ग्वालियर कोर्ट ने मधुवन रेस्टोरेंट की भूमि को वन विभाग की माना
ग्वालियर कोर्ट ने मधुवन रेस्टोरेंट की भूमि को वन विभाग की माना
मधुवन होटल की जमीन को न्यायालय ने वन विभाग की माना है। इस मामले में लगे दावे को खारिज करते हुए न्यायालय ने कहा कि भूमि पठार के रूप में दर्ज थी तो ऐसे में उक्त भूमि पर न तो उत्तराधिकार हो सकता है और न ही कोई अनुदान या संविदा के आधार पर किसी भी व्यक्ति का अधिकार हो सकता है।
- कब्जा करने वाले का न्यायालय ने किया दावा खारिज
- तहसीलदार के साथ मिलकर एकांगी सीमांकन करा लिया
- भूमि पठार के रूप में दर्ज है, किसी का अधिकार नहीं हो सकता
ग्वालियर। बीते कई वर्षों से विवादों में घिरी घाटीगांव तहसील के दौरार गांव की वह भूमि जिस पर टीआइ विनय शर्मा की पत्नी द्वारा मधुवन रेस्टोरेंट चलाया जा रहा है ,उसे न्यायालय ने वन विभाग का माना है। इस मामले में लगे दावे को खारिज करते हुए न्यायालय ने कहा कि भूमि पठार के रूप में दर्ज थी तो ऐसे में उक्त भूमि पर न तो उत्तराधिकार हो सकता है और न ही कोई अनुदान या संविदा के आधार पर किसी भी व्यक्ति का अधिकार हो सकता है।
तहसीलदार के साथ मिलकर एकांगी सीमांकन करा लिया जबकि भूमि वन विभाग की है। सीमांकन कराने के बाद तत्कालीन तहसीलदार घाटीगांव के साथ मिलकर नामांतरण करा लिया। साथ ही डायवर्सन भी करा लिया जिसके बाद प्रियंका शर्मा ने ग्राम दौरार के सर्वे नंबर 1221 / 1 रकवा 0.2760 हेक्टेयर पर खसरों में अपना नाम चढ़वाया। उक्त भूमि पर “मधुवन रेस्टोरेंट” बनाने के लिए चारों तरफ लोहे की तार फेंसिंग लगवा ली गई।
सर्वे नंबर 1221 वादग्रस्त भूमि 16 जनवरी 1969 को गजट नोटिफिकेशन के द्वारा ग्राम दौरार की 560.342 हेक्टेयर भूमि संरक्षित वन भूमि घोषित की गयी थी जिसका वन क्षेत्र का व्यवस्थापन कर नक्शा तैयार किया गया था जिसकें अनुसार सर्वे नंबर 1221 का दो बीघा पांच बिस्वा भूमि वन क्षेत्र की भूमि घोषित की गयी जो पी-294 का भाग है। इस भूमि पर निजी मालिकाना हक नहीं हो सकता।
25 मई 2019 को वन भूमि पर कब्जा करने को लेकर प्रियंका शर्मा पर मामला भी दर्ज किया गया। इसके बाद प्रियंका शर्मा ने हाई कोर्ट में याचिका लगाई जो खारिज कर दी गई, फिर जिला कोर्ट में दावा लगाया जिसमें शासन की ओर से तीन माह से ज्यादा समय होने पर पक्ष पेश किया, तो स्टे मिल गया था। लेकिन उसके बाद जब मामले की सुनवाई हुई तो कोर्ट ने दावे को खारिज कर दिया और भूमि को वन विभाग की माना।