सीएम योगी की पूरी राजनीति रही एंटी मुस्लिम !

 सीएम योगी की पूरी राजनीति रही एंटी मुस्लिम, लव जिहाद नहीं ये है वोटों को साधने की कोशिश

कहां से आया ये शब्द?

हिंदू जन जागरण समिति की तरफ से लव जिहाद के नाम से मामले को सामने लाया गया. यूपी के आईजी शरद माथुर ने एक अखबार को दिए इंटरव्यू में कहा था कि लव जिहाद समाज के लिए सांप्रदायिक डर को बनाए रखने के लिए लाया गया.  ऐसा सिर्फ उत्तर प्रदेश और भारत के लिए ही नहीं है कि वहां पर लव जिहाद का मामला सामने आया हो. सच तो ये है कि यूपी सरकार और केंद्र सरकार के साथ कोर्ट के पास भी लव जिहाद से जुड़े मामलों के आंकड़े नहीं हैं. महिला आयोग की ओर से भी लव जिहाद का मामला उठाया गया था, लेकिन कोई मामला सामने अभी तक नहीं आया.

लव जिहाद का जो मामला सामने आ रहा है, ये मुस्लिमों के खिलाफ नफरत बढ़ाने का एक प्रोपेगेंडा है. पाकिस्तान में हिंदुओं की संख्या घटने और हिंदुस्तान में मुस्लिमों की संख्या की बढ़ोतरी की बात हिंदू से जुड़े कुछ संगठन आंकड़ा दिखाते हैं, जो कि आधा अधूरा सत्य है. जबकि सच बात ये है कि पाकिस्तान जब बना था तब हिंदुओं की संख्या जो थी, अब वो बांग्लादेश के बनने के बाद सभी वहां पर चले गए. अब बांग्लादेश में 22 प्रतिशत हिंदुओं की संख्या हो गई है. 

देश के बंटवारा के समय से मामला 

साल 2009 में कर्नाटक हाई कोर्ट ने पुलिस को एक आदेश दिया था कि लव जिहाद के मामले में जांच करें. उस समय करीब 11 ऐसी शादियां थी, जिसे लव जिहाद के मामले से जोड़ा जा रहा था. उसके बाद पुलिस ने जांच की और अपनी रिपोर्ट में लिखा कि लव जिहाद का कोई भी ऐसा एंगल का सबूत और साक्ष्य नहीं मिले हैं. इसी प्रकार केरल में भी ऐसा मामला सामने आया तो कोर्ट के आदेश पर जांच किया गया. वहां की पुलिस ने भी कर्नाटक पुलिस की तरह ही रिपोर्ट दिया. लव जिहाद का रूट 1947 के बंटवारा में ही रूट छिपा हुआ है.

जब भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तो उस समय काफी संख्या में लोग इधर से उधर गए. इसी क्रम में हिंदुओं, मुस्लिम और सिख समुदाय के बच्चियों और महिलाओं का किडनैपिंग किया गया. देश के बंटवारे के बाद दोनों देशों ने खोई हुई महिलाओं को खोजने की कोशिश करने लगे. उसमें से कुछ मुस्लिम महिलाएं और कुछ हिंदू महिलाएं बरामद हुईं. 2020 में जे. कृष्णन ने लोकसभा में कहा था कि लव जिहाद जैसी कोई भी चीज कानून में डिफाइन नहीं की गई है. आज तक कोई सेंट्रल एजेंसी भी केस और साक्ष्य नहीं रिकवर कर पाए, जिससे ये कहा जा सके कि लव जिहाद का मामला सामने आया हो.

बेवजह के मुद्दों पर काम 

आरटीआई से मांगी गई सूचना में भी ये बात सामने आई है कि अभी तक लव जिहाद का कोई डेटा सरकार के पास नहीं है. ऐसे मुद्दे सिर्फ भाजपा ही उठाती है. दरअसल भाजपा के पास अपना कोई जमीनी मुद्दा नहीं है. इस वजह से बीजेपी की भी हार हुई. अगर भाजपा बेरोजगारी, नौकरी, महंगाई आदि मुद्दों पर चुनाव लड़ती तो अच्छी सीटें देश भर में जीत पाती और आज उनको नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू का समर्थन लेने की जरूरत नहीं पड़ती. अलीगढ़ की पूर्व मेयर और भाजपा की नेता शकुंतला भारती पर आरोप लगा था कि वो मुस्लिम लड़कियों को हिंदू में परिवर्तन कराने का काम कर रही हैं.

मुस्लिम लड़की की शादी हिंदू लड़के से हुआ था तो उसकी बहन ने आरोप लगाया था. हालांकि बाद में लड़की ने राजनीतिक दबाव में आकर ये कहा था कि वो अपने मन से शादी की थी. हिंदू जागरण मंच और अन्य कई हिंदू के संस्थान हैं, जो ये कहते हैं कि मुस्लिम की लड़कियों को उठाकर उससे शादी रचाया जा सकता है. हिंदू जागरण मंच ने ये नारा दिया था कि बेटी बचाओ और बहू लाओ. ऑल इंडिया हिंदू महासभा ने कहा था कि जो हिंदू लड़का मुस्लिम लड़की से शादी करेगा उसको दो लाख रुपये तक दिए जाएंगे.

कुछ सालों में बढ़ा है मामला

पिछले कुछ सालों में ये देखा गया है कि मुस्लिम लड़कियों को परिवर्तन करने की कोशिश की जा रही है. हरियाणा के एक महापंचायत में भी ये बातें सामने आई और कहा गया कि मुस्लिम लड़कियों को किडनैप कर के शादी रचाया जाए. 20 मुस्लिम महिलाओं को एक वेबसाइट के जरिये पॉस ऑक्सन कराया गया, उस पर कोई खास सजा नहीं हुई और वो जमानत पर घूम रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट की ओर से भी एक जजमेंट दिया गया था कि जो इंटर कास्ट शादी किए हैं वो किसी तरह की वॉयलेंस ना हो.

अभी जो यूपी में ऐसा कानून लव जिहाद को लेकर लाया जा रहा है, उसमें 20 साल की सजा का प्रावधान तय कर किया गया है, जिसका ना तो लोकसभा और ना ही सेंट्रल एजेंसियों के पास किसी तरह का कोई डेटा है. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के पास जो डाटा आया है, उसके अनुसार साल 2022 के बाद से महिलाओं पर क्राइम काफी बढ़ा है. उसमें दुष्कर्म, छेड़खानी, गैंगरेप, महिलाओं से हिंसा आदि शामिल है.

क्राइम कंट्रोल करने पर नहीं फोकस 

65,743 महिलाओं से जुड़ा हुआ हिंसा रिकॉर्ड किया गया है. इस तरह की जो घटनाएं हुई है और जो किडनैपिंग हुई है उसमें राज्यों के आधार पर देखें तो यूपी में सबसे अधिक है. करीब ऐसे मामले 14 हजार से अधिक हैं. दहेज के लिए जिन महिलाओं को मार दिया जाता है, ऐसी घटनाएं करीब 2 हजार से अधिक हैं. हसबैंड की ओर से जो वायलेंस किया जाता है, वो करीब 20 हजार से अधिक है. रेप के मामले में राजस्थान के बाद यूपी दूसरे नंबर पर पूरे देशभर में हैं. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के पास जो डाटा है, उसके आधार पर कोई कानून सरकार नहीं बना रही है, बल्कि जिस मामले को लेकर कोई डेटा नहीं है उस पर कानून और 20 साल के सजा का प्रावधान तय किया गया है. सरकार को उन चीजों पर कानून बनाना चाहिए जिसका डेटा हो.

हाल में ही एक खबर यूपी के गोंडा जिले से आई जिसमें शौच करने गई महिला की हत्या करने का मामला सामने आया, जबकि सरकार का दावा है कि ग्रामीण स्तर तक शौचालय बना दिए गए हैं. कई जगहों पर तो कम्युनिटी शौचालय तक बनाए गए हैं. जबकि वास्तविकता में हाल ये है कि ग्रामीण स्तर पर जो शौचालय बने हैं, वहां पर पानी आदि की सुविधा नहीं है तो कुछ जगहों पर शौचालय मात्र एक वस्तु बनकर रह गई है. जबकि शौच करने जाने वाली महिलाओं के साथ कई घटनाएं होती हैं. आज भी महिलाओं को खेत- खलिहान का सहारा लेना पड़ता है. ऐसे वास्तविक मुद्दों पर सरकार का ध्यान नहीं जाता है.

कुर्सी को सुरक्षित रखने के लिए कदम 

महिलाओं पर यूपी में हिंसा रुक नहीं रही है. महिलाओं को भी वोट और राजनीति के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. यूपी में कांवड़ यात्रा के समय दुकानों पर मालिक का नाम प्रदर्शित करने की बात कही गई. उसके बाद इसको मध्य प्रदेश और उतराखंड के साथ पूरे यूपी में लागू किया गया. दुकानों पर मुसलमान कर्मचारियों को भी हटाने के लिए बात कही गई. मुसलमानों को आइसोलेट करने और आर्थिक रूप से कमजोर करने की कोशिश की जा रही है. मुसलमानों को ये लगने लगा है कि उनको कमजोर करने के लिए सरकार की ओर से हर प्रयास किए जा रहे हैं. चुनावी फायदा लेने के लिए और वोटों का ध्रुवीकरण करने की कोशिश की जा रही है.

आगामी दो सालों में यूपी में विधानसभा का चुनाव भी हैं. यूपी में लोकसभा के चुनाव में कम सीटें आने के बाद सिर फुटव्वल देखा जा सकता है. अमित शाह और यूपी की सरकार एक साथ नहीं हो रहे हैं. अमित शाह और केशव प्रसाद मौर्य दोनों खास माने जाते हैं.

योगी को सरकार से हटाने का काम भरपूर किया गया. हेमंत विश्वकर्मा का कहना है कि मुस्लिम आबादी बढ़ रही है. योगी को हटाने के लिए बीजेपी हेमंत विश्व शर्मा को प्रमोट कर रही है. हिंदू नेता के रूप में वसुंधरा राजे, शिवराज सिंह चौहान आदि नेता को भी भाजपा प्रमोट कर रही है. यूपी में इस तरह के कानून लाकर योगी ने सिर्फ अपनी सीट सुरक्षित रखने की कोशिश की है. 

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि  …न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही ज़िम्मेदार है.]

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