबह 10:30 बजे, सहकर्मियों की गलतियों पर डालते रहे पर्दा

वन विभाग के पूर्व वनमंडल कार्यालय में सुबह 10.30 बजे तक कर्मचारियों की कुर्सियां खाली थीं। अंदर गए, तो वहां भी सन्नाटा था। कुछ समय बाद केबिन में एक कर्मचारी सफाई करते दिखा। पूछने पर सहकर्मियों की गलतियों पर पर्दा डालते हुए कहा कि सभी समय पर आ जाते हैं। आज देरी हो गई होगी।

शाम 5:30 बजे कलेक्टोरेट के जनरल सेक्शन में 10 में से 5 कर्मचारी गायब मिले। आदिम जाति कल्याण विभाग में पहुंचे, तो यहां भी कुर्सियां खाली थीं।

छिंदवाड़ा में पूर्व वनमंडल कार्यालय में सुबह 10.30 बजे कुर्सियां खाली रहीं।
छिंदवाड़ा में पूर्व वनमंडल कार्यालय में सुबह 10.30 बजे कुर्सियां खाली रहीं।

उज्जैन, नगर निगम: सुबह 10 बजे, सिंगल विंडो मिली खाली

सुबह 10 बजे नगर निगम में बने सिंगल विंडो में सभी विंडो खाली थे। विवाह पंजीयन के आए दो लोग काउंटर पर खड़े थे, लेकिन उन्हें अटैंड करने वाला कोई वहां मौजूद नहीं था।

कमरा नंबर 220 में पहुंचे, तो यहां 8 कर्मचारियों में से सिर्फ एक ही मौजूद था। इसी तरह, उद्यानिकी, वित्त, सामान्य प्रशासन विभाग, जल कार्य, राजस्व, वित्त एवं लेखा, योजना एवं सूचना समेत अन्य विभागों में भी गिनती के कर्मचारी पहुंचे थे। सभी विभागों में कर्मचारी और अधिकारी नदारद थे।

उज्जैन में नगर निगम के ऑफिस में सुबह 10 बजे भी सिंगल विंडो पर कोई कर्मचारी मौजूद नहीं था।
उज्जैन में नगर निगम के ऑफिस में सुबह 10 बजे भी सिंगल विंडो पर कोई कर्मचारी मौजूद नहीं था।

गुना, बीईओ ऑफिस: सुबह 10:30 बजे, दफ्तर में अंधेरा

गुरुवार शाम 5:40 बजे विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में 8 में से सहायक संचालक गरिमा टोप्पो समेत दो लोग मौजूद थे। बाकी कर्मचारी समय से पहले जा चुके थे। सहायक संचालक का कहना था कि तीन लोग छुट्टी पर हैं। बाकी 10 मिनट पहले चले गए हैं। इसी तरह, शुक्रवार सुबह 10 बजे जब टीम नगरपालिका पहुंची, तो यहां 10:20 बजे तक सामान्य शाखा में केवल 6 में से एक ही कर्मचारी मिला। सभी कुर्सियां खाली थीं। सुबह 10:30 बजे तक कम्प्यूटर कक्ष की तो लाइट भी नहीं जली थी। दफ्तर में अंधेरा पसरा था।

गुना में विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में सुबह 10:30 बजे तक कोई नहीं था।
गुना में विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में सुबह 10:30 बजे तक कोई नहीं था।

दमोह, जल संसाधन विभाग: शाम 5:30 बजे, 26 में से आठ कर्मचारी मिले

गुरुवार शाम 5:30 बजे जल संसाधन विभाग में 26 में से आठ कर्मचारी ही मिले। चार लोग बाहर टीन शेड के नीचे खड़े बारिश रुकने का इंतजार कर रहे थे, ताकि घर जा सकें। तीन शेड में खड़े मुख्य लिपिक कुलदीप बाबू ने कहा कि ऐसे ही बारिश देख रहे हैं। अन्य कर्मचारी अभिषेक ने तर्क दिया कि बाहर आकर बारिश का लुत्फ उठा रहे हैं।

मुख्य अधिकारी एग्जीक्यूटिव इंजीनियर शुभम अग्रवाल भी मौजूद नहीं थे। उनसे फोन पर संपर्क किया, तो बताया गया कि वह पिता की ओपन हार्ट सर्जरी कराने हैदराबाद आए हैं। शुक्रवार सुबह पीडब्ल्यूडी ऑफिस में सुबह 10 बजे चार कर्मचारी मौजूद थे। 5 मिनट बाद तीन कर्मचारी ऑफिस पहुंचे, जिनमें से एक इंजीनियर प्यासी थे, जिन्होंने कहा कि मेरा काम फील्ड का है ऑफिस का नहीं।

दमोह में पीडब्ल्यूडी में एग्जीक्यूटिव इंजीनियर शुभम अग्रवाल भी ऑफिस में नहीं थे।
दमोह में पीडब्ल्यूडी में एग्जीक्यूटिव इंजीनियर शुभम अग्रवाल भी ऑफिस में नहीं थे।

रतलाम, जिला शिक्षा केंद्र: सुबह 10:10 बजे, ताला खोला गया

रतलाम नगर पालिका निगम कार्यालय में गुरुवार शाम 5.30 बजे एक सब इंजीनियर के अलावा एक महिला कर्मचारी मौजूद थी। चार कुर्सियां खाली थीं। इस केबिन में 6 इंजीनियर बैठते हैं।

मुख्य जिला शिक्षा केंद्र में 10 बजे तक ताले भी नहीं खुले। 10.05 बजे एक कर्मचारी ने आकर ताला खोला। 10.45 बजे तक क्लर्क मोहनलाल व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी गोपाल शर्मा व अशोक परिहार पहुंचे, जबकि यहां प्रभारी जिला परियोजना समन्वयक (डीपीसी) के अलावा 20 लोगों का स्टाफ है।

इसके अलावा, समग्र शिक्षा अभियान (सेकंडरी एजुकेशन) व विकासखंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) व बीआरसी कार्यालय में भी सुबह 10.10 बजे तक ताले लगे रहे।

बीईओ ऑफिस का चतुर्थ श्रेणी महिला कर्मचारी ने सुबह 10.13 बजे आकर ताला खोला। यहां 9 लोगों का स्टाफ है। एक हेड क्लर्क 10 बजे के पहले आकर ताला खुलने का इंतजार कर रहे थे।

खनिज कार्यालय में सुबह 10.19 बजे ताला खोला गया। कम्प्यूटर ऑपरेटर बाहर बैठा था। खनिज अधिकारी आकांक्षा पटेल व एक अन्य अधिकारी के केबिन के दरवाजे लगे थे।

रतलाम में नगर निगम कार्यालय में सुबह 10:58 बजे उपयंत्रियों के केबिन बंद थे। बाहर मौजूद कर्मचारी से पूछा, तो कहा कि साहब साइट पर गए हैं।
रतलाम में नगर निगम कार्यालय में सुबह 10:58 बजे उपयंत्रियों के केबिन बंद थे। बाहर मौजूद कर्मचारी से पूछा, तो कहा कि साहब साइट पर गए हैं।

सागर: जिला शिक्षा अधिकारी: समय- 10 बजे, सिर्फ सफाईकर्मी मिला

शाम 5.30 बजे भास्कर टीम उपसंचालक किसान कल्याण, कृषि विकास विभाग के कार्यालय पहुंची। अंदर जाते ही केबिन में बाबू नजर आए। उन्होंने अपना नाम जेपी अहिरवार बताया। बताया कि इस भवन में दो कार्यालय हैं। दूसरा ऑफिस आत्मा का है। दोनों में अधिकारी, कर्मचारियों मिलाकर 24 लोगों का स्टाफ है। कुछ लोग दूसरे ऑफिस में गए हैं। साहब फील्ड पर हैं।

दूसरे दिन, शुक्रवार सुबह 10 बजे जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में सफाईकर्मी हरिओम बाल्मिकी सफाई करते मिले। उन्होंने बताया कि कार्यालय में करीब 35 लोगों का स्टाफ है। सभी लोग 10.30 बजे तक आ जाते हैं। 10 बजे कोई नहीं आता।

सागर में शिक्षा विभाग में ज्यादातर कर्मचारी ऑफिस में नहीं थे।
सागर में शिक्षा विभाग में ज्यादातर कर्मचारी ऑफिस में नहीं थे।

रीवा: पीएचई विभाग, सुबह 11 बजे, 20 में से 4 कर्मचारी मिले

पीएचई विभाग में चार सुबह 10 बजे से 10:40 बजे तक दफ्तर की अधिकांश कुर्सियां खाली मिलीं। यहां 20 लोगों के स्टाफ में से चार कर्मचारी मौजूद रहे। पूछने पर बताया कि हमें जानकारी नहीं। कार्यालय के मुख्य अधिकारी कार्यपालन यंत्री संजय पांडेय खुद भी गायब थे। उनके केबिन में लॉक लगा था। पूछने पर कर्मचारियों ने बताया, ‘वो बड़े अधिकारी हैं। मर्जी से आते-जाते हैं। उस पर हम क्या बोल सकते हैं।’ सुबह 11 बजे तक कार्यालय में एक-एक कर 5 कर्मचारी ऑफिस पहुंचे।

खंडवा: आदिम जाति कल्याण विभाग: शाम 6 बजे, 90% लोग मौजूद

शाम 6 बजे भास्कर टीम आदिम जाति कल्याण विभाग के जिला कार्यालय पहुंची। यहां सहायक आयुक्त आशा चौहान, सहायक संचालक नीरज पाराशर समेत 90% कर्मचारी ड्यूटी पर थे। अनुपस्थित कर्मचारियों के बारे में पता चला कि कुछ फील्ड ऑफिसर हैं, जो खालवा क्षेत्र में गए हैं। सहायक संचालक नीरज पाराशर के मुताबिक अधिकांश कर्मचारी सुबह 10 बजे तक पहुंच जाते हैं। बाकी 10:15 मिनट तक दफ्तर पहुंचने का सिलसिला जारी रहता है।

खंडवा में शाम सवा 6 बजे आदिम जाति कल्याण विभाग के दफ्तर में कर्मचारी काम कर रहे थे।
खंडवा में शाम सवा 6 बजे आदिम जाति कल्याण विभाग के दफ्तर में कर्मचारी काम कर रहे थे।

इन जिलों में भी ऐसे ही हालात

जिला विभाग/ऑफिस समय स्थिति
बैतूल खेल एवं युवा कल्याण विभाग सुबह 10.17 बजे सहायक ग्रेड 3 मनीष शर्मा कार्यालय का ताला खोलते मिले। उन्होंने बताया कि यहां 6 लोगों का स्टाफ है। नई टाइमिंग के लिहाज से सभी जल्दी आ जाते हैं, लेकिन आज लेट हो गए। अधिकारी सवा 11 बजे तक पहुंचते हैं।
दमोह जल संसाधन विभाग शाम 5:30 बजे 26 में से मात्र 8 कर्मचारी ही मौजूद थे। बाकी घर जा चुके थे।
बुरहानपुर जिला पंचायत कार्यालय शाम 5.30 बजे अधिकांश टेबल खाली नजर आईं। गिने चुने कर्मचारी ही दिखे। जिला पंचायत सीईओ के अवकाश पर होने के कारण प्रभारी अपर कलेक्टर वीरसिंह चौहान के पास है।
अशोकनगर पशुपालन विभाग सुबह 10:15 बजे डॉक्टरों वाले अपार्टमेंट में भी कुछ लोग थे, जबकि कार्यालय में ताले लटके थे।
रायसेन जिला परिवहन विभाग सुबह 10:30 बजे 10:30 बजे से लेकर 11:30 बजे तक न तो जिला परिवहन अधिकारी पहुंचे थे और न ही बाबू।
दतिया तहसील कार्यालय शाम 5.15 बजे नायब तहसीलदारों के कार्यालय में सन्नाटा था। कर्मचारी अपने घर लौट चुके हैं। इक्का-दुक्का ही कर्मचारी दिखे, जो बैग पैक करते मिले।
मंदसौर जिला शिक्षा अधिकारी शाम 5:50 बजे करीब 30 लोगों का स्टाफ यहां काम करता है। मौके पर 4 कर्मचारी ही मिले।
देवास खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग सुबह 10.30 बजे कार्यालय पर ताला लगा मिला। संबंधित अधिकारी कर्मचारी उपस्थित नहीं मिले।
शिवपुरी आदिम जाति कल्याण विभाग शाम 5.50 बजे जिला संयोजक राजेंद्र कुमार जाटव समेत मुख्य अधिकारी बाबू महेश कुमार सविता, सुवेलाल जाटव और रायकुमार सिंह मौजूद नहीं मिले।
शाजापुर नगर पालिका कार्यालय शाम 5:30 बजे कार्यालय में केवल दो लोग नजर आए।
बड़वानी कलेक्ट्रेट सुबह 10 बजे कलेक्टर डॉ. राहुल हरिदास फटिंग व डिप्टी कलेक्टर शक्ति सिंह चौहान ही दफ्तर पहुंचे। अन्य अधिकारी एसडीएम-तहसीलदार और डिप्टी कलेक्टर्स के चेम्बर खाली मिले।
राजगढ़ महिला बाल विकास विभाग शाम 5.30 बजे जिला अधिकारी सुनीता यादव के कक्ष में बाहर दरवाजा बंद मिला, जबकि उन्हें लेकर उनके अधीनस्थ कर्मचारी-अधिकारी गोल मोल जवाब देने लगे।
हरदा डीपीसी ऑफिस शाम करीब 5.45 सिर्फ तीन कर्मचारी ही मिले। शेष कर्मचारी छह बजने के पहले ही घर रवाना हो चुके थे।
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मप्र में देरी से ऑफिस पहुंचने वाले अधिकारी-कर्मचारियों की खैर नहीं, सुबह 10 नहीं पहुंचने पर…
मप्र में कार्यालय देरी से पहुंचने वाले सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों पर प्रशासन सख्ती अपनाने जा रहा है। कोरोना के बाद पांच दिवसीय कार्यालय होने पर समय अवधि बढ़ाई गई थी, जिसका पालन नहीं होने पर सामान्य प्रशासन ने समय का पालन कराने के लिए कहा है।
  1. कोरोना के बाद मप्र में पांच दिवसीय कार्यालय, बढ़ी थी समय अवधि
  2. सुबह 10 बजे से शाम छह बजे तक निर्धारित है कार्यालयीन समय
  3. देरी से कार्यालय पहुंचने वाले सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों पर सख्ती

 भोपाल : कोरोना काल में प्रदेश में पांच दिवस कार्यालय लगाने की व्यवस्था के साथ कार्यालयीन समय में जो परिवर्तन किया गया था, उसका पालन नहीं हो रहा है। अधिकारी समय पर कार्यालय नहीं पहुंच रहे हैं। सामान्य प्रशासन विभाग ने इसे गंभीरता से लेते हुए सभी विभागों को कार्यालयीन समयावधि का पालन कराने के निर्देश दिए हैं।

बता दें अप्रैल 2021 से कार्यालयीन समय सुबह 10 बजे से शाम छह बजे तक निर्धारित है लेकिन सुबह 10 बजे अधिकतर कार्यालयों में कर्मचारी व अधिकारी नहीं आते हैं। इसे गंभीरता से लेते हुए सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी विभागाध्यक्ष, कलेक्टर और जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे कार्यालयीन समयावधि का पालन कराएं।
कोरोना काल के बाद पांच दिवसीय कार्यालय

कोरोना काल के बाद सरकार ने केंद्र की तरह ही प्रदेश में पांच दिन कार्यालय लगाने की व्यवस्था प्रारंभ की। पहले दूसरे और तीसरी शनिवार को अवकाश रहता था। इसमें परिवर्तन कर शनिवार को भी अवकाश रखा गया। इसके स्थान पर कार्यालयीन समय अवधि में परिवर्तन किया गया। सुबह साढ़े के स्थान पर 10 बजे से कार्यालय प्रारंभ होने और शाम साढ़े छह बजे की जगह छह बजे बंद करने की व्यवस्था बनाई।

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समय पर कार्यालय नहीं पहुंच रहे अधिकारी

सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि प्राय: यह देखने में आ रहा है कि कार्यालयों में निर्धारित समयावधि का पालन नहीं हो रहा है। अधिकतर कर्मचारी सुबह 10 बजे कार्यालय नहीं पहुंचते हैं। इससे कार्य प्रभावित होता है। इसे देखते हुए सभी वरिष्ठ अधिकारियों से कहा गया है कि वे निर्धारित समय सीमा का पालन सुनिश्चित कराएं।

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एसडीओ बोले- 10.30 ऑफिस टाइम …
वन विभाग में सुबह 10.30 बजे तक नहीं पहुंचते कर्मचारी, कलेक्ट्रेट में छ्ट्टी से पहले कुर्सी मिली खाली
छिंदवाड़ा

मध्यप्रदेश सरकार ने सरकारी कार्यालय में कर्मचारियों को सुबह 10 से शाम 6बजे तक उपस्थित रहने के आदेश दिए थे। प्रदेश सरकार के इस आदेश को जारी हुए 15 दिन बीत चुके है लेकिन अभी तक सरकारी कार्यालयों में इस आदेश का पालन होते नहीं दिखाई दे रहा है।

दैनिक भास्कर के छिंदवाड़ा संवाददाता ने प्रदेश सरकार के इस आदेश का रियलिटी चेक करने पहुंचे तो कर्मचारी न तो समय पर पहुंच रहे है और न ही शाम 6 बजे तक सेवाए दे रहे हैं। टीम शुक्रवार सुबह 10 बजे वन विभाग के पूर्व वनमण्डल कार्यालय पहुंची तो तय समय से आधा घंटे बाद भी यहां सुबह 10.30 बजे तक कर्मचारियों की कुर्सियां खाली दिखाई दी। हम कार्यालय के अंदर गए तो वहां भी सन्नाटा पसरा हुआ था। कुछ समय बाद केबिन के अंदर एक कर्मचारी सफाई करते दिखाई दिया, हमने उनसे पूछा कि कर्मचारी कितने बजे तक ऑफिस आते है तो उन्होंने सहकर्मियों की गलतियों पर परदा डालते हुए कहा कि सभी कर्मचारी समय पर आ जाते है। यहां करीब 10 कर्मचारी हैं लेकिन फिलहाल सभी कर्मचारी नदारद हैं और कर्मचारियों की कुर्सियां खाली है।

सुबह10.30 तक नही पहुंचे कर्मचारी,अधिकारी को भी पता नही समय

वनविभाग के पूर्व वनमण्डल में लगी दीवार घड़ी की तस्वीर
वनविभाग के पूर्व वनमण्डल में लगी दीवार घड़ी की तस्वीर
पूर्व वनमण्डल कार्यालय में सुबह 10.30बजे की तस्वीर
पूर्व वनमण्डल कार्यालय में सुबह 10.30बजे की तस्वीर

इसी परिसर में पूर्व उपवनमंडल अधिकारी कार्यालय पहुंचे तो वहां का भी नजारा कुछ ऐसा ही था।यहां कर्मचारियों को सरकारी आदेश का पालन करवाने वाले सक्षम अधिकारी खुद 10.20 पर पहुंचे जब हमने उनसे बात की तो अधिकारी भारत सोलंकी ने कहा कि कर्मचारियों का सुबह 10.30 पहुंचने का समय है सभी कर्मचारी थोड़े समय बाद आयेंगे ।हमने पूछा कि आप भी ऑफिस लेट पहुंचे है तो उन्होंने कहा कि हम ऑफिस और फील्ड में रहते है और देर रात तक भी ऑफिस में बैठकर काम करते है इसलिए कभी कभी ऑफिस लेट पहुंचते है।इस ऑफिस में मुख्य लिपिक सहित कुल 5 कर्मचारी है जो शासन द्वारा निर्धारित समय पर नही पहुंचे है।

छुट्टी के समय रियलिटी चेककर्मचारी की कुर्सी खाली मिली

इसके बाद हम छुट्टी के समय रियल्टी चेक करने सरकारी कार्यालय पहुंचे तो आदेश का मिला जुला असर दिखा। कलेक्ट्रेट के जनरल सेक्शन पहुंचे तो शाम साढ़े 5.30बजे इस सेक्शन में आधे से अधिक कर्मचारी कुर्सियों से गायब दिखे।इस सेक्शन में कुल 10कर्मचारी है जबकि हमारी पड़ताल में सिर्फ 4 कर्मचारी ऑफिस में मोजूद मिले।ऑफिस में मौजूद कर्मचारी ने बताया कि दो कर्मचारी छुट्टी पर है। इसके बाद हम कलेक्ट्रेट बिल्डिंग में आदिम जाति कल्याण विभाग में पहुंचे तो यहां समय से पहले कर्मचारी अपनी कुर्सियां से गायब मिले। इस मामले में कार्यालय के बड़े बाबू सहकर्मियों की गलतियों पर परदा डालते रहे।

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