गोहद MLA जाटव की गोली मारकर की थी हत्या … आरोपी पूर्व मंत्री समेत सभी बरी

विधायक का हत्यारा कौन? 15 साल से यही सवाल
गोहद MLA जाटव की गोली मारकर की थी हत्या; आरोपी पूर्व मंत्री समेत सभी बरी

गोहद विधायक माखनलाल जाटव की 13 अप्रैल 2009 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

भिंड के विशेष कोर्ट ने 20 जुलाई को पूर्व विधायक माखनलाल जाटव की हत्या के सभी आरोपियों को बरी कर दिया। मामले की पिछले 15 साल से सुनवाई चल रही थी। कोर्ट ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं मिले।

कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाते हुए माखनलाल जाटव के बेटे, बीजेपी नेता और पूर्व विधायक रणवीर जाटव पूछते हैं कि तो फिर मेरे पिता के हत्यारे कौन हैं? 15 साल चली लंबी लड़ाई के बाद भी हमें न्याय कहां मिला?

रणवीर ने सरकार से मांग की है कि वह इस मामले में फिर से कोर्ट में अपील करें। दूसरी तरफ पुलिस अधिकारियों का कहना है कि फैसले की स्टडी की जा रही है, उसी के बाद आगे कोई निर्णय लिया जाएगा। क्या था पूरा मामला, कोर्ट ने किस आधार पर आरोपियों को बरी किया।

   

पुलिस ने 3 दिन में सभी आरोपियों को गिरफ्तार किया था

लोकसभा चुनाव के दौरान हुई इस हत्या के बाद बीजेपी और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला था। पुलिस ने विधायक के सुरक्षाकर्मी शिवराज की शिकायत पर अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या, आर्म्स एक्ट, एससी-एसटी एक्ट और साजिश रचने का प्रकरण दर्ज किया था।

तीन दिन की जांच के बाद पुलिस ने गोली मारने वालों की पहचान बाराहेड गांव निवासी मेवाराम और उसके नाबालिग बेटे नारायण शर्मा के रूप में की। गोली नाबालिग नारायण शर्मा ने ही मारी थी। बाकी आरोपियों के तौर पर एंडोरी पुलिस ने बाराहेड गांव के शेर सिंह कौरव, गंधर्व सिंह कौरव, केदार सिंह कौरव, सेठी कौरव, भैसोरा गांव मुरैना निवासी रामरूप सिंह और गोहद निवासी तेजनारायण शुक्ला का नाम शामिल किया गया।

हत्या के 8 साल बाद पूर्व मंत्री को आरोपी बनाया, 3 साल में बरी

2017 में माखनलाल जाटव के बेटे रणवीर सिंह जाटव ने कोर्ट में तत्कालीन गोहद विधायक एवं मंत्री लाल सिंह आर्य के हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया। उनकी ओर से घटना के समय मौजूद माखनलाल जाटव के मामा बनवारी लाल के बयान कोर्ट में दर्ज कराए गए।

बनवारी लाल ने कोर्ट को बताया कि घटनास्थल पर लाल सिंह आर्य मौजूद थे। उन्होंने अन्य हमलावरों को ललकारते हुए माखन सिंह को गोली मारने के लिए उकसाया था। कोर्ट के आदेश पर लाल सिंह आर्य को आरोपी बनाया गया।

वे इसके खिलाफ ग्वालियर कोर्ट गए। वहां से भिंड की विशेष एससी-एसटी कोर्ट को विधायक का पक्ष सुनने का आदेश हुआ। लाल सिंह आर्य कोर्ट में पक्ष रखने के बजाय सुप्रीम कोर्ट चले गए। सुप्रीम कोर्ट ने ग्वालियर हाईकोर्ट के आदेश को निरस्त कर दिया।

लाल सिंह आर्य पर प्रकरण दर्ज हुआ तो केस का ट्रायल एमपी-एमएलए कोर्ट के चलते भोपाल ट्रांसफर कर दिया गया। कोर्ट की ओर से लाल सिंह आर्य को वारंट जारी हुआ। 6 वारंट के बाद भी जब वे हाजिर नहीं हुए तो गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया गया।

गिरफ्तारी से बचने के लिए वे हाईकोर्ट चले गए। हाईकोर्ट ने गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया। इसके बाद वे विशेष कोर्ट में पेश हुए। जहां से उन्हें उसी दिन 1 लाख के निजी मुचलके पर जमानत मिल गई।

सीबीआई की जांच में 7 आरोपी, पुलिस ने 8 बनाए थे

एंडोरी पुलिस ने 13 जुलाई 2009 को जांच पूरी कर चालान गोहद के न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी के समक्ष प्रस्तुत किया। इससे 6 दिन पहले केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी। 16 जुलाई 2009 को भोपाल सीबीआई ने इस केस को हैंडओवर कर लिया।

सीबीआई ने जांच पूरी करते हुए 7 आरोपी तेजनारायण शुक्ला, मेवाराम शर्मा, नारायण शर्मा, रामरूप सिंह, शेर सिंह, केदार सिंह, गंधर्व सिंह के खिलाफ 30 नवंबर 2010 को विशेष सीबीआई कोर्ट, इंदौर में चालान पेश किया।

इंदौर हाईकोर्ट ने कहा कि केस की सुनवाई पहले से भिंड की विशेष कोर्ट में हो रही है, तो सीबीआई कोर्ट में सुनवाई कैसे होगी? कोर्ट ने आदेश दिया कि सीबीआई और पुलिस के चालान को मर्ज कर मामले की सुनवाई भिंड कोर्ट में ही हो। नारायण शर्मा के नाबालिग होने के चलते उसके मामले को किशोर न्यायालय को भेज दिया गया।

छरेंटा गांव में यही जगह है, जहां माखनलाल जाटव की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
छरेंटा गांव में यही जगह है, जहां माखनलाल जाटव की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

कोर्ट ने रणवीर और उनकी मां की गवाही को खारिज किया

भिंड के एससी-एसटी विशेष कोर्ट में इस प्रकरण की सुनवाई 2011 से जारी थी। पुलिस और सीबीआई ने इस हत्याकांड में 94 गवाह बनाए थे। पुलिस ने 218 साक्ष्य और कथन पेश किए थे। पुलिस ने हत्या में इस्तेमाल कट्‌टा आरोपी शेर सिंह से जब्त किया। ये कट्‌टा नारायण ने वारदात के बाद शेर सिंह को छिपाने के लिए दिया था।

पुलिस ने नारायण के पिता मेवाराम शर्मा की निशानदेही पर उसके घूरे से एक कट्‌टा, कारतूस और रामरूप से भी कट्‌टा-कारतूस जब्त करते हुए सभी के खिलाफ आर्म्स एक्ट की अलग से धाराएं लगाई थीं। आरोपियों ने ये कहते हुए बचाव किया कि उन्हें राजनीतिक दुर्भावना के कारण फंसाया जा रहा है।

सुनवाई के दौरान ज्यादातर गवाह पलट गए। सबसे अहम गवाह रहे विधायक के मामा बनवारी जाटव ने बयान में कहा कि वारदात के समय बीच वाली सीट पर माखनलाल का बेटा अरविंद भी था जबकि अरविंद ने कोर्ट में गवाही के दौरान बताया कि वह ग्वालियर में था। इस विरोधाभास के चलते कोर्ट ने माखनलाल के बयान को संदिग्ध माना।

कोर्ट में माखनलाल के बेटे रणवीर जाटव और मां शीला जाटव के भी बयान हुए। दोनों ने बताया कि विधायक का चुनाव जीतने के बाद से ही लाल सिंह आर्य उनसे अदावत रखे हुए थे। हत्याकांड से पहले गोहद में आयोजित कुश्ती में विवाद भी हुआ था। इसका गोहद में प्रकरण भी दर्ज हुआ था। तेजनारायण शुक्ला और विधायक लाल सिंह आर्य ने सरकारी जमीन पर कब्जा कर रखा था। ये प्रकरण विधानसभा में उठाने के चलते दोनों उनकी जान के दुश्मन बन गए।

शीला ने कोर्ट को बताया था कि उनके पति ने आशंका जताई थी कि लाल सिंह आर्य उनकी हत्या कराना चाहते हैं जबकि बेटे रणवीर ने कोर्ट को बताया था कि घटनास्थल पर लाल सिंह आर्य ने ही आरोपियों को ललकार कर हत्या कराई है।

मुख्य आरोपी तेजनारायण शुक्ला की संदिग्ध हालात में मौत

कोर्ट में सुनवाई के दौरान ही मुख्य आरोपी गोहद निवासी और वकील तेजनारायण शुक्ला की 21 सितंबर 2015 को संदिग्ध हालात में मौत हो गई। पूरे कपड़े पहने उनकी लाश उनके फॉर्म हाउस स्थित तालाब में मिली। उनके शरीर पर चोट के निशान थे।

सवाल उठा कि यदि वे खुद से तालाब में नहाने उतरे होते तो कपड़े क्यों पहने थे? पीएम रिपोर्ट में उनकी माैत की वजह दम घुटना बताया गया। पानी में डूबकर दम घुटा या किसी के डुबोने की वजह से दम घुटा, ये साफ नहीं हो पाया। तेजनारायण की मौत भी आज तक रहस्य ही बनी हुई है। उनकी मौत के चलते 2015 में ही केस के ट्रायल से उनका नाम हटा दिया गया था।

बेटे रणवीर का सवाल, मेरे पिता के कातिल कौन?

पूर्व विधायक माखनलाल जाटव की हत्या के मामले में सभी आरोपियों के बरी होने के बाद उनके बेटे रणवीर जाटव सवाल खड़े करते हैं। कहते हैं कि पिता की हत्या के समय वह भिंड पुलिस लाइन में आरक्षक पद पर पदस्थ थे। उनकी ड्यूटी कोतवाली थाने में लगे वज्र वाहन में थी। रात में ड्राइवर देवेंद्र से पिता की हत्या की खबर मिली थी। ग्वालियर पहुंचा तो पिता की मौत हो चुकी थी।

पिता के निधन के बाद हुए उपचुनाव में कांग्रेस से मैं विधायक चुना गया। लगातार कोर्ट में पैरवी करता रहा। 2013 में चुनाव हार गया। 2013 से 2018 तक मुझे कोई सहयोग नहीं मिला। इस मामले में पुलिस ने आरोपियों से हत्या में इस्तेमाल किया कट्‌टा जब्त किया था।

पुलिस ने आरोपियों के मोबाइल की सीडीआर, टावर लोकेशन को साक्ष्य के तौर पर पेश किया था, लेकिन कोर्ट ने आधार नहीं माना। अब जब सभी आरोपी बरी कर दिए गए हैं, तो फिर मेरे पिता के हत्यारे कौन हैं?

एसपी बोले- विधि विशेषज्ञों से सलाह लेकर कार्रवाई करेंगे

आरोपियों के कोर्ट से बरी होने के बाद इस मामले में पुलिस की जांच पर भी सवाल उठे हैं। अभियोजन पक्ष की तरफ से कोर्ट में 218 सबूत पेश किए गए थे, लेकिन कोर्ट ने एक भी सबूत को अहम नहीं माना। भिंड जिले के एसपी असित यादव का कहना है कि कोर्ट के फैसले की स्टडी की जा रही है। उसी के बाद आगे की कार्रवाई तय करेंगे।

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